ईद अल-अधा एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ है “कुर्बानी का त्योहार”। भारतीय उप-महाद्वीप के मुसलमानों के लिए अरबी बोलना नाक से अखरोट तोड़ने के समान था क्योंकि वे सभी हिन्दू थे जो धर्मांतरित हो मुसलमान बने थे। तो उप-महाद्वीप के लोगों ने ईद अल-अधा को बकरीद (Bakrid) अथवा उसके संधि-विच्छेदित संज्ञा बकरा ईद का नाम दे दिया। यह उच्चारण में तो आसान था ही, समझने में भी सरल था। बकरा ईद वो इस्लामिक त्योहार है जिस दिन बकरों की कुर्बानी दी जाती है।
कुछ रईस मुसलमान गायों और ऊँटों को भी हलाल करने से नहीं चूकते। बकरीद अन्य त्योहारों की तरह हर वर्ष आता है और प्रायः हर वर्ष ही इसे लेकर अनेक प्रश्न उठते हैं। पशु प्रेमी इस दिन पशु प्रेम वश इस त्योहार का खंडन करते हैं, वामपंथी विचारक और पशु संरक्षक समूह इस दिन मुंह में तृण डालकर मौन व्रत धारण करते हैं। बकरीद (Bakrid) मनाने वाले बकरीद (Bakrid) मनाते हैं और फिर प्रायः सभी दल अगले वर्ष की प्रतीक्षा में लग जाते हैं। इस वर्ष बकरीद (Bakrid) 21 जुलाई को पड़ रही है और सभी गुट पुराने रागों के साथ डटे हुए हैं।
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इसके इतर एक और वर्ग है और वो है सरकार का। उत्तर प्रदेश में हिन्दू हृदय सम्राट योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की सरकार है और जैसे विशेषणों से वे अलंकृत होते हैं, उनकी क्रिया भी कुछ वैसी ही होती है। इस बार के बकरीद (Bakrid) संवाद में सबसे बड़ा निर्णय भी उन ही का है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने अपनी चिर-परिचित आक्रामक शैली में कुछ निर्देश प्रेषित किए हैं जो इस प्रकार हैं:
1) गाय और ऊंटों की कुर्बानी प्रतिबंधित है
2) किसी अन्य निषिद्ध पशु की कुर्बानी प्रतिबंधित है
3) किसी भी सार्वजनिक स्थल पर कुर्बानी प्रतिबंधित है
4) बकरीद में पचास से अधिक लोगों का जमा होना प्रतिबंधित है
पूरा विश्व इस समय कोरोना महामारी की चपेट में है और ऐसे में योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के यह निर्देश स्वागत योग्य हैं। वैसे भी जब त्योहार, त्योहार न रहकर सार्वजनिक झांकी बन जायें तो त्योहार का महत्व नहीं रह जाता है। यह सत्य है कि भारत एक Secular अर्थात धर्मनिरपेक्ष देश है परंतु एक धर्म विशेष के त्योहार अगर दूसरों के लिए रोग और भय का कारण बनें तो ऐसे निर्देश आने परम आवश्यक हैं। बकरीद (Bakrid) के समय सार्वजनिक स्थलों पर पशुओं को काटने से अनेक स्वास्थ्य संकट पैदा हो सकते हैं। ऊपर से रक्त और तड़पते पशुओं का निर्मम दृश्य कइयों को विचलित भी कर सकता है।
गाय हिंदुओं की आस्था से जुड़ी है, गोवंश वध पर हिन्दू अतिशय क्रोधित होते हैं इसलिए गाय की कुर्बानी पर लगाया गया निषेध स्वागत योग्य है। योगी आदित्यनाथ वैसे तो हिन्दू महंत हैं परंतु उनकी सर्व-धर्म समभाव की सोच प्रशंसनीय है। अपने उचित निर्देशों द्वारा जहां योगी जी (Yogi Adityanath) ने मुसलमानों को अपना त्योहार मनाने से रोका नहीं वहीं हिंदुओं और अन्य वर्गों का भी भलीभाँति सम्मान किया है।