ममता राज्यपाल धनखड़ को कुर्सी से हटाना चाहती है
एक ओर ममता बनर्जी के गुंडे भाजपा कार्यकर्ताओं को पीट रहे हैं, तृणमूल भाजपा की रही सही राजनीतिक भूमि को हिंसा के जरिए खत्म करना चाहती है। दूसरी ओर अब प० बंगाल में तृणमूल के लिए बड़ा सिरदर्द बन चुके राज्यपाल धनखड़ को भी हटाने की कोशिशें तेज हो गई हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ‛राज्य विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित करने की योजना बना रही है, जिसका आगामी सत्र 2 जुलाई से शुरू होगा। इस प्रस्ताव का मकसद धनखड़ को राज्यपाल की कुर्सी से हटाना है। इसको लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुद विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी से चर्चा की है।’
बिमान बनर्जी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर यह शिकायत भी किया है कि राज्यपाल जगदीप धनखड़ संवैधानिक पद का दुरुपयोग कर रहे हैं तथा विधानसभा के काम में हस्तक्षेप कर रहे हैं। बनर्जी का कहना है विधानसभा द्वारा पारित कई बिल पर राज्यपाल हस्ताक्षर नहीं करते हैं और यह संसदीय लोकतंत्र के लिए अच्छी बात नहीं है। बनर्जी ने राज्यपाल को एक पार्टी विशेष का प्रवक्ता भी कह दिया।
महत्वपूर्ण यह है कि राज्यपाल ममता बनर्जी की सरकार के लिए सिरदर्द बन चुके हैं। उन्होंने तृणमूल द्वारा की जा रही हिंसा का मुखरता से विरोध किया है। हिंदुओं पर हुए अत्याचारों की सुध लेने के लिए राज्यपाल धनखड़ ने पूरे प्रदेश में हिंसाग्रस्त क्षेत्रों का दौरा किया। धनखड़ ने उस समय लोगों से घर जाकर मुलाकात की, जिस समय ममता बनर्जी राजधानी में बैठी हुई थीं और यह कह रही थीं प० बंगाल में हिंसा नहीं हो रही है।
तृणमूल नेताओं का राज्यपाल के प्रति अमर्यादित रवैया
धनखड़ ने सरकार के रवैये की लगातार आलोचना की है। एक आम हिन्दू को भी सम्मानपूर्वक जीवन जीने का तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार संविधान देता है और राज्यपाल एक सर्वोच्च संवैधानिक पद है, अतः धनखड़ का संवैधानिक कर्तव्य भी है कि वह हिंसा का खुलकर विरोध करें, भले इसके लिए उनपर व्यक्तिगत हमले ही क्यो न हों। धनखड़ अपने इस कार्य को बहुत बेहतर ढंग से कर रहे हैं।
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तृणमूल नेता उन्हें पागल कुत्ता तक कह चुके हैं। जब CBI ने कोलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर चल रही नारदा घोटाले की जांच में, तृणमूल नेताओं को गिरफ्तार किया था, उस समय सीबीआई की कार्रवाई के बाद तृणमूल सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा था कि “राज्यपाल सनकी हैं, खून चूसने वाले हैं। उन्हें यहां एक मिनट भी नहीं रुकना चाहिए। पागल कुत्ते की तरह इधर-उधर घूम रहे हैं।”
इसके बाद कल्याण बनर्जी ने ही यह टिप्पणी भी की थी कि धनखड़ जैसे ही पद से इस्तीफा देंगे उनपर मुकदमा करके उन्हें जेल भेज दिया जाएगा। हाल ही में धनखड़ ने साफ कहा था कि उन्हें उनके अधिकारों का इस्तेमाल करने पर मजबूर न किया जाए। धनखड़ ने इशारा किया था कि अगर तृणमूल अपना रवैया नहीं बदलती और सरकार समर्थित हिंसा बन्द नहीं होती तो वह राष्ट्रपति शासन की संस्तुति भी कर सकते हैं। साथ ही हाल में ही कैलाश विजयवर्गीय ने भी राष्ट्रपति शासन की बात कही थी। ऐसे में ममता सरकार भयभीत हो गई है और धनखड़ को हटाकर अपना सिरदर्द खत्म करना चाहती हैं, लेकिन उनका यह रवैया राज्यपाल के इरादों को और मजबूत ही करेगा क्योंकि वह पीछे हटने वालों में नहीं है।