प्रधानमंत्री द्वारा किए गए कैबिनेट विस्तार में कई वरिष्ठ मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाया गया है। इस लिस्ट में प्रकाश जावड़ेकर के साथ-साथ रविशंकर प्रसाद भी हैं। उन्हें कैबिनेट से हटाए जाने के बाद से सोशल मीडिया पर कई तरह की बातें चल रही हैं। कई तो उन्हें हटाए जाने का कारण भारत सरकार पर अमेरिका तथा ट्विटर का दबाव बता रहे हैं। यही नहीं लिबरल ब्रिगेड तो यह भी दावा करने में लगा है कि अमेरिका में पढ़े अश्विनी वैष्णव को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय अमेरिका को खुश करने के लिए बनाया गया है।
दरअसल, कैबिनेट में फेरबदल के बाद अब लिबरल ब्रिगेड अपने प्रोपेगेंडा को फैलाना जारी रखा है। अब मोदी सरकार को कमजोर दिखाने के लिए रविशंकर और ट्विटर के बीच हुए मतभेद को आधार बनाया जा रहा है। रविशंकर प्रसाद को मंत्रिमंडल से हटाए जाने का कारण ट्विटर के साथ उनके विवादों को बताए जा रहा है और यह दावा किया जा रहा है कि ट्विटर से पंगा लेना रविशंकर प्रसाद को मंहगा पड़ा।
The Deshbhakt नामक वाले प्रोपेगेंडा ट्विटर हैंडल चलाने वाले एक यूजर ने एक कार्टून पोस्ट शेयर कर यह दिखाने की कोशिश की कि पहले रविशंकर ट्विटर के पंख कुतरने की कोशिश कर रहे थे और अब ट्विटर ने उनके ही पंख को काट दिया।
https://twitter.com/TheDeshBhakt/status/1412978688702832641?s=20
वहीं, एक ट्विटर यूजर ने लिखा कि “आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद के इस्तीफे के बाद ट्विटर हेडक्वार्टर में खुशियां मनाई जा रही हैं। बेचारे रविशंकर प्रसाद। पहले तो ट्विटर ने उनका अकाउंट लॉक कर दिया। अब उनके कार्यालय के बाहर ताला लगा दिया है।”
IT minister Ravi Shankar Prasad resigned #RaviShankarPrasad#CabinetReshuffle
Twitter headquarters👇👇 pic.twitter.com/KFrnK192yI
— Yakul dev (@DevYakul) July 7, 2021
इसी तरह पत्रकार vir sanghvi ने लिखा कि ‘पहले ट्विटर ने उन्हें कुछ घंटों के लिए ब्लॉक किया अब साहब ने उन्हें परमानेंट ही ब्लॉक कर दिया।’
Poor old Ravi Shankar Prasad. First he got locked out of his Twitter account. Now he has got locked out of his office.
— vir sanghvi (@virsanghvi) July 7, 2021
Twitter blocked his account for a few hours. Saheb blocked him permanently. 😭#RaviShankarPrasad pic.twitter.com/bXn52zxORC
— Babita (@BabitaKri) July 7, 2021
इसी तरह कई अन्य यूजर ने उनका मजाक उड़ाते हुए ट्वीट किये।
https://twitter.com/SanjayK65669712/status/1412962402451165187?s=20
इन सभी का एक ही प्रोपेगेंडा फैलाने का मकसद था। सभी यह चित्रित करने की कोशिश कर रहे थे कि मोदी सरकार ट्विटर और अमेरिका के सामने झुक गई है; इसी कारण रविशंकर प्रसाद को उनके पद से हटा दिया गया। यही नहीं ये तक कहा गया कि सरकार ने रविशंकर प्रसाद द्वारा ट्विटर के साथ शुरू किए गए विवाद को अंत करने के लिए अमेरिका से ही पढ़े लिखे अश्विनी वैष्णव को मंत्रालय थमा दिया है।
हालांकि, नए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ट्विटर के मुद्दे पर कहा कि सभी को देश के कानून का पालन करना चाहिए। ऐसे में मंत्री अश्विनी वैष्णव का इशारा ट्विटर कंपनी पर था कि उनकी मनमानी नहीं चलने वाली है।
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यह तथ्य है कि मोदी सरकार द्वारा रविशंकर प्रसाद को किसी विदेशी कंपनी के सामने झुक कर नहीं, बल्कि उन्हें निर्णय न ले पाने तथा विवाद को बड़ा बनाने के कारण हटाया है। गौर हो कि कई वार्निंग देने के बावजूद ट्विटर ने रविशंकर प्रसाद के अकाउंट को अमेरिकी कानून का हवाला देते हुए लॉक कर दिया था। इतनी बड़ी घटना होने के बाद भी रविशंकर प्रसाद ने ट्विटर के खिलाफ एक निर्णायक कदम नहीं उठाया, बल्कि उल्टा ट्विटर पर ही ट्विटर की शिकायत करने लगे।
ये मामला इतना आगे बढ़ गया कि देश की छवि ट्विटर के सामने कमजोर दिखने लगी थी। ऐसे समय में देश को एक मजबूत नेता की आवश्यकता थी जो ट्विटर को उसकी सही जगह दिखाए। भारत में कानून का पालन न करने और मनमानी करने का क्या परिणाम होता है सभी ने देखा है, परंतु Action की बजाय जब मंत्री ही रोना रोने बैठ जायें तो आम जनता किससे उम्मीद करे?
यही कारण है कि प्रधानमंत्री ने एक पूर्व IAS अश्विनी वैष्णव को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी है। मोदी सरकार उनमें से नहीं है जो देश के कानून को लागू करवाने के लिए अमेरिका या अमेरिकी कंपनी को खुश करने में जुट जाये। केंद्र की मोदी सरकार किसी के आगे झुकने वाली नहीं है, बल्कि कानून के रास्ते पर चलने वाली है। आने वाले दिनों में ट्विटर पर जब एक्शन लिया जायेगा सभी को कारण समझ आ जायेगा।