वुहान वायरस की दूसरी लहर के कारण भारत में अफरा-तफरी का माहौल है। इसी बीच अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सा पत्रिका “The Lancet” ने शनिवार (8 मई) को भारत में कोरोनावायरस संकट को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ एक लेख प्रकाशित किया था। इस लेख का खूब प्रचार किया गया। विपक्ष से लेकर लेफ्ट ब्रिगेड तक सभी ने इस लेख को शेयर किया। इस लेख की भाषा से यह मेडिकल जर्नल कम और राजनीतिक लेख अधिक प्रतीत हो रहा था, एक ऐसा राजनीतिक लेख जिसे खास तौर पर पीएम मोदी के खिलाफ Hitjob कहा जाये, तो गलत नहीं होगा।
यह हैरानी भरा था क्योंकि जब पिछले वर्ष जब चीन ने वुहान वायरस को पुरे विश्व में फैलाया, तब तो Lancet ने किसी प्रकार का लेख नहीं लिखा था। हालांकि, जब इस लेख से जुड़े तथ्यों और लेखक से जुड़ी जानकारी पर नज़र डाली गयी, तो इसके पीछे की मंशा हमारे समझ में आई। इस लेख को Lancet’s Asia की editor चीन की Helena Hui Wang ने लिखा था। इससे अब यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि चीन के खिलाफ Lancet ने कोई लेख क्यों नहीं प्रकाशित किया और प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ क्यों लिखा गया। इस प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल के अनुसार, मोदी इस संकट के लिए जिम्मेदार हैं। यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद भी द लैंसेट ने भारत सरकार की कड़ी निंदा की थी।
जब से कोरोना का दूसरा चरण शुरू हुआ है तब से ही सीएनएन, वाशिंगटन पोस्ट, NYT जैसे लिबरल मीडिया संस्थान PM मोदी के पीछे हाथ धोकर पड़े हैं ताकि उनकी छवि को धूमिल किया जा सके। अब ऐसा प्रतीत होता है कि चीन आसानी से अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर The Lancet के जरिये पीएम मोदी पर निशाना साधने का काम कर रहा है।
The Lancet का यह लेख न सिर्फ पीएम मोदी के खिलाफ एक Hitjob है बल्कि यह पूरी तरह से अशुद्धियों से भी भरा है।
इस लेख के अंश अनुसार, “भारत को वुहान वायरस के संक्रमण को फैलने से हर हाल में रोकना होगा। इसके लिए उचित टीकाकरण के साथ-साथ सरकार को सच्चाई सामने लानी होगी, और एक राष्ट्रीय लॉकडाउन लगाना होगा।” शायद इस मैगजीन को आभास नहीं है कि भारत के कई राज्यों में आंशिक या फिर पूर्ण रूप से लॉकडाउन पहले से ही लागू है। लेकिन स्वयं चिकित्सीय विशेषज्ञ भी इस बात से पूरी तरह से सहमत नहीं है कि लॉकडाउन से वायरस के संक्रमण दर पर काबू पाया जा सकता है या नहीं। तो इसका मोदी सरकार की आलोचना या भारत को नीचा दिखाने से क्या संबंध है? दरअसल The Lancet ने अपने लेख में कई ऐसे सोर्स का इस्तेमाल किया है, जिनके पास अपने तर्कों के लिए कोई ठोस प्रमाण है ही नहीं । बावजूद इसके The Lancet छाती ठोंक के दावा कर रही है कि मोदी सरकार अपनी जिम्मेदारियों से नहीं भाग सकती
इस लेख में पीएम की चुनावी रैलियों के बारे में उल्लेख है, कुम्भ मेले के बारे में भी उल्लेख है, परंतु महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों की लापरवाहियों के बारे में दूर-दूर तक कोई उल्लेख या बातचीत नहीं की गई है। इसके अलावा जिस प्रकार से अनू भूयान जैसे वामपंथी एवं ब्लूमबर्ग, NYT जैसे वामपंथी पोर्टल्स के भ्रामक लेखों का हवाला दिया गया है, उससे स्पष्ट पता चलता है कि यह पोर्टल भारत की स्थिति को लेकर वास्तव में कितना चिंतित है।
ब्लूमबर्ग के लेख के अनुसार भारत के टीकाकरण अभियान का दायरा बढ़ाने से राज्य की हालत और खराब होगी। वहीं दूसरी तरफ न्यू यॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में इस बात पर अधिक ध्यान केंद्रित था कि कैसे फेक न्यूज पर नियंत्रण के नाम पर मोदी सरकार वुहान वायरस की सच्चाई दुनिया से छुपा रही है, जो कि सरासर झूठ है।
लेकिन यह पहली बार नहीं है जब The Lancet ने भारत के विरुद्ध वैचारिक एजेंडा चलाने का प्रयास किया हो। पिछले वर्ष जब भारत HCQ के परिप्रेक्ष्य में दुनिया के लिए संकटमोचक बन रहा था, तब इसी मैगजीन ने भारत के विरुद्ध दुष्प्रचार करते हुए डबल्यूएचओ को भारत की गतिविधियों पर नियंत्रण लगाने के लिए भी उकसाया था।
द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार द Lancet ने जिस अमेरिकी कंपनी के डाटा का इस्तेमाल अपने HCQ विरोधी शोध के लिए किया था, उसके कर्मचारियों को बेहद कम या न के बराबर वैज्ञानिक ट्रेनिंग थी। इसके साथ ही यह भी खुलासा हुआ था कि इस कंपनी के कुछ कर्मचारी science fiction writer और adult-content model हैं। अब यह सामने आया है कि कई चीनी पत्रकार भी लैंसेट के लिए काम करते हैं जिनके माध्यम से चीन अपने एजेंडे को दुनियाभर में फैलाता है। ज़ाहिर है की The Lancet ने मोदी को नुकसान पहुंचाने और भारत को अराजकता की आग में झोंकने की चीन की स्पष्ट योजना को अंजाम दिया है।