कांग्रेस अपने बगावती नेताओं के कारण एक ऐसी टूट की कगार पर पहुंच गई है, जहां से वो शायद कभी राजनीतिक रूप से उबर ही न सके। सबसे आश्चर्यजनक बात ये है कि पार्टी की अपनी कार्यशैली ही उसके पतन का सबसे बड़ा कारण बनने वाली है। खास बात ये है कि पार्टी के इस पतन का फायदा उसके ही गठबंधन के साथी उठा सकते हैं, जिनमें सबसे आगे कभी बगावत के कारण कांग्रेस से ही निकाले गए एनसीपी प्रमुख शरद पवार खड़े होंगे। शरद पवार को लेकर ये संकेत हवाई अनुमानों में नहीं, बल्कि उनके हाल के रवैए ही साबित करते हैं क्योंकि उन्होंने हाल ही में कांग्रेस छोड़कर आए केरल के बड़े नेता पीसी चाको को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया है, और खबरें ये भी हैं कि हाल ही में चाको ने कांग्रेस के ही 23 बगावती नेताओं से मुलाकात भी की है। इन सभी बिंदुओं को जोड़ने पर ये कहा जा सकता है कि अब शरद पवार अपने पुराने अपमान का बदला लेने के लिए कांग्रेस को पूरी तरह तोड़ने की अंदरखाने कोई बड़ी प्लानिंग कर रहे हैं।
शरद पवार के इतिहास की बात करें तो वो कांग्रेस के ऐसे नेताओं में शामिल थे जिन्हें पार्टी से सवाल उठाने और बगावत के कारण निकाला गया था। उनके पार्टी के निष्कासित होने की वजह ये थी कि उन्होंने सोनिया गांधी के विदेशी मूल की नागरिक होने के कारण वो उनके कांग्रेस अध्यक्ष बनने का विरोध कर रहे थे। शरद पवार ने इसीलिए कांग्रेस से निकलने के बाद 1999 में नई राजनीतिक पार्टी एनसीपी बना ली थी। आज की स्थिति की बात करें तो महाराष्ट्र की राजनीति में वो ही होता है जो कि एनसीपी नेता शरद पवार चाहते हैं। भले ही वो आज कांग्रेस के साथ गठबंधन में हैं लेकिन वो समय-समय पर इसी कांग्रेस पार्टी को आईना दिखाते रहते हैं। इतना ही नहीं, देश के दूसरे बड़े सूबे महाराष्ट्र की राजनीति मे कांग्रेस का कद छोटा होने में शरद पवार की सबसे बड़ी भूमिका शरद पवार की ही है।
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शरद पवार की पुरानी स्थिति की तरह ही कांग्रेस में आज बड़े नेताओं को बगावत के कारण नजरंदाज किया जा रहा है। इसका उदाहरण ये ही है कि हाल ही में पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों को लेकर जारी किए गए स्टार प्रचारकों में 23 बगावती दिग्गज नेताओं के नाम तक नहीं थे। इन्ही परिस्थितियों से इतर कांग्रेस के दिग्गज नेता पीसी चाको ने राहुल समेत कांग्रेस के काम करने के रवैए पर आपत्ति जताते हुए इस्तीफा दे दिया है, और अब उन्होंने शरद पवार की मौजूदगी में ही एनसीपी का दामन भी थाम लिया है। पीसी चाको ने इस दौरान कांग्रेस नेतृत्व की जमकर आलोचना की है। उन्होंने कहा कि भले ही शरद पवार अब कांग्रेस पार्टी में नहीं हैं लेकिन इस बात से कतई इंकार नहीं किया जा सकता है कि कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेता अब शरद पवार ही हैं।
पीसी चाको का कहना है कि कांग्रेस में अब लोकतंत्र नहीं बचा है, और इसीलिए अब ये पार्टी अपने इतिहास के सबसे गहरे संकट से जूझ रही है। उनके इस बयान से इतर चर्चाएं ये भी हैं कि पीसी चाकों ने हाल ही में कांग्रेस के 23 बगावती नेताओं से मुलाकात भी की थी, जो इस बात का प्रमाण है कि कांग्रेस में अब बहुत जल्द कोई बड़ी उठा-पटक होने वाली है, जिसका सबसे बड़ा फायदा शरद पवार ही उठा सकते हैं।
इसमें कोई शक नहीं है कि शरद पवार आज देश की राजनीति में एक सबसे वरिष्ठ नेता हैं, जिनका निजी तौर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके विरोधी भी सम्मान करते हैं। शरद पवार अकेले नेता हैं जिनके कांग्रेस के सभी बागी नेताओं (गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल एवं अन्य सभी 23) से अच्छे रिश्ते रहे हैं। शरद पावर की तरह ही ये सभी लोग आज कांग्रेस की नीतियों का विरोध करने के साथ ही गैर-गांधी राष्ट्रीय अध्यक्ष और नेतृत्व की मांग कर रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस पार्टी को तोड़ने में शरद पवार बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
अपने बगावती नेताओं के कारण बिखरी पड़ी कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को एक बेहतरीन नेतृत्व की आवश्यकता है। ऐसे में शरद पवार कांग्रेस के बगावती नेताओं और अपने पुराने साथियों के साथ मिलकर कांग्रेस पार्टी को ही तोड़ सकते हैं, या तो वो पार्टी को हाईजैक भी कर सकते हैं जिससे कांग्रेस पूर्णतः गांधी परिवार से मुक्त हो जाएगी। पीसी चाको का अचानक कांग्रेस छोड़कर शरद पवार से गले मिल एनसीपी में जाना इस बात का एक सबसे सटीक उदाहरण है कि शरद पवार इस मुद्दे पर कोई बड़ी प्लानिंग कर रहे हैं।