Newsclick मीडिया हाउस पर पहले ही प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जाँच चल रही है, और अब इसे लेकर एक नया खुलासा हुआ है। नई खबर के अनुसार Newsclick ने CPI की IT सेल और गौतम नवलखा जैसे नक्सलवादियों को मनी लांड्रिंग के जरिये 30 करोड़ रुपये की मदद पहुंचाई है।
गौतम नवलखा को Newsclick ने 20.53 लाख रुपये की दिए, और अब ED इस मामले की जांच कर रही है। ED की ओर से जाँच में शामिल एक अधिकारी ने बताया है कि “नवलखा को लॉन्ड्रिंग के जरिये दी गई पूरी रकम (30 करोड़) में से ही उसको हिस्सा मिला था। और क्योंकि वह पहले से जेल में है, इसलिए हम कोर्ट की इजाजत से उससे पूछताछ करेंगे”
इसके अलावा CPI IT सेल के एक सदस्य बप्पादित्य सिंह, जो कई वरिष्ठ CPI नेताओं का एकाउंट भी देखते है, उनको भी Newsclick ने 52.09 लाख रुपये दिए। The Print की रिपोर्ट में किसी सूत्र के हवाले से बताया गया है ” बप्पादित्य सिंह, जो Newsclick में एक शेयर धारक भी है, जिसको विदेश से आने वाले धन में एक बड़ा हिस्सा मिला, हमें शक है कि यह उसे CPI(M) के सोशल मीडिया हैंडल को चलाने के लिए मिला था।”
ED ने जब Newsclick पर कुछ दिनों पूर्व छापा मारा था तो भारत का लिबरल तबका मीडिया की स्वतंत्रता के नाम पर उसके पक्ष में उतर गया था। Newsclick के एडिटर इन चीफ प्रबीर पुरकायस्थ के घर हुई छापेमारी को स्वतंत्र पत्रकारिता पर हमला करार दिया गया, जबकि असल मुद्दे, अर्थात विदेशों से हुई मनी लांड्रिंग, को चर्चा से बिल्कुल गायब कर दिया गया।
ED के अनुसार यह 30 करोड़ रुपये अमेरिका स्थित किसी फर्जी कंपनी के जरिये दिए गए हैं। एक सूत्र ने बताया “धन, कई कंपनियों के जरिये आया है लेकिन अभी किसी कंपनी की पुख्ता जानकारी नहीं मिली है। ये सभी चार्टर्ड अकाउंटेंट कंपनियां है और सभी ‘अमेरिका के इलिनॉइस, के पते पर पंजीकृत हैं।”
जैसे ही Newsclick पर ED की रेड हुई एडिटर्स गिल्ड, प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया के अलावा The WIRE और The Quint जैसे कथित मीडिया संस्थान और बेरोजगार रहने वाले अथवा स्वरोजगार पर जीने वाले वामपंथी रुझान के कथित स्वतंत्र पत्रकारों के समूह ने रेड की आलोचना शुरू कर दी। उन्होंने यह आरोप लगाया कि Newsclick ने किसान आंदोलन पर सरकार विरोधी रिपोर्टिंग की है इसके लिए उसके विरुद्ध बदले की कार्रवाई की गई है। एडिटर्स गिल्ड ने बयान जारी कर कहा कि उन्हें भय है कि ऐसी रेड, सरकार विरोधी पत्रकारिता के खिलाफ डराने के उद्देश्य से इस्तेमाल न हों।
हास्यास्पद है कि जब भी भारत सरकार द्वारा नक्सलियों, आतंकियों और देश विरोधी तत्वों पर कार्रवाई करती है तो मीडिया का एक विशेष तबका छटपटाने लगता है। ऐसे लोगों को देश में फैली अराजकता, टकराव और कुछ विशेष तबकों की हिंसा में लोकतंत्र की मजबूती दिखती है और सरकार का देशविरोधी तबकों पर कार्रवाई करना लोकतंत्र पर हमला लगता है।