महुआ मोइत्रा ने पूर्व CJI रंजन गोगोई के बारे में की भद्दी टिप्पणी, अब मुश्किलें बढ़ी!

रंजन गोगोई के खिलाफ टिप्पणी करना महुआ को पड़ा भारी

TMC की बड़बोली सांसद महुआ मोइत्रा ने इस बार अपनी सीमाएँ लांघ दी है। पीएम मोदी की सरकार को नीचा दिखाने की जद्दोजहद में वह पूर्व न्यायाधीश को अपशब्द सुनाने लगी, जिसपर अब केंद्र सरकार कार्रवाई भी कर सकती है। बता दें कि राष्ट्रपति के अभिभाषण के विषय पर पीएम मोदी ने अभिवादन प्रस्ताव दिया था, जिसके जवाब में महुआ ने अपने विचार प्रस्तुत किये। लेकिन महुआ को केंद्र सरकार को नीचा दिखाने के अलावा और कोई एजेंडा तो था ही नहीं, सो उन्होंने विष उगलना शुरू कर दिया। महुआ के अनुसार, “भारत का आज यह दुर्भाग्य नहीं कि उसकी सरकार ने उसे धोखा दिया, बल्कि यह कि मीडिया और न्यायपालिका ने उसे धोखा दिया। जो न्यायपालिका कभी गाय जितनी पवित्र मानी जाति थी, अब वो पवित्र नहीं रही।”

हालांकि यह तो बस शुरुआत थी, क्योंकि महुआ ने इसके बाद पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को निशाने पर लेते हुए कहा, “न्यायपालिका उसी दिन अपवित्र हो गई, जिस दिन एक मुख्य न्यायाधीश पर यौन शोषण का गंभीर आरोप लगाया। लेकिन उसने न इस्तीफा दिया, न ही वह अपने मुकदमे से दूर रहा, और तो और जेड प्लस सेक्युरिटी के साथ रिटायर होने के तीन महीने बाद ही राज्य सभा की सदस्यता भी मिल गया। ये न्यायपालिका उसी दिन अपवित्र हो गई जिस दिन संविधान की मर्यादा को तार तार करने वाले निर्णय लिए गए”

यहाँ पर महुआ का इशारा स्पष्ट तौर पर रंजन गोगोई पर लगे यौन शोषण के आरोपों और उनके नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सर्वसम्मति से श्रीरामजन्मभूमि परिसर के पुनर्निर्माण के पक्ष में लिए गए निर्णय की ओर था। रंजन गोगोई पर लगे आरोपों की जांच पड़ताल में पाया गया कि याचिकाकर्ता ने कुछ लोगों के दबाव में आके यह निर्णय लिया। परंतु जिस प्रकार से महुआ मोइत्रा ने यह मामला उछाला, उससे स्पष्ट पता चलता है कि वह आखिर में न्यायपालिका और लोकतंत्र के प्रति कितना सम्मान रखती है।

लेकिन केंद्र सरकार भी इस बार उन्हे हल्के में नहीं लेने वाली। संसदीय मंत्री प्रह्लाद जोशी के अनुसार सरकार अब महुआ के विरुद्ध निंदा प्रस्ताव यानि privilege motion ला सकती है। यदि ऐसा होता है तो केंद्र सरकार के पास कानूनी तौर पर पूरा समर्थन प्राप्त है, क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 121 के अनुसार किसी भी न्यायाधीश पर अनावश्यक बयानबाजी संसद में नहीं की जा सकती, सिवाय तब जब किसी न्यायाधीश के हटाए जाने की बात चल रही हो।

लेकिन यह महुआ जैसी बड़बोली सांसद के लिए कोई नई बात नहीं है। चूंकि महुआ अपनी बातें अधिकतर अंग्रेज़ी में बोलती है, इसलिए उन्हे न सिर्फ जरूरत से ज्यादा महिमामंडित किया जाता है, बल्कि वामपंथी मीडिया उनके बचाव में भी उतर आती है। उदाहरण के लिए लोकसभा में आते ही मोहतरमा ने पीएम मोदी को फासीवादी ठहराने के चक्कर में एक लंबा चौड़ा भाषण दिया, लेकिन वह बाद में चोरी का भाषण निकला ।

इसके अलावा महुआ ने 26 जनवरी से कुछ दिन पहले वामपंथियों की टोली में सबसे आगे बढ़कर राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द को सिर्फ इस बात के लिए अपमानित किया, क्योंकि उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की ‘गलत’ तस्वीर का संसद में अनावरण किया। इसके पीछे महुआ ने रामनाथ कोविन्द पर रामजन्मभूमि परिसर के लिए पुनर्निर्माण को 5 लाख रुपये का दान देने पर भी तंज कसा। लेकिन बाद में यही सिद्ध हुआ कि जिस तस्वीर का अनावरण राष्ट्रपति ने संसद में किया था, वो वास्तव में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर थी, और वामपंथी ब्रिगेड फालतू में हो हल्ला कर रही थी।

ऐसे में अब महुआ ने पूर्व न्यायाधीश रंजन गोगोई के विरुद्ध अनर्गल प्रलाप कर अपनी शामत ही बुलाई है, और केंद्र सरकार को ऐसे कदम उठाने चाहिए कि भविष्य में कोई महुआ जैसी हरकत करने से पहले दस बार सोचे।

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