पाकिस्तान, चीन और ईरान जैसे देशों में जहां सरकारें फेसबुक और ट्विटर जैसी सोश्ल मीडिया साइट्स को प्रतिबंधित करने के लिए खबरों में रहती हैं, तो वहीं अमेरिका जैसे लोकतान्त्रिक देश में ये Social Media दिग्गज एक मौजूदा राष्ट्रपति को ही प्रतिबंधित करने में लगी हैं। अमेरिका के Capitol Hill में हुई हिंसा के बाद ट्विटर, फेसबुक, गूगल और Amazon जैसे दिग्गजों ने डोनाल्ड ट्रम्प और उनके समर्थकों को प्रतिबंधित करने का फैसला ले लिया है। उदाहरण के लिए ना सिर्फ राष्ट्रपति ट्रम्प को इन सभी platforms से प्रतिबंधित किया जा चुका है, बल्कि बाकी दक्षिणपंथी नेताओं के ट्विटर फोलोवर्स को भी कम किया जा रहा है। इस सब के बाद अब भारत में भाजपा के कई नेताओं और सांसदों ने ट्विटर और बाकी social मीडिया कंपनियों पर नकेल कसने के लिए मुहिम छेड़ दी है।
This is how you create an echo chamber… pic.twitter.com/aPDA37qKS0
— Mike Pompeo (@mikepompeo) January 9, 2021
ट्विटर से अमेरिकी राष्ट्रपति को प्रतिबंधित किए जाने के बाद Bangalore (दक्षिण) से भाजपा सांसद और भाजपा युवा मोर्चा के अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या ने ट्वीट किया “अगर ट्विटर अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ ऐसा कर सकता है, तो किसी के साथ भी कर सकता है”। सूर्या ने यह भी कहा कि अमेरिका में जो हुआ, वह भारत में खतरे की घंटी के रूप में देखा जाना चाहिए!
I'd urged govt to repeal IT Intermediaries Guidelines Rules during Zero Hr in Parliament
Intermediaries, as per their definition, can't interfere in content on Social Media platforms. But Rules thereunder say otherwise
This anomaly must be addressed immediately#RegulateBigTech pic.twitter.com/kCyFIdnoAs
— Tejasvi Surya (ಮೋದಿಯ ಪರಿವಾರ) (@Tejasvi_Surya) January 9, 2021
इसी के साथ BJP के IT सेल डिपार्टमेन्ट के In-charge अमित मालवीय ने भी ट्विटर पर जोरदार हमला बोला! उन्होंने कहा कि एक sitting राष्ट्रपति को इस तरह प्रतिबंधित करना एक खतरनाक मिसाल पेश करता है। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग फ्री स्पीच का चैम्पियन होने का दावा करते हैं, वे ही इसे celebrate कर रहे हैं।
भारत में भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पहले ही निजता के उल्लंघन और दक्षिणपंथी विरोधी मानसिकता के प्रदर्शन के लिए ट्विटर और फेसबुक को आड़े हाथों ले चुकी है। पिछले वर्ष ही मीनाक्षी लेखी के नेतृत्व वाली एक संसदीय समिति ने इन सभी टेक कंपनियों को आकर अपनी सफाई देने को कहा था और भारत में बनने जा रहे नए data protection bill के लिए अपना समर्थन देने के लिए कहा था।
अमेरिका भी जो भी टेक कंपनियों का यह कबाल कर रहा है, वह वाकई में भारत सरकार के लिए एक wake up call है। ये टेक दिग्गज लोकतन्त्र का फायदा उठाकर किस प्रकार अपनी तानाशाही को स्थापित कर सकते हैं, ये पूरे विश्व ने देख लिया है। ऐसे में भारत सरकार को जल्द से जल्द ऐसे सख्त नियम बनाने की ज़रूरत है, ताकि ट्विटर और फेसबुक जैसी कंपनियाँ भारत में यह Online तख़्तापलट ना कर पाएँ!