राजनीति में चुनावों से पहले नेताओं के हाव-भाव बता देते हैं कि वो चुनाव नतीजों को कैसे देख रहे हैं और क्या वो अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं भी हैं या नहीं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के हाव-भाव और उनके लड़खड़ाती जुबान साफ संकेत देती है कि अब उनके हाथ से बंगाल का किला दरक चुका है। वो समझ चुकी हैं कि बीजेपी को अकेले हराना नामुमकिन है। इसीलिए अब वो विपक्ष के नेताओं को बुलाकर बंगाल में रैलियां करवाने की प्लानिंग कर रही हैं, जो कि बेहद ही बचकानी हरकत जैसा ही है।
हाल के बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर सुरक्षा में चूक और गृह मंत्रालय द्वारा तीन आईपीएस अधिकारियों की दिल्ली में प्रतिनियुक्ति पर जिस तरह से कुछ विपक्षी नेताओं ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का साथ दिया है, उससे ममता दीदी गदगद हैं और सभी के लिए । इस दौरान उन्होंने ट्वीट कर सभी का धन्यवाद भी दिया है।
Centre is brazenly interfering with State Govt functioning by transferring police officers. My gratitude to @bhupeshbaghel @ArvindKejriwal @capt_amarinder @ashokgehlot51 & @mkstalin for showing solidarity to people of Bengal & reaffirming their commitment to federalism.Thank you!
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) December 20, 2020
इसके साथ ही हिन्दुस्तान की रिपोर्ट बताती है कि ममता बनर्जी अब विधानसभा चुनाव को लेकर भी बीजेपी के खिलाफ एक नई राजनीतिक बिसात बनाने की तैयारी कर रही हैं।
ममता बनर्जी ने अब एक नई रणनीति बनाई है जिसके तहत वो विपक्षी एकता का बीजेपी के खिलाफ फायदा उठाना चाहतीं हैं। वो लोकसभा 2019 के चुनावों की तर्ज पर बीजेपी के खिलाफ विपक्षी नेताओं अरविंद केजरीवाल, शरद पवार, स्टालिन, कुमारास्वामी की रैलियां कराना चाहती हैं। इसको लेकर ममता ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार से बात भी की है। ममता बनर्जी ने रविवार को पवार को फोन किया, और उन्हें अपने साथ मंच साझा करने के लिए आमंत्रित किया। पवार ने निमंत्रण स्वीकार कर लिया है।
इस पूरे प्रकरण में दिलचस्प बात ये है कि ममता बनर्जी जो कल तक अपने आप को बीजेपी के लिए अकेले ही सबसे दमदार मानती थीं और कुछ तथाकथित बुद्धिजीवी जिन्हें एक वक्त तीसरे मोर्चे की सरकार का प्रधानमंत्री उम्मीदवार मानते थे अब उन्हें ही अपने राज्य में ही बीजेपी को हराने के लिए दूसरे विपक्षी दलों की जरूरत आन पड़ी है; जो कि ममता के राजनीतिक जीवन के लिए खतरा है। साथ ही विपक्षियों के लिए अब प्रधानमंत्री पद का एक दावेदार अब कम हो गया है।
प्रधानमंत्री पद का सपना संजोए बैठीं ममता बनर्जी की मुख्यमंत्री पद की कुर्सी भी बीजेपी के बंगाल में आने से लड़खड़ाने लगी है। लोकसभा चुनाव में भी का बेहतरीन प्रदर्शन ममता को डरा रहा है। ममता के अपने शुभेंदु अधिकारी जैसे वरिष्ठ नेता ही पार्टी छोड़ कर बीजेपी में जा रहे हैं। ऐसे में ममता बनर्जी अनौपचारिक रूप से ये मानने लगी हैं कि कि इन चुनावों में वो बीजेपी से अकेले लड़ेंगी तो बुरी तरह हार जाएंगी। इसलिए वो विपक्षी दलों को भी बंगाल में चुनाव प्रचार करने की गुहार लगा रही हैं जिससे उनकी हार शर्मनाक न हो और हार का डेंट सभी पार्टियों को भी लगे।