बाइडन भले ही अमेरिका के राष्ट्रपति हों, परंतु वह विदेशी नीति के मामले में डोनाल्ड ट्रम्प की नीतियों से इतर नहीं जा सकते। जिस प्रकार से बाइडन चाहकर भी कुछ क्षेत्रों में अपनी मनमानी नहीं कर सकते, उससे स्पष्ट संदेश जाता है कि भले ही Biden शासन में हो, पर सिक्का अभी भी डोनाल्ड ट्रम्प का चल रहा है।
लेकिन यह कैसे संभव है? इसके लिए हमें कुछ उदाहरणों पर प्रकाश डालना होगा, जैसे ईरान।Biden ईरान के साथ अपने संबंधों को बहाल करना चाहते हैं, खासकर परमाणु समझौते के विषय में। लेकिन ये उतना भी आसान नहीं है जितना बाइडन सोच रहे हैं। ईरान की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है कि वो अमेरिका के साथ बातचीत करे, और अगर उसे संबंध बहाल करने भी है, तो अमेरिका को ईरान पर लगे सैंक्शन भी हटाने लगे हो, जो बिल्कुल भी आसान काम नहीं है।
लेकिन बाइडन द्वारा ईरान से सैंक्शन हटाना खतरे से खाली नहीं होगा। ईरान का इतिहास रहा है कि वह परमाणु समझौतों पर अमल नहीं करता, और यह बात कई वर्षों तक उपराष्ट्रपति रह चुके जो बाइडन भी भली भांति जानते हैं। ऐसे में Biden चाहकर भी ईरान के साथ अपने संबंध पहले जैसे नहीं कर सकते।
लेकिन Biden की दुविधाएँ यहीं पे खत्म नहीं होती। बाइडन जितने उदारवादी ईरान के लिए बन रहे हैं, उतना ही वह तुर्की के लिए भी चाहते होंगे। लेकिन यदि वे वास्तव में ऐसा करते हैं तो उनकी घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बराबर किरकिरी होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि Biden ने स्वयं कुछ समय पहले कहा था कि एरदोगन को उसकी नौटंकियों का हिसाब देना ही होगा। इसके अलावा ट्रम्प ने पहले से ही सैंक्शन लगा रखे हैं, और यदि बाइडन अभी तुर्की पे नरम हुए, तो ऐसा प्रतीत होगा कि बाइडन थाली के बैंगन समान है, जिनकी एक निश्चित नीति तो बिल्कुल नहीं है।
लेकिन पश्चिमी एशिया को अलग रखें, तो भी बाइडन ट्रम्प की नीतियों को पूरी तरह ध्वस्त नहीं कर सकते। बाइडन ने चुनाव के दौरान रूस और उत्तरी कोरिया को देख लेने का वादा किया था। लेकिन इस विषय पर बाइडन आखिर क्या कदम उठा सकते हैं? शायद कुछ भी नहीं।
ऐसा इसलिए है, क्योंकि डोनाल्ड ट्रम्प ने पहले ही उत्तरी कोरिया की अर्थव्यवस्था को दुनिया से अलग थलग करने में सफलता पाई है। मॉस्को के मामले में भी ट्रम्प ने नए सैंक्शन लगाए थे। ऐसे में बाइडन के कार्रवाई करने का वादा किसी खोखले वादे से कम नहीं कहलाया जा सकता।
ट्रम्प ने अमेरिका के विरोधियों के लिए जो जाल बिछाया था, उसमें वो विरोधी फंस चुके हैं, और उन्हे चाहकर भी Biden छुड़वा नहीं सकते। ट्रम्प ने जाते जाते अमेरिका की विदेश नीति ऐसी तय की है कि यदि Biden इससे ज़रा भी इतर हुए, तो देश को बहुत ज्यादा नुकसान होगा, और बाइडन किसी भी स्थिति में अपनी बलि चढ़ाने से पहले दस बार सोचेंगे।