एक क्रांतिकारी निर्णय में नरेंद्र मोदी की सरकार ने 1 मई से 18 वर्ष से ऊपर की आयु के सभी भारतीयों को टीकाकरण की अनुमती दे दी है। वुहान वायरस की दूसरी लहर के खतरनाक प्रभाव को बढ़ता हुआ देख कर मोदी सरकार ने बेहद उचित निर्णय लिया है। ये निर्णय न केवल स्वास्थ्य के लिहाज से सराहनीय है, बल्कि लॉकडाउन का जाप कर रहे वामपंथियों के कारण आवश्यक भी। लेकिन यह अभियान कितना सफल होता है, इसके लिए राज्यों को भी अपनी ओर से योगदान देना होगा।
यही नहीं, इस अभियान को सफल बनाने के लिए केंद्र सरकार ने हरसंभव सहायता देने का निर्णय किया है। अभी एक हफ्ते पहले ही रूसी वैक्सीन स्पुतनिक V को स्वीकृति दी गई है, जो ट्रायल्स में लगभग 91 से 92 प्रतिशत तक वुहान वायरस के घातक प्रारूपों पर असरदार पाई गई है। इसके अलावा केंद्र सरकार ने भारतीय वैक्सीन बनाने वाली दो प्रमुख कंपनियों – सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया एवं भारत बायोटेक को कुल 4500 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सहायता दी है, ताकि वे जल्द से जल्द भारी संख्या में देशवासियों के लिए आवश्यक वैक्सीन उपलब्ध करवा सकें।
लेकिन इतना सब कुछ भी काफी नहीं होगा, यदि राज्य सरकारें अपनी ओर से लापरवाही बरतने लगे। इस बार टीकाकरण के तीसरे चरण के लिए केंद्र सरकार ने जो ब्लूप्रिंट तैयार किया है, उससे स्पष्ट होता है कि देश को वुहान वायरस से बचाने की जिम्मेदारी अब सबसे ज्यादा राज्य सरकारों की होगी, क्योंकि उन्हें अपने हिसाब से वैक्सीन खरीदने और आवंटित करने की पूरी छूट दी गई है।
अब यहीं से राज्य सरकारों पर ज़िम्मेदारियां बढ़ जाती हैं, और 1 मई के बाद से यह भी साफ हो जाएगा कि कौन कितने पानी में है। हालांकि, कुछ राज्यों के व्यवहार को देखते हुए इसके लक्षण बहुत पहले ही दिखाई दे रहे हैं। उदाहरण के लिए पंजाब और झारखंड को ही देख लीजिए। यहाँ केंद्र सरकार द्वारा आवंटित वेन्टिलेटर तो इनसे ढंग से इस्तेमाल किये नहीं जा रहे, जो वेन्टिलेटर आते हैं, उन्हें कबाड़ होने के लिए स्टोर रूम में छोड़ दिया जाता है।
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, “वेंटिलेटर के अभाव में लोगों की जान जा रही है। वहीं सात जिलों में 60 वेंटिलेटर धूल फांक रहे हैं। कहीं यह अब तक डिब्बों में बंद हैं तो कहीं कपड़े से ढंककर छोड़ दिया गया है”। ये स्थिति तब है, जब झारखंड में 4500 से अधिक मामले आ रहे हैं, और प्रशासनिक लापरवाही के कारण कई लोग मारे जा रहे हैं। इसके बावजूद झारखंड सरकार की हिमाकत तो देखिए, 1500 अतिरिक्त वेंटिलेटर की मांग की गई है।
लेकिन पंजाब में तो हालत इससे भी ज्यादा खराब है। वहाँ पीएम केयर्स फंड द्वारा भेजे गए 250 वेंटिलेटर खराब पड़े हुए हैं, जिन्हें आज तक उपयोग में नहीं लाया गया। कांग्रेस शासित पंजाब में 250 वेंटिलेटर एक साल से गोदाम में पड़े हैं। द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार के मुताबिक पिछले साल 20 मार्च को केंद्र सरकार ने राज्य में लगभग 30 करोड़ रुपए की लागत से 290 वेंटिलेटर भेजे थे। लेकिन राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने एक साल बाद भी इसका इस्तेमाल नहीं किया गया है और उसे गोदाम में बंद कर धूल जमने के लिए रखा गया है।
इसके अलावा छत्तीसगढ़ में तो स्वास्थ्य मंत्री खुलेआम घोषणा कर रहा था कि वे लोगों को भाजपा की वैक्सीन ही नहीं लगवाने देंगे। अब स्थिति यह है कि इसी सरकार को टीकाकरण के लिए लोगों को टमाटर का प्रोत्साहन देने पर विवश होना पड़ रहा है। महाराष्ट्र के बारे में जितना कम बोलें उतना ही अच्छा। सच कहें तो केंद्र सरकार ने अपनी ओर से वुहान वायरस का सर्वनाश करने के लिए रामबाण इलाज निकाला है, लेकिन ये रामबाण इलाज वास्तव में कितना असरदार होगा, इसके लिए राज्य सरकारों की परफॉरमेंस पर कड़ी नजर रखना उतना ही आवश्यक है।

























