प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने कैबिनेट विस्तार और बदलाव में देश के विकास का तो ध्यान रखा ही हैं, लेकिन बीजेपी के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सकारात्मक दांव भी चला है। 43 मंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह में देश ने एक बार फिर पीएम मोदी की राजनीतिक कुशलता और परिपक्वता को देखा है, जिसमें चुनावी रणनीति से लेकर जातिगत सोशल इंजीनियरिंग सहित कार्यक्षमता के आधार पर पेशेवर लोगों को अपनी कैबिनेट में शामिल किया गया है। इतना ही नहीं PM ने नए-नवेले लेकिन कुशल नेताओं को मंत्री पद देकर ये भी दिखाया है कि वो देशहित में दल-गत राजनीति से ऊपर उठकर सोचते हैं। दूसरी पार्टियों के क्षमतावान नेताओं को आकर्षित करने के लिए ही हाल ही में बीजेपी में शामिल हुए नेताओं को भी कैबिनेट में अहम पद दिए हैं।
कोरोना काल के कारण थोड़ी देर से ही सही, लेकिन PM मोदी ने अपनी कैबिनेट का पहला विस्तार कर अपनी कैबिनेट का कायाकल्प कर दिया है। उन्होंने राजनीतिक रसूख होने के बावजूद उन मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाया है, जिनका परफॉर्मेंस निम्न स्तर का था। वहीं नई कैबिनेट में नए पुराने 43 मंत्रियों ने पुनः शपथ ली है। खास बात ये है कि PM ने इसमें पार्टी के लिहाज से राजनीतिक, क्षमता के अनुसार पेशेवरों और अनुभवों के आधार पर दूसरी पार्टियों से आए नेताओं को भी कैबिनेट में शामिल किया है, जो कि अपने आप में एतिहासिक कदम है।
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राजनीतिक लिहाज से बात करें तो PM मोदी की कैबिनेट में उत्तर प्रदेश से आने वाले करीब 8 सासदों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है, जिसमें लगभग सभी जातियों को प्रतिनिधित्व है। शपथ लेने वाले 43 मंत्रियों मे से 27 ओबीसी समुदाय से आते हैं जो कि बीजेपी की राजनीति में काफी महत्व रखते हैं। इसके अलावा SC-ST, सवर्ण सभी को नए कैबिनेट विस्तार में विशेष स्थान दिया गया है। उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। उत्तर प्रदेश BJP के लिए चुनावी तौर पर सबसे महत्वपूर्ण है। पार्टी को पता है कि राष्ट्रीय राजनीति में मजबूत पकड़ रखने के लिए उत्तर प्रदेश के किले को अभेद्य करना आवश्यक है। PM मोदी के फैसलों में भी इसकी झलक दिखी है।
PM मोदी ने चुनावी राज्यों का ध्यान रखा है, लेकिन महत्वपूर्ण बात ये भी है कि पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र की राजनीति को साधने के लिए दोनों राज्यों से चुनाव न होने के बावजूद 4-4 मंत्रियों के शामिल किया गया है क्योंकि बीजेपी दोनों ही राज्यों में अपने विस्तार के लिए युद्धस्तर पर कार्यरत है। इसके अलावा दूसरी पार्टियों से बीजेपी में आए लोगों को भी PM मोदी ने विशेष सम्मान दिया है। PM मोदी की इस रणनीति का सबसे बड़ा उदाहरण महाराष्ट्र के पूर्व CM और शिवसेना से बीजेपी में आए नारायण राणे, और कांग्रेस से आए ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं। दोनों ही बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण हैं।
महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति की बात करें तो वहां गठबंधन में टकराव है। ऐसे में बीजेपी ने कोंकण क्षेत्र में मजबूत पकड़ रखने वाले नारायण राणे को कैबिनेट में जगह देकर पार्टी की स्थिति मजबूत करने की प्लानिंग की है। नारायण राणे पहले शिवसेना में थे और फिर BJP नेता देवेंद्र फडण्वीस के साधने पर वो बीजेपी में आ गए।
वर्तमान स्थिति की बात करें तो उन्हें मंत्री पद देना काफी महत्वपूर्ण होने वाला है। इतना ही नहीं महाराष्ट्र के कोटे से मंत्री बनाए गए चार सांसदों में तीन दूसरी पार्टियों से आए हैं, जो कि अन्य पार्टियों के नेताओं के लिए बड़ा आकर्षण का केंद्र हो सकता है। बागियों के लिए सम्मान के लिहाज से सबसे बेहतरीन उदाहरण असम में कांग्रेस से बीजेपी में आए हिमंता बिस्वा सरमा हैं, जिन्हें पांच साल के कार्यकाल के बाद मुख्यमंत्री तक बना दिया गया।
इसी तरह कांग्रेस से भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम भी PM मोदी की कैबिनेट में अहम है। कांग्रेस के कद्दावर नेता कहे जाने वाले सिंधिया को मध्य प्रदेश में बीजेपी सरकार बनाने के लिए तोहफे के तौर पर नागरिक उड्डयन मंत्रालय दिया गया है। पीएम मोदी ने इस कदम से मध्य प्रदेश के गुना, ग्वालियर, चंबल और इंदौर में पार्टी को मजबूत करने की कोशिश की है, तो वहीं दूसरी पार्टियों में शामिल अच्छे नेताओं के लिए एक सकारात्मक संकेत भी दिया है; कि अगर उनकी छवि अच्छी है, तो उन्हें काम के आधार पर महत्वपूर्ण पदों से सम्मानित भी किया जाएगा।
बागी नेताओं को मंत्री पद देना केवल महाराष्ट्र या मध्य प्रदेश तक ही सीमित नहीं हैं। अन्य राज्यों में भी ये ट्रेंड दिखा है। उत्तर प्रदेश के आगरा से सांसद हों या बंगाल से आने वाले निशीथ प्रमाणिक और शांतनु ठाकुर, सभी का भाजपा में राजनीतिक सफर काफी छोटा रहा है, लेकिन उनकी राजनीति और कामकाज के आधार पर उन्हें मंत्री पद दिया गया है। इसके अलावा राज्यों के प्रतिनिधित्व को लेकर भी PM ने कर्नाटक से चार नए चेहरों को अपनी कैबिनेट में शामिल किया है।
मोदी कैबिनेट में उड़ीसा से आने वाले 4 मंत्रियों को भी खासा महत्व दिया गया है, जिनमें रेल और आईटी मंत्रालय पाने वाले अश्विनी वैष्णव का नाम मुख्य है। उड़ीसा के लोकप्रिय मुख्यमंत्री नवीन पटनायक का रुख हमेशा ही एनडीए के प्रति सकारात्मक रहता है। ऐसे में बीजेपी चाहती है कि नवीन पटनायक की भूमिका एनडीए में भी हो। इसीलिए पीएम मोदी ने अश्विनी वैष्णव को अहम पद दिया है, जो भले ही बीजेपी से आते हैं लेकिन नवीन पटनायक की उनके साथ करीबी है। ऐसे में पीएम मोदी की प्लानिंग है कि एनडीए और नवीन पटनायक के बीच सामंजस्य बिठाने के लिए अश्विनी वैष्णव एक पुल का काम करें।
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वहीं राजनीतिक पहलुओं और बागियों को आकर्षित करने से इतर PM मोदी का फोकस काम करने की क्षमता और अनुभव पर भी रहा है, जिसके चलते PM ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को भी अपनी कैबिनेट में शामिल किया है। किसी भी राज्य का CM सीधे तौर पर मुखिया होता है। उनकी भूमिका ठीक वैसी ही होती है, जैसे देश में प्रधानमंत्री की होती है और उन्हें अधिकारियों के साथ काम करने का विशेष अनुभव होता है। ऐसे में कैबिनेट में शामिल होने पर नारायण राणे और सर्वानंद सोनेवाल जैसे पूर्व CM अलग-अलग राज्यों के साथ सटीक समन्वय बिठाकर काम करने में सक्षम होंगे, जिसमें उनका पुराना अनुभव भी काम आने वाला है।
इसी तरह PM ने अपनी कैबिनेट में जातिगत रणनीति, अलग-अलग क्षेत्र के प्रोफेशनल्स और पूर्व अधिकारियों को भी अपनी कैबिनेट में शामिल किया है, जिन्हें अपने क्षेत्र में काम का विशेष अनुभव है। चिकित्सा, शिक्षा, विज्ञान, पूर्व नौकरशाह… PM मोदी की कैबिनेट में वो सभी नगीने हैं जो कि देश के उत्थान और बीजेपी के लिए राजनीतिक तौर पर सकारात्मक होंगे।