कांग्रेस पार्टी की परंपरा से शायद शशि थरूर वाकिफ नहीं हैं। परंपरा एक दम स्पष्ट है- प्रशंसा अगर करनी है तो सिर्फ गांधी परिवार की करो, अगर इससे इतर किसी की तारीफ करनी है तो गांधी परिवार से पूछकर करो। बिना अनुमति लिए अगर कुछ कह दिया तो आपके राजनीतिक जीवन में प्रलय आ जाएगी। कुछ ऐसा ही हाल अभी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा सांसद शशि थरूर का है। शशि थरूर ने अपने ट्वीट में पीएम मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की तारीफ करते हुए कोरोना और टीकाकरण के समय में सर्वाधिक उपयोग में आए कोविन पोर्टल की भूरी-भूरी प्रशंसा की है।
जबकि ये वही थरूर हैं जिन्होंने भारत के कोरोना टीका उत्पादन, उसके प्रभाव और निर्यात पर सवाल खड़े किए थे। इससे उनके मस्तिष्क में चल रही दो बातों ने उन्हें ही उलझाकर रख दिया है कि अब जो टीकाकरण का सफल संचालन अपनी गति बनाए हुए है इसका विरोध करें या समर्थन करें।
यूं तो इस ट्वीट में ऐसी कोई भी बात नहीं कही गई है जिससे सामाजिक सौहार्द या समाज में विघटन जैसी स्थितियां उत्पन्न हों, लेकिन हाँ, इससे कांग्रेस पार्टी में आंतरिक विघटन और टूट जैसी बातों का व्यापन अवश्य हो गया है।
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वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान, भारत जैसे बड़े जनसंख्या घनत्व वाले देश में कोरोना के फैलाव पर नियंत्रण पाने और टीकाकरण के लिए एक ONLINE माध्यम को विकसित किया गया था जिसको कोविन के नाम से जाना गया। संधि विच्छेद करेंगे तो पता चलेगा कि इस CoWIN (कोविन) शब्द के भीतर एक दृढ़ता का समावेश है। Co का अर्थ है कोविड (COVID) और WIN का अर्थ है जीत, यानि कोरोना की जंग में भारत विजयी होगा। इसे देश में पिछले डेढ़ वर्ष में उत्पन्न हुए भय और नकारात्मक माहौल को एक सकारात्म्क सोच की ओर ले जाने के कदम के रूप में देखा गया था।
जनवरी में शुरू हुए टीकाकरण में CoWIN की अहम भूमिका रही है। सरकार के इस पोर्टल के माध्यम से वैक्सीन लगवाने में काफी सुविधा हो रही है। इसके माध्यम से लोग वैक्सीन की डोज के लिए बुकिंग करवा सकते हैं। वहीं, दुनिया के कई अन्य देशों को भी कोविन प्लेटफॉर्म बेहतर लगा है, जिसके बाद उन्होंने इसमें दिलचस्पी भी दिखाई थी। देश में अब तक कोविड वैक्सीन की 50 करोड़ से अधिक डोज लगवाई जा चुकी हैं।
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इस बीच अब कांग्रेस नेता शशि थरूर ने सबको अपने ट्वीट से चौंका दिया है, जिसमें उन्होंने साफ-साफ शब्दों में कह दिया है कि “मैंने हमेशा सरकार की प्रशंसा की है, जब वह इसके योग्य रही है, कोविन के आलोचक के रूप में होने के बावजूद भी मैं कहूंगा कि उन्होंने इसके माध्यम से एक अच्छी पहल की है। 9013151515 नंबर पर वॉट्सऐप मैसेज भेजें और ओटीपी के जरिए से अपना वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट प्राप्त करें. यह काफी सरल और तेज है।”
दरअसल, लॉकडाउन खुलते ही दफ्तरों और कार्यालयों में कर्मचारियों के आने की एक बाध्यता जारी करते हुए सभी ओर यह निर्देश दे दिए गए थे कि कोई भी कर्मचारी काम पर तभी आ सकता है जब वो अपना कोरोना टीकाकरण का प्रमाणपत्र ऑफिस में जमा कराता है। इसके बाद कोविन की महत्ता और बढ़ गई थी, क्योंकि वो ही ऐसा सरल और सीधा माध्यम था जहां से यह प्रमाण पत्र तत्काल निकाला जा सकता था।
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वहीं,शशि थरूर के शब्दों में मोदी सरकार के प्रति चाशनी और कांग्रेस के प्रति दो टूक संदेश भी साझा होता दिख रहा है, जिस प्रकार शशि थरूर ने स्वयं को पूर्व में कोविन का आलोचक होना स्वीकार किया है तो वहीं यह भी कह दिया है कि सरकार का यह कदम सराहनीय है। इससे शशि थरूर का कांग्रेस से रुष्ट व्यवहार भी साफ छलकता दिख रहा है क्योंकि थरूर ने कांग्रेस पार्टी के अध्यक्षीय चुनाव पर भी ज़ोर देते हुए कई बार बयान दिये हैं और तो और उनके इन्हीं बयानों ने जी-23 गुट वाले नेताओं को ताकत भी दी थी।
थरूर को अब अपने अस्तित्व पर तलवार लटकती दिखने लगी है क्योंकि वो भी कांग्रेस का अध्यक्ष बनने की कतार में अग्रणी दावेदार माने जा रहे थे, पर नए अध्यक्ष के चुनाव में उन्हें अपनी दाल गलती नहीं दिख रही है। शायद यही वजह है कि, थरूर कांग्रेस आलाकमान को अपनी मौजूदगी और सियासी प्रभुत्व को दिखाने का प्रयास कर रहे हैं और मोदी नीति का समर्थन करते हुए ऐसे ट्वीट इसका प्रमाण हैं।
थरूर, बतौर कांग्रेस नेता पीएम मोदी और मोदी सरकार के आलोचक रहें हैं पर कोई इस बात से अनभिज्ञ नहीं है कि शशि थरूर भी उन्हीं कांग्रेसी नेताओं में आते हैं जो पीएम मोदी के प्रशंसक कहे जाने वालों में से एक हैं। अब थरूर का यह ट्वीट सियासी पारा चढ़ाने के साथ ही कांग्रेस में नयी उथलपुथल का कारण बन गया है। आने वाले समय में थरूर, सिंधिया या जितिन प्रसाद जैसा रूप लेते हैं या कांग्रेस में डटे रहते हैं वो देखना काफी दिलचस्प होगा।