वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन से लेकर वर्ल्ड हलाल ऑर्गनाइजेशन तक: WHO का इस्लामीकरण हो गया है

विश्व हलाल संगठन

आज समाज के किसी भी संस्था पर दो प्रकार की विचारधारा का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। पहला वोक कल्चर और दूसरा इस्लामिस्टो का। इन दोनों को बढ़ावा देने में सबसे बड़ा हाथ लेफ्ट ब्रिगेड का है। विश्व के बड़े से बड़े संगठन या संस्था भी इन दोनों ही विचारधाराओं का शिकार बन चुके हैं। उदहारण के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन को ही ले लीजिये। अब इस संगठन को विश्व हलाल संगठन भी कहा जाये तो भी गलत नहीं होगा। वैश्विक संगठन होने का दावा करने वाला WHO शरिया कानून का अनुसरण करता दिखाई दे रहा है।

विश्व हलाल संगठन (WHO) अपने एक ट्वीट में चीन के संकेतों पर नृत्य करने वाली यह संस्था कोविड-19 के वैक्सीन को ‘हलाल’ सर्टिफिकेट दे रही है और साथ ही वैक्सीन को शरिया कानून के अनुरूप बता रहा है जिससे विश्व के मुसलमानों को वैक्सीन लेने में शंका न हो।

यहां ध्यान देने वाली बात है विश्व स्वास्थ्य संगठन का मुख्यालय जिनेवा में है जो कि यूरोपीय देश स्विट्जरलैंड का एक शहर है। अगर अरब स्प्रिंग के बाद देखा जाये तो सबसे अधिक इस्लामीकरण यूरोप का ही हुआ है।

मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका युद्ध से भागे शरणार्थियों से भर गया है। इन शरणार्थियों में सभी मुसलमान है और इसलिए वे यूरोपीय देशों के समाज, संस्कृति और प्रथाओं के साथ घुलने-मिलने को तैयार नहीं हैं। इसके उलट उनके समाज में अपनी कट्टरता को घोल चुके हैं।

इन देशों में इन शरणार्थियों के कारण न सिर्फ अपराध बढ़ा है, बल्कि वामपंथियों के साथ मिलकर इन्होंने कई देशों की संस्थाओं, समाज, संस्कृति और जीवन जीने की पद्धति पर भी कब्ज़ा करना शुरू कर दिया है। वे समायोजन करने को तैयार नहीं हैं। इसके बजाय वे वहां के समाज को परिवर्तित करने पर ध्यान दे रहे हैं।

हलाल भी उन्हीं प्रयासों का एक अहम भाग है। यह मूलतः अरबी शब्द है तथा इसका अर्थ है उचित या धर्म के अनुकूल। आज के विश्व में यह एक इंडस्ट्री बन चुकी है जिसे दूसरे धर्मों के अनुयायियों पर थोपा जा रहा है। किसी भोजन सामग्री या किसी अन्य वस्तुओं को इस्लामिक कानून का पालन करते हुए तैयार किया जाता है जिससे मुसलमान उचित मानते हैं और फिर उसी वस्तु को अन्य धर्मों के लोगों से उपयोग करवाया जा रहा है। गैर-हलाल उत्पादों को ‘हराम’ कहा जाता है, जो आम तौर पर मुसलमानों के बीच अपवादित होता है। यह इस्लामिक कानून को अन्य धर्मों के लोगों पर थोपना नहीं है तो क्या है?

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ऐसे समय में जब वैश्विक महामारी अभी भी जारी है, सामान्य बात यही होनी चाहिए कि धार्मिक सिद्धांत और कट्टरतावाद को पीछे छोड़ा जाये और इस वायरस से निपटने पर ध्यान दिया जाये।

परन्तु WHO अपनी मूर्खता का दिखावा करने से पीछे नहीं हट रहा है। दुनिया का सर्वोच्च स्वास्थ्य संगठन माना जाने वाला और संयुक्त राष्ट्र से संबंध रखने वाला विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक ट्विटर थ्रेड में कोविड -19 टीकों और उनके बारे में भ्रांतियों को दूर करने की कोशिश की।

हालांकि, एक चौंकाने वाले ट्वीट में, WHO द्वारा शेयर की गयी एक पोस्ट में कहा गया है, “कोविड -19 टीकों में किसी भी प्रकार के पशु उत्पाद नहीं होते हैं। Medical Fiqh Symposium ने फैसला सुनाया है कि शरिया कानून के अनुसार टीकों को लगवाने की अनुमति है। ” साथ ही इस ट्वीट का कैप्शन, “कोविड -19 के टीके हलाल हैं” दिया गया था।

शरिया, वैसे, मुसलमानों का इस्लामिक कानून है, जिसे अक्सर उसके मानने वालों द्वारा राष्ट्रीय संविधानों और कानूनों के ऊपर रखा जाता है। एक समुदाय के सदस्यों के लिए विशिष्ट रूप से उनके धार्मिक कानूनों का हवाला देते हुए यह विश्वास दिलाना कि कोविड -19 टीके हलाल हैं, WHO की ओर से विज्ञान से हटकर कट्टरवाद को वैध बनाने का एक शर्मनाक प्रयास है।

अपनी मूर्खता के लिए जिस चीज को सबसे ज्यादा नजरअंदाज किया जाना चाहिए था, WHO ने उसे श्रेय दिया। उदाहरण के लिए, WHO द्वारा स्वयं वैक्सीन को हलाल घोषित किये जाने के बाद क्या अन्य धार्म के लोग वैक्सीन लेने के इच्छुक होंगे? डब्ल्यूएचओ का इस्लामीकरण मुस्लिम समुदाय के सदस्यों को खुश करने के उद्देश्य के साथ शायद पूरा होता दिखाई दे रहा है।

पहले से ही, डब्ल्यूएचओ को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के इशारे पर नाच रहा था और अब इस तरह से इस्लामीकरण। अच्छा तो यही होगा कि इस संगठन का नाम बदल कर World Health organization से  विश्व हलाल संगठन कर देना चाहिए।

ऐसा लगता है कि चीन के इशारों पर नृत्य करते-करते इस संगठन का विज्ञान से नाता ही समाप्त हो चुका है। चीन को खुश करने के लिए ताइवान की शुरुआती चेतावनियों की अनदेखी करने से लेकर मास्क का उपयोग करने के खिलाफ सलाह तक, इसके बाद कोरोना वायरस के मानव-से-मानव संचार को देर से स्वीकार करने से लेकर शरिया कानून को समर्थन देने तक WHO ने विज्ञान से अविज्ञान तक एक लम्बा रास्ता तय किया है।

अनिवार्य रूप से, WHO अब एक ऐसी संस्था के रूप में उभरा है जो चीन और कम्युनिस्टों के लिए, तथा सबसे अधिक खतरनाक रूप से इस्लामिस्टो के इशारे पर चल रहा है।

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