शिक्षा वर्तमान दौर की सबसे बड़ी जरूरत है, जिसके जरिए समाज में परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसे में योगी सरकार ‘मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना’ के माध्यम से गरीब छात्र-छात्राओं को मुफ्त कोचिंग सुविधाओं के जरिए उत्तर प्रदेश में शैक्षणिक योग्यता की एक नई बयार चलाने के लिए काम करने वाली है। इस अभियान के जरिए सरकार समाज में बदलावों की उम्मीद भी कर रही है। इसीलिए योगी सरकार की इस नई योजना को रज़ा अकादमी जैसे मुफ्त शिक्षा देने वाली संस्थाओं के लिए एक नई चुनौती के रुप में देखा जा रहा है जो कि छात्रों के बिना किसी एजेंडे के शिक्षा का एक स्वस्थ माहौल देने वाली है।
रज़ा अकादमी एक ऐसी संस्था है जिसमें मुस्लिम युवाओं और बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जाती है। इस संस्था के लोगों का मानना है कि यदि समाज में अपनी कट्टर इस्लामिक विचारधारा का प्रचार-प्रसार करना है तो पहले शिक्षा के जरिए अपनी विचारधारा वाले लोगों को सरकार के उच्च पदों पर पहुंचाना होगा। इसीलिए अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को इस रज़ा अकादमी में मुफ्त शिक्षा दी जाती है। साथ ही उनका ब्रेनवॉश करके उनके मन में इस्लामिक कट्टरता भरी जाती है। फतवा निकालने से लेकर देश में वैक्सीन के विरोध तक में इस रज़ा अकादमी की बेहद ही मह्त्वपूर्ण भूमिका है।
ये केवल एक अकेली संस्था नहीं हैं जहां इस तरह का इस्लामिक कट्टरता की शिक्षा का गोरखधंधा होता है बल्कि अब तो इसके जैसी कई अन्य समानांतर संस्थाएं भी खड़ी हो गई है जिनकी देश में इस्लामिक कट्टरता के प्रसार में मह्त्पूर्ण भूमिका है। आईएएस और पीसीएस से जुड़ी यूपीएससी की परीक्षाओं में इस तरह की संस्थाओं के जरिए बड़ी मात्रा में इस्लामिक कट्टरता की विचारधारा पहुंच रही है।
इसके इतर उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने तय किया है कि वो प्रदेश में अब प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए छात्र-छात्राओं को मुफ्त शिक्षा प्रदान करेगी। इस ‘मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना’ के अंतर्गत प्रदेश के आईएएस, पीसीएस, आईपीएस स्तर के अधिकारी छात्रों को शिक्षा प्रदान करेंगे। वहीं एनडीए और सिविल सर्विसेज के लिए भी सरकार यही मुफ्त शिक्षा का प्रावधान करने वाली है। ये नई योजना बसंत पंचमी को लॉन्च की जाएगी। खबरों के मुताबिक इस योजना के सारे काम काज को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद ही मॉनीटर कर रहे हैं, जो इस बात का संकेत है कि प्रदेश सरकार इस मुद्दे पर काफी संवेदनशील है।
जी न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक युवाओं के लिए इस योजना के अंतर्गत सरकार एक एडवांस सॉफ्टवेयर भी डेवेलप कर रही है, जिस पर डिजिटल दुनिया से जुड़े जानकार पूरी निगरानी रख रहे हैं। इसके चलते प्रदेश के सभी बच्चों को सिविल सेवाओं की पढ़ाई के लिए कहीं भी बाहर नहीं जाना पड़ेगा, वो अपने घर पर ही इंटरनेट के जरिए काम उच्च स्तरीय सिविल सेवाओं की पढ़ाई कर सकेंगे। इस मामले में योगी सरकार का कहना है कि अपनी इस नीति के तहत वो प्रदेश के सभी गरीब छात्रों को सॉफ्टवेयर के जरिए मुफ्त शिक्षा उनकी सरकार ही देगी, और अब इससे कोई भी छात्र वंचित नहीं रह सकेगा।
योगी सरकार का शिक्षा को लेकर उठाया गया ये कदम प्रदेश के लिए सकारात्मक माना जा रहा है, क्योंकि उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर विपक्षियों द्वारा सबसे ज्यादा सवाल खड़े किए जाते हैं। साथ ही प्रदेश के छात्रों को अपनी उच्च शिक्षा के लिए अपना ही शहर छोड़कर दूसरे शहरों में रहना पड़ता है जो कि उनके लिए एक मुश्किलों का सबब होता है। इसीलिए योगी की इस नई योजना को मील का नया पत्थर तो माना ही जा रहा है, लेकिन इसके पीछे एक नए सामाजिक बदलाव की अवधारणा भी है जो कि आज की आवश्यकताओं में से एक हैं।
योगी सरकार की इस नई योजना को मुफ्त शिक्षा के नाम पर इस्लामिक कट्टरता वाली विचारधारा फैलाने वाली रज़ा अकादमी का काउंटर भी माना जा रहा है, जिस तरह रज़ा अकादमी से इस्लामिक एंजेडा देश के आईएएस और पीसीएस लेवल के अधिकारियों के दिमाग में भरा जाता है। उस पूरे एजेंडे की काट के लिए अब योगी सरकार ने इस मुफ्त शिक्षा वाली योजना को बल देने की नीति बनाई है। कई ऐसे छात्र हैं जो रज़ा अकादमी के इस्लामिक विचारधारा वाले जहर से परेशान हैं और वो वहां नहीं जाना चाहते हैं, लेकिन पैसों की मजबूरी में उन्हें न चाहते हुए भी वहां पढ़ाई के लिए जाना पड़ता है।
ऐसे में उन सभी गरीब बच्चों के लिए योगी सरकार ने एक ऐसा विकल्प दिया है जो कि किसी भी तरह की विचारधारा को बिना थोपे छात्रों को शिक्षा का एक सकारात्मक और स्वस्थ माहौल प्रदान करेगी, यहीं कारण है कि बुद्धिजीवियों द्वारा इस योजना के लिए बीजेपी और योगी सरकार की खूब तारीफ की जा रही है, जो कि पूर्णतः सही भी है।