जिस राजनीतिक पार्टी का प्रतिनिधित्व एक अपरिपक्व नेता कर रहा हो, उस पार्टी की विश्वसनीयता पर तो प्रश्न उठेंगे ही। किसान आंदोलन के मुद्दे पर भी अब कुछ ऐसा ही हो गया है। संसदीय कार्यवाही से भागकर मीडिया कवरेज पाने की लालसा में कांग्रेस अब अपनी राजनीतिक परिपक्वता और विश्वसनीयता शून्य करती जा रही है। यही कारण है कि जिन मामलों पर संसद में बैठकर शांति से चर्चा की जा सकती हैं, उनके लिए कांग्रेस अपने नेताओं के जरिए सड़कों पर अराजकता फ़ैला रहीं है। ऐसे में अब पार्टी किसान आंदोलन की नौटंकियों के माध्यम से पुनः अस्थिरता करने के प्रयास कर रही है। इसी कड़ी में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ट्रैक्टर चलाकर संसद पहुंच गए, जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने कांग्रेस के ही कई नेताओं की क्लास लगा दी है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की राजनीतिक अपरिपक्वता से सभी परिचित हैं क्योंकि वो कभी भी कुछ भी कर सकते हैं। इसी कड़ी में अब वो फ्लॉप हो चुके किसान आंदोलन को लेकर आए हैं। राहुल गांधी अचानक ट्रैक्टर लेकर संसद भवन पहुंच गए। राहुल का रवैया दर्शाता है कि असल में वो अराजकता फ़ैलाने और राजनीतिक स्वार्थ के लिए कभी भी कुछ भी कर सकते हैं। उनके साथ इस दौरान कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला और कांग्रेस के दूसरे नेता भी मौजूद थे। कई नेताओं को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में भी लिया था। बाद में इन नेताओं को शाम तक छोड़ दिया गया था।
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संसद सत्र के दौरान पूरे इलाके में धारा 144 लागू रहती है। जिसके चलते दिल्ली पुलिस ने राहुल गांधी के ट्रैक्टर को भी जब्त कर लिया है, जिस पर क़ृषि कानूनों के विरोध वाला पोस्टर लगा था। दिल्ली पुलिस का कहना है कि कांग्रेस के नेताओं पर मोटर व्हीकल एक्ट के अंतर्गत FIR भी दर्ज की जाएगी। वहीं, राहुल गांधी इसे किसानों के हितों से जोड़कर देखने की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “ये किसानों की आवाज़ है, किसानों की बात सुनी नहीं जा रही है। सरकार को इन तीनों कृषि कानूनों को वापस लेना होगा, ये काले कानून हैं। किसानों पर गलत आरोप लगाए जा रहे हैं, उन्हें आतंकवादी तक कह दिया जा रहा है।”
हम किसानों का संदेश लेकर संसद आये है:
श्री @RahulGandhi जी pic.twitter.com/gDHJjpyqrp— Srinivas BV (@srinivasiyc) July 26, 2021
अब सवाल ये उठता है कि किसानों के नाम पर आंदोलन की बात करने वाले राहुल गांधी ये सारी बातें संसद में क्यों नहीं उठाते ? उनका ये रवैया बताता है कि वो राजनीतिक अपरिपक्वता को पार कर चुके हैं। कांग्रेस नेता संसद की बहसों से बाहर भागते हैं। विपक्ष इतना ज्यादा हंगामा करता है कि संसद का संचालन असंभव हो जाता है और फिर सदन की कार्यवाही खत्म होने पर बाहर आकर जनहित के मामलों को उठाने का ढोंग करने लगते हैं। ये पहली बार नहीं है सीएए के पारित होने के वक्त भी कांग्रेस नेताओं ने कुछ ऐसा ही रवैया अपनाया था। इसके पीछे मुख्य उद्देश्य मीडिया कवरेज की लालसा हैं, यद्यपि अब उन्हें मीडिया द्वारा भी ज्यादा भाव नहीं दिया जाता है।
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कांग्रेस की शह पर चल रहे आंदोलनों में एक वक्त के बाद देश विरोधी नारे लगने लगते हैं, और दंगे समेत हिंसा तक हो जाती है। कांग्रेस ऐसी स्थिति में खुद को आंदोलन से अलग करने का ढोंग करती है। किसान आंदोलन के दौरान भी यही हुआ, लेकिन पंजाब के कांग्रेस नेता सुनील जाखड़ ने ही कबूल किया है कि पंजाब से किसानों को दिल्ली भेजने में कांग्रेस नेता और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका थी। वहीं, अब कांग्रेस नेता ट्रैक्टर समेत किसान आन्दोलन की नौटंकियों को संसद परिसर में ला रहे हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि कांग्रेस चर्चा करने की सूझबुझ खो चुकी है।
कांग्रेस का रवैया बताता है कि वो अब राजनीतिक विश्वसनीयता खोने के बाद एक अपरिपक्व नेता के नेतृत्व में कानूनों की अवहेलना करने को तैयार है, जिससे परेशानियां कांग्रेस की ही बढ़ने वाली हैं।