सरकार के खिलाफ कुछ भी बोलो और अभिव्यक्ति की आजादी का सहारा लेकर उस बात को सही साबित करने के लिए कुतर्क गढ़ने लगो। आज के दौर में वामपंथी धड़े के लोगों की नीतियां ऐसी ही हैं। ये लोग देश में प्रत्येक मुद्दे पर भड़काऊ और अजीबो-गरीब बयानबाजी करते हैं और फिर केस दर्ज होने पर कानूनी दांव-पेंच करके कोर्ट से बरी होकर आजाद घूमते हैं। इनकी इस साज़िश को नाकाम करने के लिए मोदी सरकार Hate Speech और ‘भड़काऊ बयान’ की एक नई परिभाषा तैयार करने की प्लानिंग कर चुकी है, जिसके लिए गृहमंत्री अमित शाह के मंत्रालय ने एक विशेष टीम गठित कर दी है। इस कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद Hate Speech के लिए एक विशेष धारा IPC यानी भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत जोड़ी जाएगी।
विरोध किसी भी स्वस्थ लोकतंत्र का हिस्सा होता है, लेकिन देश के पिछले कुछ वर्षों के इतिहास को देखें तो सरकार विरोधी लोगों द्वारा कुछ ऐसे बयान दिए गए हैं कि सरकार की आलोचना से ज्यादा देश की प्रतिष्ठा पर धब्बा लगा है। वहीं इन लोगों पर कई कार्रवाई करने की कोशिश हुई, पर सभी अभिव्यक्ति की आजादी का हवाला देकर खुद का बचाव करने लगे। ऐसी स्थिति में पुलिस के पास केस दर्ज करने के बावजूद ठोस कार्रवाई का कोई आधार नहीं रह जाता है, जिसके चलते कोर्ट में पुलिस और सरकार का पक्ष कमजोर हो जाता है। अब इसी पक्ष को मजबूत करने की तैयारी देश के गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में केन्द्रीय गृहमंत्रालय ने कर ली है और नए प्रावधानों को अस्तित्व में लाने का काम शुरू कर दिया है।
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वक्त बदलने के साथ-साथ सभी तरह के कानूनों और संस्थानों में सुधार की आवश्यकता होती है। इसी कड़ी में भारतीय दंड संहिता में सुधार करने के लिए एक विशेष कमेटी गठित की गई है। ये कमेटी ‘भड़काऊ बयानों’ और ‘अभिव्यक्ति की आजादी’ के लिए एक नई परिभाषा तैयार करेगी, जिसके आधार पर अपराधों के लिए विशेष धारा का आवश्यकता होगी। इसलिए IPC में एक विशेष धारा Hate Speech के लिए जोड़ी जाएगी, जो कि इस ओर बड़ा कदम माना जा रहा है।
दरअसल, देश का हालिया रवैया बताता है कि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर देश में कुतर्क और नफ़रत का जहर उगला जा रहा है। ऐसे में IPC के अंतर्गत Hate Speech का कोई प्रावधान नहीं है, जिसके अभाव में लोग आसानी से कोर्ट से बरी हो जाते हैं, लेकिन अपराध संबंधी कानूनों के सुधार के लिए गृह मंत्रालय की तरफ से गठित की गई कमेटी पहली बार Hate Speech को परिभाषित करने की कोशिश कर रही है। ख़बरें यह भी हैं कि कमेटी जल्द ही अपनी रिपोर्ट दाखिल कर सकती है।
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Hate Speech को लेकर संभावित धारा के बनने के बाद देशद्रोही बयान देने वालों और लोगों को मीठी भाषा में भड़काने वालों पर सख्त कार्रवाई हो सकेगी। ऐसा माना जा रहा है कि कोरोनावायरस के खात्मे के बाद मोदी सरकार पुनः अपने सीएए और एनआरसी के कोर एजेंडों पर काम शुरू कर सकती है, ये दोनों ही विवादित हैं। ऐसे में निश्चित है कि इस मुद्दे पर पुनः देश को कुछ विशेष वर्ग के लोगों और बुद्धिजीवियों द्वारा अस्थिर करने की कोशिशें हो सकती हैं। ऐसे में अगर सरकार को य़दि नफरत फ़ैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी तो एक सख्त कानूनी प्रावधान की आवश्यकता पड़ेगी और Hate Speech से संबंधित बनने वाली IPC की नई धारा इस मौक़े पर एक गेम चेंजर साबित होगी।