पिछले करीब 1 साल से कोरोना से जूझ रही पूरी दुनिया के लिए Vaccines राहत की खबर लेकर ज़रूर आई हैं, लेकिन इसके साथ ही सिर्फ 1 साल के कम समय में विकसित की गयी इन Vaccines को लेकर दुनिया में इनके प्रति अविश्वास की भावना भी देखने को मिल रही है। अभी तक अमेरिका, रूस, चीन और भारत जैसे देश ही वैक्सीन का विकास कर पाने में सफ़ल साबित हुए हैं। अभी वैक्सीन की दौड़ में अमेरिका की Moderna और Pfizer, रूस की Sputnik, चीन की CoronaVac और SinoPharm वैक्सीन शामिल हैं। इसके साथ ही Oxford-AstraZeneca द्वारा Serum Institute of India के साथ मिलकर बनाई जा रही Covidshield वैक्सीन और भारत बायोटेक द्वारा विकसित Covaxine भी इस दौड़ में शामिल हैं।
शुरुआती दौर में अगर इन vaccines का एक तुलनात्मक अध्यन्न किया जाये, तो अभी तक भारत की इन दो vaccines को छोड़कर बाकी दुनिया की सभी vaccines को लेकर विवाद शुरू हो चुका है। विश्वसनीयता के पैमाने पर अभी तक सिर्फ भारत की वैक्सीन ही खरी उतरती दिखाई दे रही है, जिसके कारण दुनियाभर में कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारत में बनी vaccines की मांग में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है।
बता दें कि दुनिया में आधिकारिक तौर पर कोरोना की पहली वैक्सीन जारी करने वाला रूस अभी तक अपनी वैक्सीन को लेकर दुनिया में विश्वास पैदा नहीं कर पाया है। क्योंकि रूस भारत या अमेरिका की तरह एक परिपक्व लोकतन्त्र नहीं है, ऐसे में वहाँ से Sputnik V के side effects से संबन्धित कोई भी खबर आसानी से बाहर नहीं आ सकती। इतना ही नहीं, रूस की Sputnik V वैक्सीन को लेकर experts भी डेटा में पारदर्शिता की कमी का हवाला देकर अपनी चिंता जता चुके हैं। पारदर्शिता की कमी होने के चलते ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अगस्त महीने में रूसी वैक्सीन को अपनी अनुमति देने से साफ इंकार कर दिया था। इतना ही नहीं, Sputnik V को लेकर रूस, मध्य एशिया से बाहर किसी बड़े बाज़ार में कोई खास उत्साह देखने को नहीं मिल रहा है।
यही हाल चीनी वैक्सीन का है! चीन की Sinopharm वैक्सीन को चीन में इस्तेमाल के लिए पहले ही मंजूरी मिल चुकी है, जिसके बाद इस बात की आशंका लगाई जा रही है कि वैक्सीन के कारण इसे इस्तेमाल करने वालों में 73 प्रकार के side effects देखने को मिल सकते हैं। हाल ही में जाने-माने चीनी वैक्सीन एक्सपर्ट Tao Lina ने चीनी वैक्सीन को इसी आधार पर दुनिया की सबसे घटिया वैक्सीन भी घोषित किया था। इसके अलावा विवादों के बीच कंपनी के चेयरमैन और डायरेक्टर ने अपने पद से इस्तीफ़ा भी दे दिया है। साथ ही साथ, चीन की दूसरी वैक्सीन CoronaVac भी ब्राज़ील के ट्रायल में फुस्स साबित हो चुकी है। ब्राज़ील द्वारा सूत्रों के हवाले से जारी किए गए आंकड़ों में उसकी efficacy महज़ 50 प्रतिशत ही दर्ज की गयी थी। इस खबर के सामने आने के बाद दोबारा दुनिया का दोनों चीनी Vaccines पर से विश्वास उठ गया है।
वैक्सीन की रेस में जो दो नाम सबसे विश्वसनीय बताए जा रहे थे, वो भी अब दम तौड़ते नज़र आ रहे हैं। अमेरिका की Moderna और Pfizer, दोनों Vaccines लगातार सामने आ रहे side effects को लेकर चर्चा में हैं। Moderna के इस्तेमाल को हाल ही में अमेरिका के California राज्य ने प्रतिबंधित कर दिया, क्योंकि इस्तेमाल के बाद कई लोगों में खतरनाक side effects सामने आ रहे थे। अभी तक 10 लोगों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा है और स्थानीय regulators ने किसी और वैक्सीन के इस्तेमाल की सलाह दी है। इसी प्रकार से Pfizer vaccines के इस्तेमाल के बाद तो लोगों के मरने तक की खबर सामने आ रही है। नॉर्वे में अब तक 29 लोगों की वैक्सीन लगने के बाद मौत हो चुकी है। अब तक 25000 लोगों का टीकाकरण हो चुका है। मौत अधिकांश उन लोगों की हुई है जिनकी आयु 75 वर्ष से अधिक है।
ऐसे में अब दुनिया में अगर कोई विश्वसनीय vaccines बचीं हैं तो वे बस भारत की Covidshield और Covaxine ही हैं। भारत में अब तक करीब 4 लाख लोगों का टीकाकरण किया गया है, जिनमें से चुनिन्दा लोगों में से ही हल्के-फुल्के side effects देखने को मिले हैं। भारत की उन्नत वैक्सीन तकनीक के कारण दुनियाभर में भारत की वैक्सीन को लेकर विश्वास की भावना भी अधिक है। ऐसे में अब दुनिया सुरक्षित और किफ़ायती वैक्सीन के लिए अब सिर्फ भारत की ओर ही देख रही है। वैक्सीन रेस में भारत अगर इसी प्रकार अपना प्रभाव जमाये रखता है, तो इससे ना सिर्फ भारत के pharma उद्योग का बड़ा आर्थिक फायदा होगा, बल्कि इससे भारत की सॉफ्ट पावर भी कई गुना बढ़ जाएगी!