‘ताज महल प्यार की निशानी है…..,
तो हिंदुस्तान तेरे बाप की कहानी है!’
यह डायलॉग यदि किसी सिनेमा हॉल में सुनाई दिया होता तो दर्शकों का उत्साह देखते ही बनता। वीर योद्धाओं की अनकही गाथाओं को बड़े परदे पर लाने का बीड़ा लगता है अजय देवगन ने उठाने का निर्णय लिया है। हाल ही में उनकी फिल्म ‘भुज – द प्राइड ऑफ इंडिया’ का ट्रेलर रिलीज हुआ है, और यह सही कारणों से हर जगह काफी वायरल भी हो रहा है। ये फिल्म अभिषेक दुधैया द्वारा निर्देशित है, जो इसके निर्माता और लेखक भी हैं। यह फिल्म पहले सिनेमाघरों में आनी थी, परंतु कोरोना के कारण अब 13 अगस्त 2021 को हॉटस्टार OTT सर्विस पर आएगी।
इस फिल्म के जरिए न केवल अजय देवगन ने 1971 के भारत पाक युद्ध के 50 वर्ष पूरे होने के स्वर्णिम अवसर पर भारतीय योद्धाओं को एक अद्भुत श्रद्धांजलि अर्पण की है बल्कि भुज एयरबेस से जुड़ी एक अनकही गाथा को भी वे सामने लाने वाले हैं। ये गाथा है स्क्वाड्रन लीडर विजय कार्णिक की जिन्होंने न केवल विपरीत परिस्थितियों में भुज एयरबेस की कमान संभाली बल्कि उसे शत्रुओं के हाथों में पड़ने से भी बचाया।
समय था 1971। भारत और पाकिस्तान के बीच तनातनी उस समय चरम पर थी। भारत में भी आंतरिक हालत सही नहीं थे क्योंकि पूर्वी पाकिस्तान में पश्चिमी पाकिस्तान के बढ़ते अत्याचारों के कारण वहाँ के शरणार्थियों के भारत पलायन से भारत को भी दिक्कतें होने लगी थी। भारत इसका स्थाई समाधान चाहता था, लेकिन पाकिस्तान तो कुछ और ही ताना बाना बुन रहा था।
इसी बीच 3 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान ने वो किया जो बाद में उसकी इंटरनेशनल बेइज्जती का कारण बना। भारत ने स्थिति भांपते हुए तब के पूर्वी पाकिस्तान और अब के बांग्लादेश में मुक्त वाहिनी को ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी। मुक्त वाहिनी बांग्लादेश की आजादी चाहने वालों की सेना थी। इस बीच युद्ध के लिए अधीर पाकिस्तान ने भारत के कई वायुसेना स्टेशनों पर धावा बोल दिया। इनमें भुज भी शामिल था।
उस समय भुज एयरबेस के कमांडर थे स्क्वाड्रन लीडर विजय कार्णिक और उनके साथ भारतीय वायुसेना के चंद अफसरों के अलावा बीएसएफ़ की एक छोटी टुकड़ी थी, जिसके अगुआ थे वृद्ध स्काउट बाबा रणछोड़दास पागी। इसके अलावा भारतीय सेना के सप्लाई कॉरप्स की भी एक छोटी-सी टुकड़ी ही उपलब्ध थी।
इस युद्ध में भुज एयरबेस की भूमिका बेहद अहम थी, क्योंकि इसे अनेकों बार ध्वस्त किया गया था। इसके बावजूद विजय कार्णिक सामाजिक कार्यकर्ता सुंदरबेन जेठा माधापारया और पास के गांवों की 300 महिलाओं ने हिम्मत नहीं हारी और हर बार एयरबेस को दोबारा बनाने में सफलता पाई। आखिरकार भारतीय सैनिकों और भारतीय जनता के हौसलों के आगे पाकिस्तान के प्रयास पस्त पड़ गए और और उन्हे मुंह की खानी पड़ी।
इससे पहले भी अजय देवगन वीर मराठा योद्धा ‘तान्हाजी – द अनसंग वॉरियर’ के जरिए मराठा सेनापति तानाजी मालुसारे की शौर्य गाथा को सामने लाए थे, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देते हुए न केवल सिंहगढ़ का दुर्ग पुनः प्राप्त किया, बल्कि मुगल साम्राज्य के घमंड को भी सदैव के लिए चकनाचूर कर दिया था।
ऐसे में अब अजय देवगन इस स्वतंत्रता दिवस ये फिल्म ला रहे हैं जिससे कि 1971 के युद्ध में देश के स्वाभिमान की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले भारत के वीर योद्धाओं को उनकी फिल्म के जरिए श्रद्धांजलि दी जा सके।