काफी समय तक लाइमलाइट से दूर रहने के पश्चात जूही चावला एक बार फिर सुर्खियों में है, पर गलत कारणों से। पूर्व बॉलीवुड अभिनेत्री ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक हास्यास्पद मुकदमा फ़ाइल किया था। इसमें बिना किसी ठोस आधार / प्रमाण के 5G के ट्रायल पर रोक लगाने की मांग की गई थी। हालांकि, बुधवार को कोर्ट की सुनवाई में कुछ ऐसा हुआ, जिससे न सिर्फ जूही चावला हंसी का पात्र बनी, परंतु ये भी सिद्ध हुआ कि क्यों फिल्म सितारों को हमें ज्यादा सिर पर नहीं चढ़ाना चाहिए।
हाल ही में जूही चावला द्वारा दायर याचिका की दिल्ली हाईकोर्ट में वर्चुअल सुनवाई हो रही थी। इस सुनवाई के बीचों-बीच एक व्यक्ति जूही चावला की फिल्म का गाना गुनगुनाने लगा। इससे डिस्टर्बेंस की वजह से जज को सुनवाई बीच में ही रोकनी पड़ी। इसके बाद उसे सुनवाई से बाहर निकालकर दिल्ली हाईकोर्ट ने फिर से सुनवाई शुरू की। लेकिन, बार-बार सुनवाई में विघ्न डालने से परेशान होकर कोर्ट ने उस व्यक्ति के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी करते हुए पुलिस को उसकी तलाश कर कार्रवाई करने का आदेश दिया।
जैसे ही हाईकोर्ट में सुनवाई शुरू हुई, रुकावटें आनी शुरू हो गई थीं। सुनवाई के दौरान आवाज आने लगी, कहाँ हैं जूही मैडम, कहाँ है? इस दौरान अदालत जूही के वकील से ईमेल द्वारा नोट प्राप्त करने को लेकर बात कर रही थी, लेकिन प्रारंभ अदालत ने इस पर ध्यान ही नहीं दिया। परंतु जैसे ही मामले की कार्यवाही आगे बढ़ी, उस व्यक्ति ने जूही चावला की फिल्मों के गाने गुनगुनाने शुरू कर दिए। इसके बाद अदालत ने अधिकारियों को उसे म्यूट करने का आदेश दिया।
जितनी बार कोर्ट उस व्यक्ति को हटाने का प्रयास करे, वो फिर सुनवाई के लिंक से जुड़ जाता। इस बार कोर्ट के सब्र का बाँध टूट गया और कोर्ट ने शख्स की पहचान कर उसके खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया। इसके साथ ही उसके खिलाफ कोर्ट की अवमानना का नोटिस जारी कर दिया गया। अदालत ने अधिकारियों से दिल्ली पुलिस के आईटी विभाग से संपर्क करने को कहा। इंडिया टुडे के एक पत्रकार के ट्वीट के मुताबिक, फर्जी आईडी बनाकर कोर्ट की सुनवाई में शामिल हुए शख्स ने “घूँघट की आड़ से दिलवर का”, “लाल लाल होठों पे गोरी किसका नाम है” और “मेरी बन्नो की आएगी बारात” जैसे गाने गाए।
Songs like “ghoonghat ki aad se”, “laal laal hoton pe” and “meri banno ki aayegi baraat” being sung by said person who has joined under a fake name.
HC takes strong objection and says contempt notice will be issued. HC asks Delhi Police IT team to look into it.
— Nalini (@nalinisharma_) June 2, 2021
लेकिन जब कोर्ट ने अज्ञात व्यक्ति के विरुद्द अवमानना का नोटिस जारी करने का आदेश दिया, तो यह सामने आया कि वह जूही चावला की कृपा से ही जुड़ा था। जूहा चावला ने ही 5जी टेक्नोलॉजी के खिलाफ कोर्ट में याचिका की ऑनलाइन सुनवाई का लिंक अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर किया था, ताकि लोग अदालती कार्यवाही में शामिल हो सकें। उन्होंने लिंक शेयर करते हुए लिखा था, “अगर आपको लगता है कि यह (5G) आपको किसी भी तरह परेशान करता है तो दिल्ली उच्च न्यायालय में आयोजित हमारी पहली वर्चुअल सुनवाई में शामिल होने के लिए फ्री फील करें, जो 2 जून को सुबह 10.45 बजे होगी। लिंक इन माय बायो।”
बता दें कि जूही के साथ इस मामले में दो और लोगों (वीरेश मलिक और टीना वचानी ने भी याचिका दायर की है। उनमें से निजी दूरसंचार कंपनियों की तरफ से कपिल सिब्बल पेश हुए जिनका कहना है कि 5G को लॉन्च करना सरकार की पॉलिसी है और अगर इसको लॉन्च करके आर्टिकल 14 का उल्लंघन हो रहा है तो इसको रद्द करना चाहिए। हालांकि, 5G नेटवर्क के खिलाफ कोर्ट ने जूही चावला के सीधे मुकदमा दायर करने पर सवाल उठाया। जस्टिस जे आर मिड्ढा ने पूछा, ‘‘क्या आपने प्रतिवेदन के साथ सरकार से संपर्क किया? यदि हां तो कोई इनकार किया गया है क्या?’’ ETV भारत के अनुसार जस्टिस जे आर मिड्ढा ने कहा कि “यह एक दोषपूर्ण वाद है। यह मुकदमा केवल मीडिया प्रचार के लिए दायर किया गया है और इससे ज्यादा कुछ नहीं। यह बहुत चौंकाने वाला है।” कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि ‘जूही चावला और दो अन्य लोगों को पहले अपने अधिकारों के लिए केंद्र सरकार से संपर्क करने की आवश्यकता थी और यदि सरकार मना करती, तब उन्हें अदालत में आना चाहिए था।’ ऐसा लग रहा है जैसे कोर्ट से जूही चावला को उलटा फटकार ही मिली है।
अब जिस तरह से जूही चावला के कारण अदालती कार्रवाई में रूकावटें भी आईं हैं ,उससे उनकी मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं। अब दिल्ली हाईकोर्ट के वर्चुअल सुनवाई में कौन कौन शामिल हो सकता है, ये तो स्वयं कोर्ट ही बेहतर जानता है। लेकिन यदि याचिककर्ताओं और उनके वकील के अलावा कोई शामिल नहीं हो सकता, तो जूही चावला ने इसका लिंक इंस्टाग्राम पर शेयर कर अपने मामले और अपनी प्रतिष्ठा पर अपने हाथों से कुल्हाड़ी चलाई है। यह न सिर्फ अदालत की अवमानना कहलाई जाएगी, बल्कि यदि जूही की 5G याचिका निरस्त हुई, तो उनका भी वही हाल होगा, जो सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर रोक लगाने चले कुछ मनचलों का हुआ था। इसी को कहते हैं, अपने हाथों से अपनी कब्र खोदना।