वुहान वायरस की दूसरी लहर ने भारत की नाक में दम करके रखा है। जहां एक तरफ राजनीतिक गिद्ध तरह तरह की अफवाहें फैलाकर देशभर में नकारात्मकता और अराजकता को बढ़ावा दे रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर भारत के कई राज्य मेडिकल ऑक्सिजन के त्वरित और स्पष्ट डिलीवरी की कमी से जूझ रहे हैं।लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो समस्या गिनाने में नहीं, बल्कि समस्या को सुलझाने की पहल करते हैं। इन्हीं में से एक है बनास डेयरी, जिन्होंने कुछ ही समय में ऐसा ऑक्सीजन प्लांट तैयार किया है, जो प्रतिदिन 35 मरीजों की सेवा कर सकता है।
वुहान वायरस का प्रकोप महाराष्ट्र पर सर्वाधिक पड़ा है, और ऐसे में पड़ोसी राज्य गुजरात कैसे अछूता रहता? गुजरात राज्य में भी स्थिति कुछ खास बेहतर नहीं है, और लोगों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, और ऐसा ही एक क्षेत्र है बनासकांठा, जो अपने दुग्ध उत्पादन के लिए काफी प्रसिद्ध रहा है। वहाँ के बनास डेयरी द्वारा प्रायोजित बनास मेडिकल कॉलेज में भर्ती कोविड के मरीजों को काफी समस्या आ रही थी।
लेकिन फिर कुछ लोगों ने सोचा, हम बाहरी मदद पे क्यों निर्भर रहे? बिजनेस लाइन से बातचीत के दौरान बनासकांठा जिला सहकारी दुग्ध यूनियन के अध्यक्ष शंकर चौधरी ने कहा, “हमने सोचा हम बाहरी मदद और संसाधन पर कब तक निर्भर रहेंगे? हमें आत्मनिर्भर भी बनना होगा।”
इसी दिशा में काम करते हुए बनास डेयरी में ही महज 72 घंटों में एक ऑक्सीजन प्लांट सेटअप कर दिया गया, जिससे जिला के मेडिकल कॉलेज में 35 मरीज प्रतिदिन के हिसाब से निर्बांध ऑक्सीजन की आपूर्ति मिलती रहे, और जिला मेडिकल कॉलेज पर कोविड के मरीजों के बढ़ते दबाव को भी कम किया जा सके।
जहां कुछ शहर और प्रशासन बनासकांठा से कई गुना बेहतर संसाधन होने के बावजूद ऑक्सीजन का रोना रो रहे हैं, तो वहीं बनास डेयरी ऐसे संकट के समय में गुजरात की शक्ति के साथ साथ पूरे देश के लिए आत्मनिर्भरता की एक बेजोड़ मिसाल बनके सामने आया है।
बनास डेयरी के वरिष्ठ प्रबंधक बिपिन पटेल का मानना है कि डेरी के अफसरों और अभियंताओं ने तुरंत ही एक मिनी ऑक्सीजन प्लांट सेटअप करने के लिए अवश्य व्यवस्था शुरू कर दी। ये काम आसान तो बिल्कुल नहीं था, परंतु मानवता के आगे समस्याओं की एक न चलने पाई।
बिपिन के अनुसार, “हमारे पास समय बहुत कम था। हमें प्लांट तो मिल जाता, लेकिन उसके लिए कुछ आवश्यक उपकरण उपलब्ध नहीं थे। जब तक उन उपकरणों की हम व्यवस्था करते, तब तक हमने प्लांट का निर्माण शुरू कर दिया।”
इतना ही नहीं, अब बनास डेयरी ऐसे दो और प्लांट जिले में स्थापित करेगी। ये न सिर्फ आत्मनिर्भरता की विजय है, अपितु देश के लिए जिजीविषा का एक बेजोड़ उदाहरण है, क्योंकि ईश्वर भी उन्ही की सहायता करता है जो अपनी सहायता स्वयं करे।


























