देश में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए वैक्सीन बनाने वाली भारत की दोनों कम्पनियाँ अपनी उत्पादन क्षमता को बढ़ाने का भरपूर प्रयास कर रहीं हैं। इसी क्रम में भारत बायोटेक, पश्चिम बंगाल को नजर अंदाज कर अपनी सहायक कंपनी अंकलेश्वर (गुजरात) स्थित फैसिलिटी में ‘कोवैक्सिन’ की अतिरिक्त 200 मिलियन खुराक का उत्पादन करने की योजना बना रही है।
इस फैसिलिटी से उत्पादन शुरू होने के बाद वैक्सीन का कुल उत्पादन मात्रा 1 बिलियन (100 करोड़) प्रति वर्ष हो जाएगा। बता दें कि कुछ दिनों पहले ही ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने यह भी कहा था कि उनका राज्य किसी भी कंपनी को वैक्सीन उत्पादन के लिए जमीन और अन्य सुविधा देने के लिए तैयार है।
उनके इस बुलावे के बावजूद भारत बायोटेक ने गुजरात जाने का फैसला किया। यह दिखता है कि क्यों कोई भी कंपनी पश्चिम बंगाल में काम नहीं करना चाहती है या अपने किसी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को स्थापित ही नहीं करना चाहती है।
दरअसल, हैदराबाद स्थित फर्म भारत बायोटेक ने कहा कि वह कोवैक्सिन की 200 मिलियन खुराक के अतिरिक्त उत्पादन के लिए अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक फर्म Chiron Behring Vaccines की अंकलेश्वर स्थित उत्पादन फैसिलिटी का उपयोग करेगी। बताते चलें कि चिरान बेहरिंग वैक्सीन दुनिया में रैबीज का टीका बनाने की सबसे बड़ी कंपनी है।
भारत बायोटेक ने एक बयान में कहा, “कंपनी ने GMP facilities में प्रति वर्ष कोवैक्सिन की 200 मिलियन खुराक का उत्पादन करने की योजना बनाई है, जो पहले से ही Inactivated Vero Cell Platform Technology पर जीएमपी और Biosafety के कड़े स्तरों के तहत वैक्सीन के उत्पादन के लिए चालू हैं।”
इसमें कहा गया है कि अंकलेश्वर स्थित संयंत्र साल की चौथी तिमाही से अधिक मांग वाली वैक्सीन का उत्पादन शुरू कर देगा। कंपनी ने कहा कि वह पहले ही अपने हैदराबाद और बेंगलुरु के परिसरों में multiple production lines तैनात कर चुकी है। इससे पहले इस कंपनी ने हैदराबाद के अवाला ओडिशा और कर्नाटका में वैक्सीन उत्पादन के लिए मैन्युफैक्चरिंग यूनिट बनवाना भी शुरू कर दिया है।
वहीँ भारत बायोटेक को पुणे में स्थिति एक फैसिलिटी के लिए उद्धव सरकार से क़ानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी तब जा कर वहां वैक्सीन उत्पादन के लिए अनुमति मिली। बॉम्बे हाईकोर्ट ने भारत बायोटेक की सहयोगी कंपनी बायोवेट प्राइवेट लिमिटेड को कोविड -19 वैक्सीन – ‘कोवाक्सिन’ के उत्पादन के लिए महाराष्ट्र के पुणे जिले में वैक्सीन निर्माण करने के लिए अनुमति दे दी है।
यानी स्पष्ट है कि यह कंपनी किसी भी हालत में ममता बनर्जी के बुलावे पर पश्चिम बंगाल नहीं जाना चाहती है। कारण देखा जाये तो यह किसी से छुपा नहीं है। ममता बनर्जी ने जिस तानाशाही का प्रदर्शन अपने शासन काल में किया है पश्चिम बंगाल में कोई भी प्राइवेट कंपनी अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट खोलने से पहले हजार बार सोचेंगी।
बंगाल में जो हिंसा TMC द्वारा विरोधी पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ की गई उसके बाद राज्य में कानून व्यवस्था का सच उजागर हो गया है। यही नहीं ममता बनर्जी की बात न मानने पर TMC गुंडों द्वारा यूनिट पर हमले की भी आशंका बनी रहेगी।
बंगाल में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि कोई कंपनी मुँह मोड़ कर गुजरात जा रही है ऐसा ही पहले नैनो प्लांट के समय भी हुआ था और ऐसा ही इस बार हो रहा है
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बता दें कि कुछ दिनों पहले टीएमसी सुप्रीमों ममता बनर्जी ने मोदी को लिखे पत्र में कहा था, “हम, पश्चिम बंगाल में, प्रामाणिक वैक्सीन निर्माण के लिए किसी भी निर्माण / फ्रेंचाइजी के संचालन के लिए जमीन और समर्थन देने के लिए तैयार हैं।”
बावजूद इसके भारत बायोटेक ने उनके इस बुलावे को नजरंदाज किया और वैक्सीन के अतिरिक्त उत्पादन के लिए गुजरात को चुना। कंपनी के अनुसार, हैदराबाद और बेंगलुरु स्थित परिसरों में वैक्सीन का उत्पादन बढ़ा दिया गया है। इससे कोवैक्सीन का सालाना 100 करोड़ डोज उत्पादन का लक्ष्य हासिल करना संभव हो सकेगा।
पिछले महीने भारत बायोटेक ने एलान किया था कि वह सालाना 70 करोड़ डोज वैक्सीन का उत्पादन करेगी। अब इस बढ़ोतरी से यह सुनिश्चित हो गया है कि देश में वैक्सीन की कमी नहीं होगी।

























