सरकारी विभागों की अकर्मण्यता कोई नई बात नहीं है, लेकिन मेघालय में इस समस्या ने एक विकराल रूप धारण कर लिया है। इन दिनों मेघालय में राजकीय ऊर्जा कॉर्पोरेशन लिमिटेड की नाकामी के कारण जनता को घंटों तक बिजली संकट से जूझना पड़ता है। मेघालय के ऊर्जा क्षेत्र पर लाखों का उधार बकाया है, लेकिन राज्य की अर्थव्यवस्था इतनी मजबूत नहीं कि इस कर्जे का बोझ संभाल सके।
बड़ी बात ये भी है कि इस दिशा में राज्य सरकार भी कोई ठोस कदम उठाने को तैयार नहीं है। मेघालय के पावर कॉर्पोरेशन की लापरवाही का खामियाजा वहाँ की जनता को भुगतना पड़ रहा है। लेकिन 19 मार्च को हद हो गई, जब राज्य के नागरिकों को सूचित किया गया कि राज्य में 10 घंटे से भी ज्यादा का पावर कट लागू होगा।
जब तक ये बात लिखी गई, तब तक ये विवादित निर्णय वापिस ले लिया गया, क्योंकि ऊर्जा मंत्री जेम्स संगमा के अनुसार पूर्वोत्तर पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के लाख समझाने के बाद भी मेघालय ऊर्जा कॉर्पोरेशन लिमिटेड अपना बकाया चुकाने में नाकाम रही, और अंत में सरकार को मामला अपने हाथों में लेना पड़ा।
दरअसल, 15 मार्च तक मेघालय ऊर्जा कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा पूर्वोत्तर पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड पर 504 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है। स्वयं ऊर्जा मंत्रालय तक मेघालय के पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड की नाकामी और बकाया चुकाने में असमर्थता पर चिंता जाता चुका है, क्योंकि मेघालय ऊर्जा विभाग ने अपना बकाया चुकाने के लिए कुछ समय पहले लगभग 1350 करोड़ रुपये का लोन आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत लिया था।
इससे पहले NTPC ने भी मेघालय को बकाया न चुका पाने के चक्कर में बिजली आपूर्ति रोक दी थी, जिसके कारण कई घंटों का बिजली संकट मेघालय के निवासियों को झेलना पड़ता था। तब मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने इसका दोष काँग्रेस पर डाला था। लेकिन अभी जो हो रहा है, उसके लिए तो प्रत्यक्ष रूप से काँग्रेस जिम्मेदार नहीं है।
पूर्वोत्तर में दिन प्रतिदिन व्यापक बदलाव आ रहा है, लेकिन प्रशासनिक बेरुखी के कारण मेघालय के निवासियों को अभी भी दशकों पुराने व्यवस्था में जीने को विवश होना पड़ रहा है। यदि स्थिति जल्द नियंत्रण में नहीं आई, तो आने वाले दिन मेघालय के लिए और भी कष्टदाई हो सकते हैं।