कोरोना के मुश्किल वक्त में हुए असम विधानसभा चुनाव नतीजों में यदि कोई सबसे बड़ा राजनीतिक हीरो बनकर निकला है तो वो यक़ीनन बीजेपी नेता हिमंता बिस्वा सरमा हैं। उन्होंने जिस तरह से चुनाव में बीजेपी के लिए मशक्कत कर जनाधार में विस्तार किया था, वो सफल रहा।
अब हिमंता बीजेपी के झंडे तले जो वादे करके असम के मुखिया के कुर्सी पर बैठे हैं, उन्हें पूरा करने की तैयारी शुरू कर चुके हैं।
असम के मुद्दों में बीजेपी की प्राथमिकता NRC है, जिसके लिए अब हिमंता ने ऐलान करते हुए कहा कि वो NRC के पुनर्सत्यापन के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाएंगे। हिमंता का जोश न केवल असम बल्कि पूरे देश के लिए संकेत है कि मोदी सरकार कोरोनावायरस के कारण अभी NRC और CAA के काम को रोक कर बैठी है, वरना उनकी प्राथमिकता यही है।
असम में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशन में चल रही NRC में करीब 19 लाख लोगों के नाम नही हैं। आश्चर्यजनक बात ये भी है कि इस 19 लाख की संख्या में करीब 5 लाख हिंदुओं की तादाद है। ऐसे में चुनावों के दौरान बीजेपी नेता हिमंता ने दावा किया था कि सत्ता में आने पर NRC का काम पुन: ठीक ढंग से किया जाएगा, और CAA के जरिए गैर मुस्लिमों को नागरिकता दिलाई जाएगी।
वहीं अब अपने उस वादे को पूरा करने के सवाल पर हिमंता ने साफ कहा है कि वो इन सभी वादों को पूरा करने के कटिबद्ध हैं, जिसमें उनकी प्राथमिकता NRC ही है।
हिमंता ने ताल ठोक के ये ऐलान कर दिया है कि असम NRCमें हुई गड़बड़ियों के मुद्दे पर वो सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार असम के सीमावर्ती जिलों में 20 प्रतिशत नामों और अन्य इलाकों में 10 प्रतिशत नामों का पुन: सत्यापन चाहती है। NRC से राज्य के लगभग 19 लाख लोग प्रभावित हो रहे हैं, जिनमें लगभग साढ़े पांच लाख हिंदू शामिल हैं।” साफ है कि हिमंता इस मुद्दे को पीछे छोड़ने वाले नहीं है, क्योंकि ये उनका कोर चुनावी मुद्दा था।
इतना ही नहीं उन्होंने त्रुटियों को लेकर भी कहा कि ज्यादा त्रुटियों पर एक बार फिर NRC का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा, “अगर नगण्य गलतियां पाई गईं तब हम मौजूदा एनआरसी के साथ आगे की कार्यवाही कर सकते हैं। लेकिन, अगर व्यापक विसंगतियां हैं तो उनको लगता है कि अदालत संज्ञान लेगी और नए दृष्टिकोण के साथ आगे का काम करेगी।”
हिमंता का ये रुख साफ जाहिर कर करता है कि असम में घुसपैठियों की शामत आने वाली है, और एनआरसी में जो लोग गलत प्रकिया के कारण परेशान हो रहे हैं, उनको राहत मिलेगी।
इतना ही नहीं सीएए के सवालों पर हिमंता ने दो टूक शब्दों में कहा, “CAA केंद्र सरकार और संसद द्वारा पारित कानून है, जिसमें राज्य सरकार से कोई मतलब नहीं है। अभी उसके नियम केवल कोरोना महामारी के कारण नहीं बन पाए हैं, और काम रुका हुआ है, जो जल्द पूरा हो जाएगा।”
और पढ़ें- ULFA आतंक के साये में असम कई सालों से जीता आया है, CM हिमंता का नया प्लान इसे बदल देगा
असम की राजनीति का संदेश देश के लिए भी स्पष्ट है कि भारतीय जनता पार्टी की नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रही सरकार कोरोना वायरस की इस महामारी के बाद सबसे पहला कदम NRC और CAA को लेकर ही उठाएगी।
ये बात सभी जानते हैं कि सीएए का मुद्दा और एनआरसी का मुद्दा ठंडा नहीं हुआ है, बस कोरोना वायरस के कारण टाल दिया गया है।
ऐसे में असम के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री और कद्दावर बीजेपी नेता हिमंता बिस्वा सरमा द्वारा इस मुद्दे पर काम शुरू होने की बात कहना जाहिर कर रहा है कि उनकी पार्टी के लिए एनआरसी और सीएए की प्राथमिकता कितनी अधिक है, और यही प्राथमिकता राष्ट्रीय स्तर पर कोरोना की जंग में जीत के बाद भी दिखेगी।