2014 और इसके बाद 2019 में पीएम मोदी को मिली प्रचंड जीत में कांग्रेस के भ्रष्टाचार समेत कई मुद्दे शामिल थे। इन मुद्दों में एक कारण कांग्रेस की ‘चुनावी मुद्दों की ख़राब समझ’ भी थी। कांग्रेस को ये पता ही नहीं था कि पीएम मोदी को किस मुद्दे पर घेरा जाए। आज भी वैसे ही हालात हैं। अब कांग्रेस और विपक्ष पेगासस की फेक न्यूज़ पर सदन में हंगामा कर रही है। यूपी में चुनावों से पहले विपक्ष पेगासस फेक न्यूज़ को मुद्दा बनाने की कोशिश में जुटा है, लेकिन इसका फायदा विपक्ष को नहीं बल्कि पीएम मोदी को ही मिलने वाला है।
दरअसल, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव भारतीय राजनीतिक पार्टियों के साथ-साथ विदेश में बैठी भारत-विरोधी शक्तियों के लिए भी अहम हैं। इन देश विरोधियों को अभी तक यह नहीं पचा है कि कैसे एक महंत जो भगवा वस्त्र धारण करता है, मुख्यमंत्री बन सकता है। भारत के विपक्षी दलों के साथ मिलकर विदेशी शक्तियां भी भारतीय जनता पार्टी को हराना चाहती हैं। इस कवायद की पहली नींव पेगासस फेक न्यूज़ के साथ रख दी गई है।
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पेगासस रिपोर्ट संसद के मानसून सत्र की शुरुआत से ठीक एक दिन पहले लीक की गई, जब पीएम मोदी कैबिनेट के नए नेताओं का परिचय देने वाले थे। बिना किसी ठोस तथ्य के हमेशा की तरह विपक्ष ने पेगासस फेक न्यूज़ पर संसद में जमकर हंगामा किया, नारेबाजी की जिससे कि संसद को स्थगित तक करना पड़ा।
इस पेगासस रिपोर्ट के सामने आने के बाद कांग्रेस और विपक्ष इतने खुश हो गए कि अति उत्साह में उन्होंने जाने-अनजाने यह संकेत दे दिया कि यह मुद्दा संसदीय कार्यवाही को पटरी से उतारने और आगामी चुनावों में इसका इस्तेमाल करने के लिए लाया गया है। जो भी हो लेकिन पेगासस फेक न्यूज़ मामले में विपक्ष एक बार फिर से जली हुई रस्सी के सहारे अपनी उम्मीदें लगाकर बैठा है।
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जहां तक यूपी चुनाव का सवाल है, ‘कुछ पत्रकारों और विपक्षी नेताओं की जासूसी की जा रही है’ कभी भी राष्ट्रीय या यहां तक कि क्षेत्रीय महत्व का मुद्दा ही नहीं था। यह मामला इन्टरनेट और ट्विटर तक ही सीमित है। यही नहीं अगर यह मामला जनता तक पहुँचता भी है तो यह विपक्ष की नहीं बल्कि प्रधानमंत्री मोदी की छवि को और मजबूत नेता के रूप में बढ़ाएगा। देश की जनता, खासकर बीजेपी के कोर वोटर को यह चिंता नहीं है कि प्रधानमंत्री किसकी जासूसी करवा रहे हैं। अगर करवा भी रहे होंगे तो उसे और भी ख़ुशी ही होगी कि चलो देश विरोधियों पर नजर रखी जा रही है। जनता तो यह चाहती ही है कि इन देश विरोधियों के खिलाफ एक्शन लिया जाए।
कांग्रेस और विपक्ष ने ऐसा मुद्दा उठाया है जिसके जाल में वह स्वयं फंस जाएगी। कांग्रेस पार्टी का जासूसी से पुराना नाता है। पहले प्रधानमंत्री नेहरु द्वारा सुभाष चन्द्र बोस की जासूसी और मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते कई ऐसे मामले हैं जिसमें फोन टैपिंग सहित कई विशिष्ट व्यक्तियों की जासूसी करवाई गई है।
वहीँ राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यह माना था कि उन्होनें अपने विधायकों के फोन टैप करवाए थे। ऐसे में कांग्रेस अगर मोदी सरकार पर यह आरोप लगाती भी है तो जनता उसके बयानों पर ध्यान भी नहीं देगी। इससे जिस वोटर के मन में बीजेपी के लिए शंका है वह भी बीजेपी को ही वोट देकर आएगा। पेगासस फेक न्यूज़ मामले पर विपक्ष द्वारा हंगामें से न सिर्फ चुनाव में बीजेपी को जीत मिलेगी बल्कि बड़ी जीत मिलेगी।
इसलिए यह दिखाने के लिए एक और अच्छा उदाहरण है कि विपक्ष को वास्तविक मुद्दों की कितनी खराब समझ है। भारतीयों के एक बड़े वर्ग को पता है कि संकट के समय नरेंद्र मोदी ही सबसे बेहतर हैं। इसके साथ ही तथ्य यह भी है कि विपक्ष कोई भी ढंग का मुद्दा सरकार के खिलाफ लाने में पूरी तरह से असमर्थ है।
कोरोना महामारी और उससे पहले भी कई मुद्दों के बावजूद विपक्ष किसी भी प्रकार से केंद्र को घेरने में असफल रहा है। इसके उलट विपक्ष बेबस होकर अपनी ही कमियों को उजागर कर रहा है।
भाजपा की अक्सर यह कह कर आलोचना की जाती है कि उसे नहीं पता कि सरकार में कैसे रहना है। कहा जाता है कि वे सरकार में हैं लेकिन सत्ता में नहीं। इस आलोचना के गुण-दोषों को छोड़कर, यह जांचना महत्वपूर्ण है कि क्या विपक्ष जानता है कि विरोध कैसे किया जाता है। यदि पिछले छह साल का विश्लेषण करें तो यह स्पष्ट है कि वे यह जानते ही नहीं है कि कैसे विरोध किया जाता है। इसी का फायदा बीजेपी को इस बार उत्तर प्रदेश के चुनावों में भी होने वाला है और बीजेपी प्रदेश में प्रचंड जीत हासिल करने वाली है।