कांग्रेस पार्टी के पास अब सपने देखने के आलावा कुछ खास नहीं बचा है, ऐसा ही सपना कांग्रेस की कर्नाटक ईकाई ने भी देखा था, लेकिन मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने दो दिन में ही कांग्रेस का सपना तोड़ दिया है। कर्नाटक में बीजेपी, सरकार के नेतृत्व और संगठन में परिवर्तन की तैयारियों में है, ऐसे में संभव है कि पार्टी 78 वर्षीय येदियुरप्पा को सीएम पद से हटाकर राज्य में नया सीएम बनाए। कांग्रेस इसे येदियुरप्पा को हटाने की साजिश बता रही है क्योंकि वो लिंगायत समुदाय से आते हैं। कांग्रेस सपने देखने में इतना ज्यादा आगे निकल गई है कि उसने बीजेपी के लिंगायत समुदाय के विधायकों तक को अपने पक्ष में लाने की बात कह दी, लेकिन अब येदियुरप्पा ने बीजेपी के प्रति अपने निष्ठा जाहिर करने वाले एक ट्वीट के दम पर कांग्रेस को दिन में ही तारे दिखा दिए हैं।
येदियुरप्पा की सीएम पद की कुर्सी के जाने की अटकलें काफी हद तक सही भी हैं, क्योंकि उनकी उम्र अधिक होने के कारण अब पार्टी राज्य में नए नेतृत्व को लाने की तैयारी कर रही है, इसीलिए बीजेपी विधायकों द्वारा भी येदियुरप्पा को संन्यास पर भेजने की मांग उठने लगी है। कांग्रेस येदियुरप्पा के लिंगायत समुदाय के होने का फायदा उठाकर बीजेपी के इस कदम को समुदाय के अपमान से जोड़ने की कोशिश कर राजनीतिक लाभ लेने की प्लानिंग में थी, लेकिन कांग्रेस को झटका देते हुए येदियुरप्पा ने साफ कहा है कि पार्टी के प्रत्येक फैसले का सम्मान होना चाहिए, और किसी भी प्रकार का विरोध प्रदर्शन तो कतई होना ही नहीं चाहिए। येदियुरप्पा का ये ट्वीट कांग्रेस के ख्याली पुलाव पर पानी फेरने वाला साबित हुआ है।
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सीएम की कुर्सी जाने की अटकलों के बीच पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा जाहिर करते हुए येदियुरप्पा ने ट्वीट किया और कहा, “मुझे भाजपा का वफादार कार्यकर्ता होने का सौभाग्य मिला है। नैतिकता और व्यवहार के उच्चतम मानकों के साथ पार्टी की सेवा करना मेरा परम सम्मान है। मैं सभी से पार्टी की परंपरा के अनुसार कार्य करने और विरोध या अनुशासनहीनता में शामिल नहीं होने का आग्रह करता हूं जो पार्टी के लिए अपमानजनक और शर्मनाक हो।” येदियुरप्पा का ये ट्वीट अपने समर्थकों के लिए है, जो कि उनके सीएम पद की आशकांओं से व्यथित हैं।
I am privileged to be a loyal worker of BJP. It is my utmost honour to serve the party with highest standards of ethics & behaviour. I urge everyone to act in accordance with party ethics & not indulge in protests/indiscipline that is disrespectful & embarrassing for the party.
— B.S.Yediyurappa (Modi Ka Parivar) (@BSYBJP) July 21, 2021
पार्टी के प्रति सम्मान और गरिमा को लेकर येदियुरप्पा ने अपने समर्थकों को संकेत देते हुए एक ट्वीट किया और कहा, “ सद्भावना अनुशासन की सीमा पार नहीं करनी चाहिए। मेरे लिए पार्टी मां की तरह है और इसका अपमान मुझे पीड़ा देगा। मुझे विश्वास है कि मेरे शुभचिंतक मेरी बात समझेंगे और मेरी भावनाओं का आदर करेंगे।” हालांकि, नेतृत्व परिवर्तन को लेकर अभी भी बीजेपी का कोई भी नेता कुछ बोलने को तैयार नहीं है, लेकिन हकीकत यही है कि पार्टी इस मुद्दे पर ताबड़तोड़ काम कर रही है। संभावनाएं है कि 26 जुलाई को होने वाली विधायकों की बैठक में कोई बड़ा फैसला लिया ही जाएगा।
येदियुरप्पा की कुर्सी जाने की खबरों से सबसे ज्यादा उत्साहित कांग्रेस थी। पार्टी येदियुरप्पा को लिंगायत समुदाय से जोड़कर ये साबित करना चाहती थी कि अब लिंगायत समुदाय के लोगों को बीजेपी में अपमान हो रहा है। इतना ही नहीं, पार्टी की प्लानिंग थी कि वो बीजेपी के लिंगायत समुदाय के विधायकों को भड़काकर उन्हें अपने खेमे में कर लेगी और पुनः सरकार बना लेगी, लेकिन अपने एक ट्वीट से कांग्रेस की सारी प्लानिंग फुस्स कर चुके हैं। येदियुरप्पा ने साफ कर दिया है कि भले ही उन्हें सीएम पद से हटाया जाए, लेकिन वो पार्टी के खिलाफ कोई विद्रोह नहीं करेंगे, और न ही अपने समर्थकों को ऐसा कुछ करने देंगे।
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लिंगायत कर्नाटक की राजनीति में एक अहम कम्युनिटी मानी जाती है। ऐसे में इस समुदाय को साधने की कोशिश में कांग्रेस लिंगायतों के अपमान का मुद्दा उठा रही है, लेकिन बीजेपी के नए सीएम को लेकर जो नाम चल रहे हैं; जो कि बसनगौड़ा पाटिल यतनाल, और मुरुगेश निरानी है। खबरों के मुताबिक ये दोनों ही लिंगायत समुदाय से आते हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि कर्नाटक में लिंगायत समुदाय से ही अगला सीएम बनाकर बीजेपी लिंगायत समुदाय के लोगों को साधने की कोशिश कर रही कांग्रेस को तगड़ा झटका दे सकती है, और कांग्रेस की अपने पक्ष में हवा बनाने की कोशिशें हवा हो गई हैं।