सिख अब सिख मुस्लिम एकता के जाल में नहीं फँसने वाले
कश्मीर में दो सिख लड़कियों के अपहरण और उनके जबरन धर्मांतरण की घटना ने और कुछ किया हो या नहीं, परंतु कुछ सिखों की आँखें अवश्य खोल दी हैं।अभी भी कुछ खालिस्तानी हैं, जो अपना ईमान धर्म बेचके सिख मुस्लिम एकता का फटा हुआ ढोल जबरदस्ती बजा रहे हैं, जैसे अभी शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की वर्तमान अध्यक्ष जागीर कौर ने हाल ही में एक लड़की के अपहरण को उचित ठहराने का प्रयास कर किया।
हालांकि, कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें अब आभास हो रहा है कि सांप से दोस्ती करने में कोई समझदारी नहीं है। ऐसे कई उदाहरण सामने आ रहे हैं , जिससे सिद्ध हो रहा है कि धीरे-धीरे ही सही, पर जल्द ही सिख अब सिख मुस्लिम एकता के जाल में नहीं फँसने वाले।
यह कैसे संभव है?
दरअसल, दिल्ली भाजपा के एक नेता R.P सिंह के नेतृत्व में कुछ सिख नेता गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी से मिले, और उनसे उन्होंने जबरन धर्मांतरण के विरुद्ध एक्शन लेने को कहा। जी किशन रेड्डी ने उन्हे विश्वास दिलाया कि इसपर जरूर काम होगा।
हालांकि, जिस बात से ये सिद्ध होता है कि अब सरदार सिख मुस्लिम एकता के खोंखलेपन में अब फिर नहीं फँसेंगे, वो एक कश्मीरी सरदार के ट्वीट थ्रेड से सामने आती है। अमान बाली को जब पता चली कि अपहृत कश्मीरी सिख लड़कियों में से एक लड़की को बचाकर एक सिख पुरुष के साथ ब्याह दिया गया है, तो एक कश्मीरी मुस्लिम इस पर भड़क गया।
जब वह अपनी भड़ास निकाल रहा था, तो अमान ने ट्वीट किया, “अगर तेरे को लगता है कि दक्षिणपंथियों ने हमारे आंदोलन पर कब्जा कर लिया है तो ये हमारी जिम्मेदारी है? क्या हमें हमारी लड़कियां वापिस नहीं चाहिए? दलमीत के भाई की बात सुनी?”
https://twitter.com/amaanbali/status/1409804188310151174
इस पर इरफान लोन नामक कश्मीरी कट्टरपंथी ने उग्रवादियों का बचाव करने का प्रयास किया तो अमान ने जवाब में कहा, “जबरदस्ती ब्याह नहीं हुआ है उसका। ये कौम की जिम्मेदारी है कि अपने लड़को को संभाल के रखे। क्या एक रोते हुए पिता के जज़्बात आपको समझ में नहीं आते?”
https://twitter.com/amaanbali/status/1409805261422817281
वामपंथियों द्वारा घोले जा रहे प्रोपगैंडा का अंत दिखेगा या नहीं?
लेकिन जब इरफान अपनी हरकतों से बाज नहीं आया, तो अमान बाली ने धज्जियां उड़ाते हुए ट्वीट किया, “यही कौम सभी लड़कियों को उठा लेंगी और अपनी दूसरी, तीसरी बीवी बनायेंगी या फिर नौकरानियाँ बनायेंगी। अब और नहीं रही सहा जाता। हमारी बच्चियों को छोड़ दो बस”
https://twitter.com/amaanbali/status/1409806269959983104
बस, यहीं पर कई वामपंथी भड़क गए, और अमान को नैतिकता का पाठ पढ़ाने लगे। कुछ सरदार अपने समुदाय की ओर से ‘सिख मुस्लिम एकता’ के खोखले सिद्धांत का बचाव करने पहुँच गए। लेकिन उनमें से एक भी ऐसा नहीं था जो अमान के तथ्यों को तनिक भी झुठला सके।
यहाँ पर मतलब स्पष्ट था – अमान ने कुछ ही ट्वीट्स में वर्षों से सिख और हिन्दू समुदायों में वामपंथियों द्वारा घोले जा रहे ‘सिख मुस्लिम एकता प्रोपगैंडा रूपी जहर को अपने लहजे में ध्वस्त करने की ओर एक स्पष्ट कदम बढ़ाया है।
क्या इन सबसे हिन्दू और सिख समुदायों की कड़वाहट दूर होगी? ये कहना थोड़ा मुश्किल है, परंतु इतना तो स्पष्ट कि जो वामपंथी हिंदुओं को नीचा दिखाने के लिए जिस सिख मुस्लिम एकता की दुहाई देते थे, वो अब दोबारा यह नहीं कर पाएंगे, क्योंकि अब स्वयं सिख समुदाय को इस खोखले सिद्धांत के पीछे की सच्चाई समझ में आने लगी है।


























