अखिलेश यादव भी ममता बनर्जी की राह पर चलने का सपना सजा रहे हैं। समाजवादी पार्टी ने तृणमूल कांग्रेस के नारे ‘खेला होबे’ को उत्तर प्रदेश में इस्तेमाल करना शुरू किया है। उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों में ‛खेला होई’ का नारा, बैनर और दीवारों पर दिख रहा है। कानपुर , लखनऊ, वाराणसी में यह नारा देखने को मिला है। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में सपा से विधायक रहे समद अंसारी ने कहा कि जनता इस नारे को पसंद कर रही है। सपा अपने कार्यकर्ताओं को उत्साहित करने के लिए ममता बनर्जी के अभियान की नकल करने वाली है।
अब प्रश्न यह उठता है क्या सपा प० बंगाल की हिंसा को भी दोहराने का इशारा कर रही है। समाजवादी पार्टी के इतिहास को देखकर इस संभावना को दरकिनार नहीं किया जा सकता। जिस समय बसपा और सपा का राजनीतिक टकराव चरम पर हुआ करता था, उस समय जब सपा सरकार में आती थी तो सबसे पहले प्रदेश में दलित बस्तियों को जलाने की खबरें आती थीं। दलित समाज मायावती का कोर वोटर था, इसलिए सरकार बनते ही समाजवादी पार्टी के गुंडे दलित बस्तियों को आग के हवाले कर देते थे। अब क्योंकि मायावती और समाजवादी पार्टी की प्रतिस्पर्धा नहीं रही है और भाजपा सत्तारूढ़ हैं। ऐसे में समाजवादी पार्टी अगर सरकार बनाएगी तो इस बात की संभावना भी बढ़ जाएगी कि पूरे प्रदेश में भाजपा समर्थकों के साथ हिंसा शुरू हो जाए तथा प० बंगाल की तरह ही उत्तर प्रदेश में भी हत्या, मारपीट, बलात्कार और आगजनी की घटनाएं शुरू हो जाएं।
वर्तमान योगी सरकार ने जिसप्रकार माफिया तंत्र को चोट पहुँचाई है, जिस प्रकार मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद जैसे गुंडों का राज खत्म किया है, उसकी खीज होना तय है। सपा सरकार में मुख्तार अंसारी का इतना जलवा हुआ करता था कि जब वह गाजीपुर जेल में बंद था तो वहाँ मुख्य उसके लिए एक विशेष तालाब बनवाया गया था और अब उसे जेल के एक साधारण कमरे में जीवन जीना पड़ रहा है। ऐसे ही अन्य कई जिलास्तर से क्षेत्रस्तर तक के छोटे बड़े गुंडों का दमन योगी आदित्यनाथ ने कर दिया है। ये सभी इसी ताक में बैठे हैं कि किसी प्रकार से भाजपा सरकार बाहर हो और सपा सरकार में वापस आए।
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इसके अतिरिक्त मुस्लिम कट्टरपंथियों पर भी जिस प्रकार कार्रवाई हुई है, वह भी इसी आस में हैं कि किसी प्रकार भाजपा सरकार से बाहर हो तो वह कट्टरपंथ के विरुद्ध उठने वाली आवाज को बंद कर दें। हाल ही में लोनी प्रकरण हुआ है, जिसमें मुस्लिम समुदाय के लड़कों ने मुस्लिम बुजुर्ग की पिटाई की और आरोप हिंदुओं पर लगा दिया। उस लोनी प्रकरण में जिस मुस्लिम नेता उम्मेद इदरीसी की गिरफ्तारी हुई थी वह स्वीकार कर चुका है कि उसने कट्टरपंथ का रास्ता इसलिए अपनाया क्योंकि मुस्लिम समाज में लोग कट्टरपंथी विचारों को पंसद करते हैं। वे ऐसा नेता चाहते हैं जो हिंदुओं को सबक सिखाने की बातें करे। ऐसे में अपराधियों, सपा कार्यकर्ताओं और मुस्लिम समुदाय का एक बड़ा वर्ग, यह तीनों एक ही सपा की सरकार में उत्तर प्रदेश में हिंसा और हत्या का दौर शुरू करने की ताक में होंगे, इसकी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
बहरहाल, सपा और उसके समर्थक तत्वों का सपना हैं की सपा सरकार में आएगी और उनलोगों को मौन कराएगी जो भाजपा के पक्ष में खड़े रहे हैं, साकार होगा या नहीं, यह वक्त ही बताएगा। वैसे भी वाराणसी के पूर्व विधायक समद अंसारी का बयान वायरल है, जिसमें वह ‛खेला होई’ की बात कर रहे हैं, वह समद स्वयं अपना चुनाव कई हजार वोट के अंतर से हार चुके हैं। साथ ही यह सोचना की उत्तर प्रदेश को प० बंगाल बनाया जा सकता है, यह भी केवल कोरी कल्पना है। फिर भी भाजपा और उनके समर्थकों के लिए यही बेहतर होगा कि या तो वे इतना प्रयास करें कि भाजपा चुनाव न हारे, अन्यथा ये लोग अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा की व्यवस्था करके रखें क्योंकि सपा का संकेत तो साफ है, ‛2022 में खेला होई’।