जिनके खुद के घर शीशे के बने हों वो दूसरों के घर पर पत्थर नहीं फेंका करते… ये कहावत कांग्रेस नेता और पार्टी अध्यक्ष बनने का ख्वाब देख रहे राहुल गांधी पर बिल्कुल फिट बैठती है। उनके परिवार और पार्टी ने देश की सत्ता में लगभग 60 सालों तक शासन किया है, इसलिए वो जब भी कुछ बोलते हैं तो उनकी फजीहत पहले ही हो जाती है, क्योंकि वर्तमान में देश की सीमाओं पर जितने भी विवाद हैं वो लगभग कांग्रेस की ही देन हैं। ऐसा ही एक मुद्दा अरुणाचल प्रदेश से भी जुड़ा हैं जिस पर चीन ने कब्जा कर रखा है, लेकिन राहुल का तो अपना अलग ही अंदाज है।
दरअसल, ताजा सेटेलाइट तस्वीरों के मुताबिक चीन ने अरुणाचल प्रदेश के सुबानसिरी गांव की सीमा पर 4 किलोमीटर अंदर आकर 101 घर बना लिए हैं। खबरों के मुताबिक, 1 नवंबर 2020 को जो निर्माण दिख रहा है वो अगस्त 2019 के पहले था ही नहीं। इस पूरे मामले को लेकर राहुल गांधी प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ बयानबाजी करने लगे हैं। उन्होंने पीएम को उनका ‘मैं देश नहीं झुकने दूंगा’ वाला नारा याद दिलाया। राहुल ने देश की मोदी सरकार से इस मुद्दे पर साफगोई के साथ सारी ताजा जानकारी साझा करने की बात कही है। राहुल गांधी ने कहा, “चीन को जवाब देने से बात बनेगी, न कि हेडलाइन मैनेजमेंट से। अगर भारत ने चीन को स्पष्ट जवाब नहीं दिया तो वह इसका लाभ उठाना चाहेगा। मैं इस मुद्दे को भारत सरकार तक पहुंचाता हूं।”
इस मुद्दे पर बीजेपी ने अपने स्तर राहुल गांधी को घेरा है, लेकिन खास बात ये है कि पूर्व राजनीतिज्ञों और सैन्य अधिकारियों ने राहुल गांधी के इस बयान पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि चीन ने अरुणाचल के इस इलाके पर 1959 में ही कब्जा कर लिया था लेकिन तब वहां किसी भी तरह का निर्माण नहीं किया गया था, जो कि अब किया गया है। इस कारण इसे विवाद बनाया जा रहा है। उन सभी का कहना है कि ये ठीक इसी तरह की स्थिति है जैसा पीओके और अक्साई चीन की थी। भारत इस मामले में सीपैक की तरह विरोध दर्ज करा सकता है लेकिन इस मुद्दे पर बातचीत के जरिए ही हल निकाला जा सकता है।
वहीं, इस मुद्दे पर विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। मंत्रालय के प्रवक्ता की तरफ से कहा गया है कि उनकी सीमा पर हो रही प्रत्येक स्थिति पर पैनी नजर है और सेनाएं सीमाओं की सुरक्षा और संप्रभुता को बनाए रखने में हमेशा तैयार रहती हैं। इसलिए देश के प्रत्येक नागरिक को किसी भी प्रकार की चिंता नहीं करनी चाहिए। चीन के इस मामले मे देश के प्रबुद्ध जनों से लेकर विदेश मंत्रालय तक के बयान आ गए, और जब भेद खुला तो लानत-मलामत की उनके ही परिवार की होने लगी क्योंकि पूरा वाक्या 1959 का है जब देश की कमान पीएम के रूप में पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के हाथों में थी।
राहुल गांधी को मोदी सरकार के खिलाफ बोलने के लिए कुछ मिल नहीं रहा है, इसलिए वो अब अपनी ही पंजाब सरकार द्वारा प्रयोजित किसान आंदोलन और चीन के मुद्दे पर बात करते रहते हैं, लेकिन उनकी बड़ी मुश्किल ये है कि इस पूरे खेल में उनकी राजनीतिक परिपक्वता सामने आ जाती है। इस बार भी चीन के मुद्दे को उठाकर राहुल ने एक बार फिर उड़ता तीर उछल कर पकड़ लिया, लेकिन अब वही तीर कांग्रेस के लिए मुसीबत का सबब बन गया है। उन्होंने तो बीजेपी पर हमला बोलने के लिए ये मुद्दा उठाया था, लेकिन अब उनसे और उनकी ही पार्टी से ही इस मुद्दे पर तीखे सवाल पूछे जा रहे हैं।
ऐसे में संभव है कि राहुल एक बार फिर इस मुद्दे से बचने के लिए कोई दूसरा मुद्दा उठा लाएंगे, और फिर उसमें भी कांग्रेस की गलतियां निकलेंगी, क्योंकि कांग्रेस खुद को राष्ट्रवादी दिखाने की कोशिश तो करती है लेकिन असल में उसकी पीठ पर इतनी अनैतिक गतिविधियों का भार है कि हर बार सवाल मोदी से होकर भी विपक्ष की ही ओर घूम जाता है।