चीन पर भरोसा करना कितना ज्यादा खतरनाक हो सकता है, ये अब पाकिस्तान को पता चलने लगा है। इसीलिए अब पाकिस्तान चीनी परियोजना ‘चीन पाक इकोनॉमिक कॉरिडोर’ के नाम पर ठगा हुआ महसूस कर रहा है। चीन पाकिस्तान को इन सभी योजनाओं के लिए 2017 से कोई पैसा नहीं दे रहा है, जिससे पाकिस्तान का सब्र अब जवाब देने लगा है क्योंकि चीन पाकिस्तान की मदद तो नहीं कर रहा लेकिन वो पाकिस्तान पर पहले से ज्यादा कंट्रोल कर रहा है। ऐसे में स्थिति कुछ यूं बदल सकती है कि जिसमें चीन को पाक समर्थित आतंकवाद का सामना करना पड़े और ये चीन के लिए बड़ा झटका होगा।
किसी को भ्रमित करने की भी एक सीमा होती है, और पाकिस्तान की चीन के प्रति वो सीमा पार हो चुकी है। चीन पाकिस्तान में चीन पाक इकोनॉमिक कॉरिडोर की परियोजना के जरिए दक्षिण एशिया में अपनी धाक जमाना चाहता था और भारत के लिए चुनौतीपूर्ण स्थितियां पैदा करना चाहता था, लेकिन पाकिस्तान की जर्जर स्थिति और कोरोना के बाद आई कंगाली के बीच अब एक बुरी खबर सामने आई है कि चीन इस परियोजना के लिए पाकिस्तान को पैसे ही नहीं दे रहा है, जिसके बाद पाकिस्तान के योजना मंत्रालय में परिवहन योजना के प्रमुख सीनेटर सिकंदर मंदरू ने काफी बड़ी बातें कही हैं।
पाकिस्तानी सीनेटर ने अपने खुलासे में बताया है कि चीन द्वारा 2017 से परियोजना के लिए कोई पैसा नहीं दिया गया है। इस मामले में परिवहन योजना के प्रमुख सीनेटर सिकंदर मंदरू ने समिति की बैठक के दौरान कहा कि CPEC की फंडिंग नहीं होने के कारण खुजदार-बसीमा परियोजना सहित कुछ परियोजनाओं को संघीय वित्तीय कोषों से बाहर किया जा रहा था। पाकिस्तान के लगभग सभी अधिकारियों और मंत्रियों में चीन के प्रति गुस्सा व्याप्त है। उनका ये भी कहना है कि चीन पाकिस्तान में अपना कंट्रोल भी बढ़ाता जा रहा है।
पाकिस्तान और चीन ने मिलकर 2015 में चाइना पाक इकॉनमिक कॉरिडोर की परियोजना की शुरुआत की थी। वहीं, अब इससे इतर इस योजना को लेकर समिति के सदस्य सीनेटर कबीर अहमद शाही का कहना है कि इस योजना के लिए चीन ने केवल कागजी कार्रवाई ही की है, जमीनी स्तर पर कुछ भी नहीं किया। उन्होंने कहा, “परियोजना इस तरह से शुरू हुई कि एक चौकीदार के साथ एक तम्बू लगाया गया था। न्यू ग्वादर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के चारों ओर की बाड़ एक जर्जर इमारत है।”
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इस CPEC परियोजना के जरिए चीन पूरे पाकिस्तान पर अपना कंट्रोल बढ़ाता जा रहा है। पाकिस्तान के लोगों का तो यहां तक कहना है कि इस परियोजना के लिए चीन अपनी ‘स्लो-पॉलिसी’ का पालन कर रहा है। एशिया निक्की की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तानी कैबिनेट कमेटी लगातार चीनी मंत्रियों से पैसे को लेकर विनतियां कर रही है लेकिन चीन अब इस पर ज्यादा ध्यान न देते हुए पकिस्तान को अपने टुकड़ों पर पलने के लिए मजबूर कर रहा है, जिससे पाकिस्तान में चीन का कंट्रोल बढ़ता जा रहा है, और ये वहां चीन के प्रति गुस्से को जन्म दे रहा है।
वास्तव में पाकिस्तान अब अपने आप को ठगा महसूस कर रहा है। उसे लगा था कि उसे इस परियोजना से लाभ होगा और विकास की गंगा बहेगी, लेकिन चीन से दोस्ती के चलते वो बदहाली के गढ्ढे में गिरता जा रहा है और वहां के लोगों की स्थिति चौराहे पर भीख मांगने वाली बनती जा रही है। ऐसे में पाकिस्तान अब चीन के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है क्योंकि पाक समर्थित आतंकी अपने मुल्क के साथ हुई इस धोखाधड़ी के लिए चीन को तगड़ी मुसीबत में डाल सकते हैं।
चीन ने अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हुए जिन पाकिस्तान समर्थित आतंकियों को संरक्षण दिया था, वो सभी अब चीन की धोखाधड़ी के बाद चीन पर किसी भेड़िए की तरह टूट सकते हैं, जिनसे पार पाना चीन के लिए मुश्किल होगा।