कोरोना की दूसरी लहर का प्रभाव बढ़ने के साथ ही कुछ लोगों ने जबरदस्त वापसी की है। एक हैं गिद्ध राजनीति करने में माहिर राजनीतिज्ञ, जिनकी ऐसी विपत्तियों पर मुस्कान देखते ही बनती है, और फिर आते हैं वो लोग, जो ऐसी आपदाओं के लिए भी सनातनियों को दोषी ठहराते हुए अस्पतालों की मांग करते हैं।
इसकी शुरुआत की स्वयं राहुल गांधी ने की। राहुल गांधी ट्वीट करते हैं, “मोदी सरकार की कोविड से निपटने के तीन तरीके – तुगलकी लॉकडाउन लगाओ, घंटा बजाओ और प्रभु के गुण गाओ”। लेकिन जनाब यहीं पर नहीं रुके। वे ट्वीट करते हैं, “न टेस्ट है, न अस्पताल में बेड, न वेन्टीलेटर है न ऑक्सीजन, वैक्सीन भी नहीं है, बस एक उत्सव का ढोंग है”।
ना टेस्ट हैं, ना हॉस्पिटल में बेड,
ना वेंटिलेटर हैं, ना ऑक्सीजन,
वैक्सीन भी नहीं है,
बस एक उत्सव का ढोंग है।PMCares?
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) April 15, 2021
फिर क्या था, पीएम मोदी को नीचा दिखाने के नाम पर कांग्रेस के चाटुकारों की फौज आगे आ गई और सबने राम मंदिर के नाम पर सनातनियों को नीचा दिखाना शुरू कर दिया। कुणाल शर्मा नामक ट्विटर अकाउंट से ट्वीट आता है, “हम तो अस्पतालों के लिए लड़े ही कब थे। हम तो मंदिर मस्जिद के लिए लड़ रहे थे, जो कि आज बंद है। अस्पतालों के लिए आज लड़ते तो तस्वीर ही कुछ और होती”।
हम अस्पतालों के लिए लड़ें ही कब थे ।
हम तो मंदिर मस्जिद के लिए लड़े थे जो आज बंद है । अस्पतालों के लिए लड़ते तो आज तस्वीर कुछ ओर होती । #wakeup pic.twitter.com/aPXc1774Ap— Adv. Kunal Sharma (@KunalBSharma) April 14, 2021
वहीं, द वायर की पत्रकार आरफा खानुम शेरवानी भी ऐसे समय में विष उगलने से बाज नहीं आई। मोहतरमा ट्वीट करती हैं, “उन्होंने आपको मंदिर, मूर्ति और सामाजिक भेदभाव का वादा किया और उन्होंने पूरा भी किया। कभी वैक्सीन, अस्पताल इत्यादि के लिए भी वोट कर लेते।”
लेकिन सच्चाई तो कुछ और ही है। इस समय पीड़ितों और देश की सहायता जितना मंदिर और उनसे जुड़े धार्मिक संस्थान कर रहे हैं, उतना कोई और संस्थान इस समय नहीं कर रहा है। वैष्णो देवी से लेकर रामेश्वरम तक, सभी मंदिर एवं उनसे जुड़े धार्मिक संस्थान स्वेच्छा से या तो दान कर रहे हैं, या फिर एम्बुलेंस से लेकर आइसोलेशन वॉर्ड तक की व्यवस्था करा रहे हैं। इसके अलावा केंद्र सरकार समय समय पर यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है कि वैक्सीन से लेकर Remdesivir तक किसी चीज की कमी न पड़ने पाए।
इसके अलावा जो लोग मंदिर के बजाए अस्पताल की वकालत कर रहे हैं, उनसे बस एक छोटा स प्रश्न – महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, दिल्ली और पंजाब जैसे क्षेत्रों में तो मंदिर बनाने वालों की सरकार नहीं है न? तो उनके लापरवाही की सजा राज्य के साथ साथ पूरा देश क्यों भुगत रहा है? महाराष्ट्र के निवासियों ने ऐसा क्या पाप किया है कि उचित सुविधाएँ तो छोड़िए, जो उन तक सुविधा पहुंचाने का प्रयास कर रहा है वो भी हिरासत में लिया जा रहा है?
सच तो यह है कि वामपंथी और कांग्रेस के चाटुकार किसी भी तरह से कोविड की दूसरी लहर का दोष सनातन धर्म पर डालना चाहते हैं, ताकि महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ जैसे क्षेत्रों की नाकामी का दोष उनके अकर्मण्य प्रशासकों पर न लगे। इसीलिए वे मंदिर अस्पताल वाला राग फिर से जपने लगे हैं, लेकिन यह नीति अब उन्ही पे भारी पड़ने वाली है।