अमेरिकी लिबरल मीडिया ने किस प्रकार पिछले वर्ष चुनावों के दौरान वामपंथी विचारधारा को आगे बढ़ाने और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ माहौल बनाने के लिए एजेंडा चलाया था, वह एक बार फिर एक्स्पोज़ हुआ है। दरअसल, अब Washington Post ने अपनी दो महीने पुरानी एक खबर में एक बड़ा “सुधार” किया है, जिसमें यह दावा किया गया था कि ट्रम्प ने फोन कॉल कर जॉर्जिया राज्य के चुनावी अधिकारियों को उनके लिए votes खोजने के लिए प्रेरित किया था, और बदले में उन्हें “National Hero” बनाने का वादा किया था। हालांकि, अब Washington Post ने अपनी गलती मानते हुए खबर में कुछ बदलाव किए हैं, जिससे यह स्पष्ट हुआ है कि ट्रम्प ने ऐसा कुछ कभी कहा ही नहीं था।
11 मार्च को WaPo ने अपनी इस रिपोर्ट में बदलाव किया। उस रिपोर्ट के मुताबिक ट्रम्प ने ना सिर्फ चुनावी अधिकारियों को उनके पक्ष में काम करने के लिए धमकाया बल्कि उन्हें ऐसा करने के बदले फायदे पहुंचाने के भी पेशकश की। Washington Post की उस स्टोरी के आधार पर तमाम लिबरल मीडिया ने ट्रम्प को बदनाम कर उनके खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश की थी। हालांकि, अब Washington Post ने इस खबर से अपने हाथ वापस खींच लिए हैं।
वॉशिंगटन पोस्ट ने गुरुवार को अपनी गलती को सार्वजनिक तौर पर छापते हुए लिखा कि इस रिपोर्ट के दो महीने बाद जॉर्जिया के स्टेट सेक्रेटरी ने डोनाल्ड ट्रम्प और चुनाव अधिकारी की बातचीत का ऑडियो जारी किया है। इस रिकॉर्डिंग के मुताबिक, वॉशिंगटन पोस्ट में ट्रम्प को लेकर किया गया दावा गलत साबित होता है। वॉशिंगटन पोस्ट के सुधार के मुताबिक, ट्रम्प ने अधिकारी को ‘धोखाधड़ी का पता लगाने’ के लिए नहीं कहा था ना ही ये कहा था कि अगर वे ऐसा करती हैं तो वे “नेशनल हीरो” होंगी।
Whn Editorial n Journalistic prejudice “trumps” truth at even the @washingtonpost 🤷🏻♂️🤷🏻♂️😅 pic.twitter.com/Kq2hLspvsD
— Rajeev Chandrasekhar 🇮🇳(Modiyude Kutumbam) (@Rajeev_GoI) March 16, 2021
हैरानी की बात तो यह है कि Washington Post ने अपने इस सुधार के बाद एक बार भी माफी नहीं मांगी है और इस झूठी खबर का सारा ठीकरा अपने “सूत्रों” पर फोड़ दिया है।
इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प ने भी अपने कुछ बयानों में WaPo की इस झूठी खबर की पोल खोलते हुए यह साफ किया था कि उन्होंने कभी जॉर्जिया के अधिकारियों पर उनका पक्ष लेने का दबाव नहीं बनाया। सोमवार को सामने आए बयान में ट्रम्प ने WaPo को सुधार करने के लिए धन्यवाद भी किया है। हालांकि, इस बार Washington Post की गलती कुछ ऐसी है कि यहाँ सिर्फ एक सुधार जारी करने से WaPo की लगाई आग पर पानी नहीं डाला जा सकता। WaPo ने अपनी मनगढ़ंत कहानी से ट्रम्प और ट्रम्प के समर्थकों के बीच खाई पैदा करने की कोशिश की थी। एक तरफ जहां ट्रम्प चुनावों में धांधली होने का दावा कर रहे थे, तो वहीं WaPo के इस लेख से यह संदेश गया था कि ट्रम्प “चुनावों में धांधली” के विचार को जान-बूझकर आगे बढ़ा रहे थे और वे इसके लिए अधिकारियों को धमका रहे थे।
ट्रम्प के खिलाफ Washington Post की झूठी खबर सामने आने के बाद बेशक इस अखबार की दुनियाभर में थू-थू हो रही हो, लेकिन Washington Post का इतिहास कुछ कम विवादित नहीं रहा है। वर्ष 2011 में Washington post अपने “China Watch” सेक्शन के कारण विवादों में आया था। तब आलोचकों का कहना था कि इस सेक्शन के तहत यह अखबार चीनी सरकार से पैसे लेकर चीनी एजेंडे को आगे बढ़ाता है जबकि उसके नीचे के “Paid Content” के डिस्क्लेमर को इतना छोटा कर दिया जाता है कि वह पाठकों को दिखाई ही नहीं देता है।
Washington पोस्ट अमेरिका के सबसे विवादित अखबारों में से एक है और ट्रम्प के खिलाफ इस झूठे अभियान के बाद अब इस अखबार का असल चेहरा फिर सबके सामने आया है। हालांकि, बाइडन के सत्ता में आने के बाद इस अखबार की प्रवृत्ति में कोई बदलाव होने के अनुमान कम ही हैं।