31 मार्च 2009 से लेकर आज तक इजरायल के प्रधानमंत्री पद पर बने रहने वाले Likud Party के नेता बेंजामिन नेतन्याहू अपनी राजनीतिक सूझ-बूझ के चलते अपने विरोधियों को पटखनी देते आए हैं। शायद यही कारण है कि पिछले 2 सालों से नेतन्याहू को कुर्सी से हटाने की कोशिशों में लगे विपक्षी नेता Benny Gantz को हर बार निराशा ही हाथ लगी है। अब मार्च 2021 में दो साल के अंदर-अंदर इजरायल में चौथी बार आम चुनाव होने जा रहे हैं और यहाँ प्रधानमंत्री के विरोधियों की पूरी कोशिश होगी कि वे इस बार उन्हें चुनावी मात दे सकें।
बता दें कि वर्ष 2019 से ही इज़रायल एक राजनीतिक संकट से जूझता दिखाई दे रहा है। 2019 की मार्च में हुए चुनावों में नेतन्याहू के विरोधी Benny Gantz के गठबंधन को बहुमत हासिल हो गयी थी। 120 सदस्यीय Knesset में Gantz के Blue and White पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन को करीब 61 सीटों पर विजयी हासिल हो गयी थी, जिसके बाद माना गया था कि अब नेतन्याहू का कार्यकाल खत्म हो ही जाएगा। हालांकि, उस वक्त ऐन मौके पर Blue and White गठबंधन के कई दक्षिणपंथी नेताओं ने बगावत कर दी और कहा कि वे इस Centre-Left गठबंधन को सत्ता हासिल करने नहीं देंगे। इसका नतीजा यह हुआ कि Benny Gantz अपने गठबंधन की बहुमत साबित ही नहीं कर पाये, और उनकी सरकार बनते-बनते रह गयी।
इसका सबसे बड़ा नेतन्याहू को हुआ, क्योंकि अन्तरिम सरकार में वे प्रधानमंत्री के पद पर बने रहे। इसके बाद देश में दोबारा चुनाव हुए और सितंबर महीने में आए नतीजों में फिर किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिल सका।
Likud पार्टी और Blue and White को फिर बहुमत नहीं मिल सका और अन्य पार्टियों ने किसी भी बड़ी पार्टी का साथ देकर सरकार चलाने से मना कर दिया। हालांकि, नवंबर 2019 में नेतन्याहू को एक बड़ा झटका लगा। उनपर विश्वासघात करने, रिश्वत लेने और फ्रॉड करने जैसे अपराधों के तहत आधिकारिक तौर पर मुकदमा चला दिया गया। मौजूदा इजरायली नियमों के तहत आधिकारिक रूप से अपराधी प्रधानमंत्री को PM पद से हटाया नहीं जा सकता है। ऐसे में संसद में विरोधी पार्टियों के साथ मिलकर Benny Gantz ने इस कानून में बदलाव कर दागी प्रधानमंत्री को अयोग्य करार करने के प्रावधान को जोड़ने की पेशकश भी की थी। अगर Benny Gantz विपक्षी पार्टियों को अपने विश्वास में लेकर उस कानून में बदलाव कर देते, तो तुरंत नेतन्याहू का राजनीतिक करियर समाप्त हो जाता। हालांकि, उसके ठीक बाद कोरोना आ गया और नेतन्याहू ने कोरोना के चलते देश में राजनीतिक गतिविधियों की रोकथाम पर ज़ोर दिया।
बाद में 2020 में फिर चुनाव हुए और दोबारा किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिल सका। ऐसे में थक-हारकर Likud पार्टी और Blue and White पार्टी ने मिलकर सरकार चलाने का फैसला लिया और दोबारा नेतन्याहू देश के प्रधानमंत्री बने।
इस दौरान Abraham Accords से लेकर कोरोना की रोकथाम तक, इज़रायल में नेतन्याहू सरकार ने अपनी लोकप्रियता में काफी इजाफ़ा किया है। अपनी स्थिति को मजबूत पाकर Netanyahu ने दोबारा Benny के साथ अपने गठबंधन को तोड़ने का फैसला लिया है। इस वर्ष जब दोनों पार्टियां साथ आई थीं, तो समझौते के अनुसार पहले 18 महीने तक नेतन्याहू को प्रधानमंत्री पद पर बने रहना था। हालांकि, अब चूंकि, गठबंधन सरकार गिर चुकी है, ऐसे में अगले साल मार्च में फिर से चुनाव होने वाले हैं।
वर्ष 2019 की शुरुआत से ही बिना बहुमत में होने के बावजूद तिगड़म लगा-लगा कर नेतन्याहू अब तक सरकार चलाने और अपनी पीएम पद की कुर्सी बचाने में सफल हो पाये हैं। अब देखना होगा कि आगामी वर्ष के चुनावों में वे अपनी कुर्सी बचा पाते हैं या नहीं!