देश में कोरोनावायरस की दूसरी लहर तांडव मचा रही है, प्रतिदिन साढ़े तीन लाख से ज्यादा आते नए केस लोगों को डरा रहे हैं। ऐसे में विपक्ष लगातार अलग-अलग मुद्दों को उठाकर मोदी सरकार पर हमला बोल रही है, लेकिन सभी का काट नहीं हो पा रहा है। पीएम मोदी के मंत्रिमंडल की बात करें तो करीब 57 मंत्री आते हैं, परन्तु इनमें से कितने अभी एक्टिव हैं ? शायद चंद ही हैं जिन्हें उंगलियों में गिना जा सकता है। सोशल मीडिया पर फेक न्यूज फैलाकर लोगों को भ्रमित किया जा रहा है, वैक्सीन से लेकर कोरोना के अलग-अलग वेरिएंट के मुद्दे पर लोगों को डराया जा रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कोरोना काल में सारी जिम्मेदारी प्रधानमंत्री और कुछ चार-पांच मंत्रियों की ही है, शेष न जाने किस गुफा में छिपे बैठे हैं?
कोरोना काल के वक्त में सारी जिम्मेदारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने हाथों में ले ली है। देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात करनी हो, या फिर लोगों की समस्याओं का हल करना हो, पीएम प्रतिदिन धड़ाधड़ फैसले ले रहे हैं। उनके अलावा स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन अपने चिकित्सीय अनुभवों और प्रभावी कार्यशैली के दम पर आए दिन राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों के संपर्क में रहते हैं। रेल मंत्री पीयूष गोयल के नेतृत्व में भारतीय रेलवे के जरिए देश के अलग-अलग राज्यों में ऑक्सीजन की आपूर्ति करनी हो, या फिर रेलवे के आइसोलेशन कोच पहुंचाने हो, सारा कम बखूबी हो रहा है।
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रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में सेना से लेकर डीआरडीओ तक ऑक्सीजन प्लांट लगाने से लेकर अस्पतालों के निर्माण में बेहतरीन कम कर रहे हैं। आर्थिक मामलों में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की सक्रिय दिखती है। वहीं विदेशों से अपनी कूटनीति के जरिए भारत के हितों की पूर्ति में एक महत्वपूर्ण भूमिका विदेश मंत्री एस जयशंकर ने निभाई है। इसके अलावा जब मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक होती है, तो गृह मंत्री अमित शाह बैठे हैं दिख जाते हैं, लेकिन सवाल ये उठते हैं कि इसके अलावा मोदी सरकार के बाकी मंत्री कहां हैं?
अपने कानूनी दांव-पेंच में सभी को पछाड़ने वाले और वाकपटुता के धनी केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद से लेकर विपक्ष के लिए मुसीबत बनने वाली स्मृति ईरानी कहां है? अनुराग ठाकुर, रमेश पोखरियाल निशंक, गिरिराज सिंह, मुख्तार अब्बास नकवी सभी की जुबान पर ताले क्यों लगे हुए हैं? ये चंद लोग हैं जिन्हें मोदी सरकार में वाकपटुता के नगीनों के रूप में देखा जा सकता है, लेकिन कोरोना काल में ये सभी चंद ट्वीटों के साथ सोशल मीडिया तक सीमित हो गए हैं। ऐसे में विपक्ष के सामने राजनीतिक हमले बोलने का खुला मैदान है। पीएम अपने प्रमुख मंत्रियों के साथ कोरोना कंट्रोल में लगे हैं तो वहीं उनके अन्य सहयोगी मंत्रियों की गैरमौजूदगी में विपक्ष भ्रम फैलाने में व्यस्त हैं।
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कोरोना वैक्सीन के उत्पादन की विश्वसनीयता को लेकर देश के विपक्ष ने एकजुटता के साथ भ्रम फैलाया था, जो कि काफी हद तक सफल भी हो गया है, क्योंकि अब भारत में कोरोना वैक्सिनेशन की रफ्तार बेहद धीमी हो चली है। इसके अलावा आए दिन सोशल पर मीडिया फेक न्यूज वायरल होती हैं, जिसमें से अधिकतर तो विपक्षी नेताओं के जरिए ही फैलती है, लेकिन उन्हें मीडिया में जगह मिल जाती है। मंच मिलने पर विपक्षी धड़ल्ले से अपना प्रोपेगैंडा चला रहे हैं, लेकिन जिन्हें उनकी काट करनी है वो सभी अपने वातानुकूलित कमरों में बैठकर ट्वीट कर रहे हैं।
विपक्ष के सवालों का जवाब देने के लिए बीजेपी के पास आज की स्थिति में केवल राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा बचे हैं। प्रत्येक मुद्दे पर उन्हीं के जरिए प्रेस कॉन्फ्रेंस सामने आती हैं। टीवी डिबेट्स से लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस का सारा कम उन्हें ही सौंप दिया गया है। वहीं इस वक्त पूरा विपक्ष, वैक्सीन के स्टॉक, अर्थव्यवस्था, महंगाई, पीएम केयर फंड, सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को लेकर मोदी सरकार की नीतियों पर बेबुनियाद प्रश्न उठा रहा है। विपक्षी इस वक्त अनेकों झूठ इतनी तेजी से बोल रहे हैैं कि जनता ना चाहते हुए भी भ्रमित हो रही है।
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कथित तौर पर विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बीजेपी की सरकार के मंत्रियों से उम्मीद की जाती है कि वो विपक्ष के प्रत्येक प्रपंच की काट करें। उन्हें हर वक्त समाज से जुड़कर लोगों को अधिकतम जानकारियां पहुंचानी चाहिए थी। ये आलसी मंत्री यदि केवल विपक्ष के हमलों का जवाब ही मुखरता से देते रहते, तो भी जनता के अनेकों भ्रम दूर हो जाते, लेकिन सभी चुप्पी साधे बैठें हैं, जो कि मोदी सरकार के इन-एक्टिव मंत्रियों पर सवाल खड़े करता है।
कोरोना के कंट्रोल में आने के बाद संभवतः इनमें से अनेकों को कैबिनेट बदलाव या विस्तार के दौरान अपनी कुर्सी गंवानी होगी, और यही इनकी सजा होगी क्योंकि इन सभी का ट्रैक रिकॉर्ड कोरोना काल में काफी खराब हो चुका है।