व्यक्ति की सोच कैसी होती है, ये आप उसकी संगत और उसके निर्णयों से भली भांति पता लगा सकते हैं। यही बात ममता बनर्जी पर भी लागू होती है। वह किन समुदायों से वोटों की आशा रखती हैं, ये चुनाव के लिए उनकी पार्टी द्वारा चुने गए उम्मीदवारों से स्पष्ट सिद्ध होता है, जिसमें ऐसे लोग भी शामिल हैं, जो हिन्दू आस्था के साथ खिलवाड़ करना परम धर्म समझते हैं।
हाल ही में तृणमूल कांग्रेस ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए 294 में से 291 सीटों के लिए सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस न अपने उम्मीदवार स्पष्ट कर दिए हैं। इनमें युवा, महिला, दलित, अल्पसंख्यक वर्ग इत्यादि को रिझाने के लिए पूरी तैयारी स्पष्ट दिखाई दे रही है। इस सूची में बंगाली अभिनेत्री सायोनी घोष का भी नाम सामने आया है, जो कथित तौर पर आसनसोल दक्षिण क्षेत्र से विधानसभा चुनाव लड़ सकती हैं।
Actress Saayoni Ghosh to contest from Asansol South: @MamataOfficial, West Bengal CM | #May2WithTimesNow pic.twitter.com/uriHBuAKDu
— TIMES NOW (@TimesNow) March 5, 2021
तो समस्या क्या है? दरअसल, सायोनी घोष वही अभिनेत्री हैं, जिसने कुछ समय पहले भगवान शिव का अपमान करते हुए उनके प्रतीक यानि शिवलिंग की एक बेहद आपत्तिजनक तस्वीर अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर की थी। इसके पीछे काफी बवाल हुआ था, और बाद में सायोनी को वह तस्वीर हटाने पर विवश भी होना पड़ा था।
https://twitter.com/TheAngryLord/status/1367812968608460800
लेकिन ममता बनर्जी द्वारा सायोनी को न सिर्फ चुनावी मैदान में उतरने देना, बल्कि उसे विधानसभा चुनाव लड़ने का अवसर देना ही यह सिद्ध करता है कि ममता बनर्जी की वफादारी किसके प्रति अधिक है। वैसे भी, जिस व्यक्ति के लिए जय श्री राम का नारा इतना असहनीय हो, जो नेताजी सुभाष चंद्र बोस की स्मृति में आयोजित कार्यक्रम भी छोड़ दे, उससे सनातन संस्कृति के प्रति सम्मान की आशा कैसे रखी जा सकती है।
लेकिन ये ममता बनर्जी के लिए कोई नई बात नहीं है, क्योंकि 2016 में सत्ता में दोबारा आने के बाद से ही उन्होंने मानो सनातन धर्म और उनके अनुयायियों को अपना निजी शत्रु बना लिया हो। सनातन त्योहारों पर रोक लगाने का प्रयास करना हो, धूलागढ़, मालदा इत्यादि में दंगे भड़काने हो, रामनवमी का उत्सव मनाने को आपराधिक सिद्ध करने का प्रयास करना, अपने कार्टून शेयर करने पर लोगों को कारावास भेजना हो, या फिर सीबीआई अफसरों का मानसिक उत्पीड़न करना हो, आप बस बोलते जाइए और ममता बनर्जी ने सब किया है। ममता का अल्पसंख्यक प्रेम ऐसा है कि स्वयं प्रशांत किशोर भी उनकी छवि नहीं सुधार पाए।
ऐसे में Woke Feminist सायोनी घोष को विधानसभा चुनाव का टिकट देना यही सिद्ध करता है कि ममता को हिन्दू वोटरों से किसी भी प्रकार की कोई आशा नहीं है, और वह केवल अल्पसंख्यक वोटों के बल पर फिर से सत्ता में आना चाहती हैं।