पहले पुतिन के हाथों हुई बेइज्जती को बाइडन ने छुपाया था, अब चीन के हाथों हुई बेइज्जती को वो सबसे छुपा रहे हैं

सच कितना भी छुपाओ सामने आ ही जाता है!

बाइडन

PC: THE COURIER

डेमोक्रेटिक पार्टी पूरे चुनाव अभियान में ट्रम्प प्रशासन को अपारदर्शी बताती रही  और वादा करती रही कि उनका प्रशासन बिल्कुल पारदर्शी रहेगा। किंतु ‘लोकतंत्र के मसीहा’ होने का दावा करने वाला अमेरिकी उदारवादी दल, चीन के साथ हुई वार्ता के बाद बैकफूट पर है। यही कारण है कि डेमोक्रेटिक प्रशासन चीन के साथ हुई वार्ता को पूरी पारदर्शिता के साथ दुनिया के सामने नहीं ला रहा। इस प्रकार बाइडन प्रशासन पारदर्शिता के मुद्दे पर भी अमेरिकी जनता से वादा खिलाफी कर रहा है।

दअरसल, चीन की बात आते ही बाइडन प्रशासन के हाथ पांव फूलने लगते हैं। बाइडन जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं कि चीन के साथ अमेरिका के रिश्ते सुधरें, लेकिन चीन उनकी कमजोर विदेश और सामरिक नीति का फायदा उठाकर अमेरिका को और पीछे धकेलने की कोशिश में है। बाइडन यह नहीं चाहते कि यह बात अमेरिकी जनता के सामने खुलकर आ जाए, यही कारण है कि उनका प्रशासन इस वार्ता को सेंसर कर रहा है।

इसके बाद भी इस वार्ता से जुड़ी खबर मीडिया में लीक हो गई। कई वरिष्ठ अमेरिकी पत्रकार इसको लेकर बात कर रहे हैं। अमेरिकी मीडिया में चल रही खबरों के अनुसार चीन ने अमेरिका को मानवाधिकार के नाम पर हस्तक्षेप करने की नीति के लिए बुरी तरह लताड़ा है। चीन ने अमेरिका के लोकतंत्र को लेकर भी कड़े प्रहार किए हैं। चीन के Central Foreign Affairs Commission Office के निदेशक Yang Jiechi  ने वार्ता के दौरान बड़ा आक्रामक रवैया दिखाया। उन्होंने कहा कि  “अमेरिका में मानवाधिकार हनन की समस्या की जड़ें बहुत गहरी हैं। अमेरिका का काले लोगों को मारने का लंबा इतिहास है और हम अमेरिका से निवेदन करते हैं कि वह अपने यहाँ मानवाधिकार के मुद्दे को और बेहतर ढंग से संभाला करे।”

 

सुनने में हास्यास्पद है कि चीन की तानाशाह कम्युनिस्ट पार्टी से संबंधित कोई अधिकारी विश्व के सबसे पुराने लोकतंत्र को मानवाधिकार पर ज्ञान दे रहा है। हांगकांग, तिब्बत, इनर मंगोलिया, शिनजियांग, चीन का कब्जाया कोई ऐसा इलाका नहीं है, जहाँ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी अत्याचार नहीं कर रही और इस पार्टी का एक अधिकारी अमेरिका को काले लोगों के अधिकारों पर ज्ञान दे रहा है, लेकिन इसका कारण भी डेमोक्रेटिक पार्टी ही है।

राजनीतिक लाभ के लिए डेमोक्रेटिक ट्रम्प प्रशासन पर काले लोगों से भेदभाव के आरोप लगाते रहे। इस प्रचार अभियान के कारण अंततः ‘Black lives Matter’ जैसा हिंसक आंदोलन हुआ और अमेरिका की बदनामी हुई। डेमोक्रेट तब भी नहीं रुके और यह प्रचार करते रहे कि काले लोगों पर अमेरिका में भीषण अत्याचार हो रहे हैं। यह सत्य है कि अमेरिका में काले गोरे का मुद्दा एक प्रमुख सामाजिक समस्या है। किंतु काले लोगों पर हो रहे अत्याचार कहीं से भी राज्य प्रायोजित नहीं हैं और इसकी तुलना चीन में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघन से तो कतई नहीं हो सकती। किंतु डेमोक्रेटिक पार्टी द्वारा ट्रम्प को बदनाम करने के लिए जो दुष्प्रचार किया गया, उसने चीन को इतनी हिम्मत दी है, कि वह आज अमेरिका को ही कठघरे में खड़ा कर रहा है।

इसके अतिरिक्त चीन ने आरोप लगाया कि अमेरिका खुद साइबर हमले का विजेता है। अमेरिका द्वारा लगाए गए आरोप कि आज चीन की नीतियां वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा हैं, के जवाब में चीनी राजनायिक ने कहा कि अमेरिका दुनिया का प्रवक्ता नहीं है। यहाँ तक कि चीनी राजदूत ने यह तक कहा कि अमेरिका के पास चीन से वार्ता के समय, ताकतवर की हैसियत से बात करने कि योग्यता अब नहीं है अर्थात अब अमेरिका इतना ताकतवर नहीं कि चीन से बात करते समय वह उसे धमकाए।

चीनी राजदूत ने कहा कि “अमेरिका में ही बहुत से लोग अमेरिकी लोकतंत्र में विश्वास नहीं करते।” चीन का रवैया शुरू से ही इतना आक्रमक रहा है कि जैसे ही अमेरिकी प्रशासन ने प्रेस से कमरे के बाहर जाने का आग्रह किया, चीनी राजदूत ने जवाब दिया कि “आप प्रेस की उपस्थिति से इतने भयभीत क्यों हैं, क्या आप लोकतंत्र में विश्वास नहीं करते?”

साफ है कि चीनी राजदूत यह मन बनाकर आए थे कि अमेरिका को उसकी घटती हैसियत का एहसास करवाएंगे, वह दुनिया के सामने यह दिखा देना चाहते थे कि बाइडन एक कमजोर राष्ट्रपति हैं और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी उनसे नहीं डरती। बाइडन प्रशासन को इसका अनुमान पहले से था, इसी कारण उन्होंने प्रेस को कमरा छोड़ने का आग्रह किया और अपनी प्रेस ब्रीफिंग से वह हिस्सा काट दिया, जिसमें चीनी राजदूत ने अमेरिका को बुरी तरह से बेइज्जत किया।

हमने अपने एक लेख में बताया था कि बाइडन चाह कर भी चीन पर सख्त नहीं हो सकते। यदि ऐसा हुआ तो उनके राजनीतिक जीवन को अपूर्णीय क्षति हो सकती है।  बाइडन के बेटे हंटर और चीनी कंपनियों की व्यापारिक साझेदारी, उनके मौन का एक बड़ा कारण है। यही कारण है कि चीन खुलकर अमेरिका को चुनौती दे रहा है।

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चीन की आक्रामकता दिन प्रतिदिन बढ़ रही है तथा यह आगे और बढ़ेगी। अमेरिका के हिन्द प्रशांत क्षेत्र के सैन्य कमांडर एडमिरल डेविडसन ने इसे लेकर चेतावनी भी दी है। सर्वविदित है कि चीन अमेरिका का मुख्य शत्रु है, लेकिन बाइडन चीन की चुनौती को स्वीकार करने के बजाए, उससे भाग रहे हैं और पूरी कोशिश कर रहे हैं कि यह बातें अमेरिकी जनता तक न पहुंच सकें।

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