योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश प्रशासनिक कुशलता के लिए देश भर में एक अनुपम उदाहरण है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने न केवल 4 वर्षों में प्रदेश का कायाकल्प किया है, बल्कि उन चंद राज्यों में भी शामिल है, जो अनेक चुनौतियों के बावजूद वुहान वायरस से पार पाने में भी सफल रहे हैं। अब योगी आदित्यनाथ यूनियनबाजी को एस्मा एक्ट के जरिये जड़ से उखाड़ने के लिए प्रतिबद्ध है।
योगी आदित्यनाथ ने तय कर दिया है कि चाहे कुछ हो जाए, इन यूनियानबाज़ों की दादागिरी अब और नहीं चलेगी। सरकारी बाबुओं और यूनियनबाजों द्वारा संभावित हड़ताल को ध्यान में रखते हुए योगी ने प्रदेश में ESMA (एस्मा) एक्ट लागू कर दिया है, जिससे अब हड़ताल करना लगभग असंभव होगा।
ज़ी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, “कोरोना महामारी (Coronavirus) के बीच यूपी में सरकारी कर्मचारियों की कई यूनियनें अपनी मांगों को लेकर हड़ताल की तैयारी कर रही हैं। इसी बीच यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार (Yogi Adityanath) ने सख्त रुख अपनाते हुए प्रदेश में एस्मा (Esma) एक्ट लागू कर दिया है। इसके अंतर्गत यूपी में सभी सरकारी सेवाओं में हड़ताल पर रोक लगा दी गई है। यूपी सरकार के अधीन सभी लोक सेवा, प्राधिकरण, निगम समेत सभी सरकारी विभागों पर यह आदेश लागू रहेगा”।
इसी रिपोर्ट में आगे बताया गया, “सूत्रों के अनुसार सरकार ने फिलहाल 6 महीने के लिए एस्मा (Esma) एक्ट लगाया है, जरूरत पड़ने पर इसे आगे भी बढ़ाया जा सकता है। यदि सब कुछ ठीक रहा, तो इसे 6 महीने से पहले वापस भी लिया जा सकता है। इस कानून के लागू हो जाने के बाद राज्य में अति आवश्यक सेवाओं में लगे कर्मचारी छुट्टी एवं हड़ताल पर नहीं जा सकेंगे”।
यही नहीं, एस्मा एक्ट के लागू होने के बाद यदि कर्मचारी हड़ताल पर जाते हैं तो उनका यह कदम अवैध और दंडनीय की श्रेणी में आयेगा। एस्मा एक्ट का उल्लंघन कर हड़ताल पर जाने वाले किसी भी कर्मचारी को बिना वारंट गिरफ्तार किया जा सकता है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि कम्युनिस्टों ने देश के उद्योगों को काफी नुकसान पहुंचाया है, और उत्तर प्रदेश भी इससे अछूता नहीं है। कभी उत्तर प्रदेश की पहचान और ‘एशिया का मैंचेस्टर’ माने जाने वाले कानपुर जैसे औद्योगिक शहर भी इसी यूनियनबाज़ी की भेंट चढ़ गए।
लेकिन योगी आदित्यनाथ के प्रशासन में ऐसी नौटंकी अब जल्द ही इतिहास बनने जा रही है। कानून व्यवस्था के मामले में पहले ही योगी सरकार ने अनेक चुनौतियों को पार पाते हुए बड़े से बड़े अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया है। इसके अलावा CAA के विरोध के नाम पर उपद्रव करने का प्रयास करने वालों की न सिर्फ योगी सरकार ने कमर तोड़ी, बल्कि नष्ट की गई सार्वजनिक संपत्ति के उनसे पैसे भी वसूले और उनकी औकात बताते हुए उनके पोस्टर भी राज्य भर में छपवाए।
अब यूनियनबाजों को उनकी औकात बताने का समय आ चुका है, और किसी भी स्थिति में योगी सरकार राज्य के हितों से समझौता नहीं करना चाहती। इसीलिए अब योगी सरकार ने एस्मा एक्ट लगाकर ये स्पष्ट किया है कि राज्य में फालतू की हड़ताल करने वालों और यूनियनबाजों की राज्य में कोई जगह नहीं। ये इनके साथ साथ कृषि आंदोलन के नाम पर उपद्रव मचाने वालों के लिए भी एक तरह से सख्त संदेश है।