इन दिनों वामपंथी भारत के लिए बढ़ते समर्थन से बौखलाए हुए हैं। इसका एक प्रत्यक्ष उदाहरण हमें देखने को मिला, जब वामपंथियों ने नीरज चोपड़ा के ओलंपिक स्वर्ण पदक विजय का सिर्फ इसलिए उपहास उड़ाया, क्योंकि उनके विचार वामपंथियों से मेल नहीं खाते। इसी तरह अभी एक थिंक टैंक DisinfoLab ने भारत विरोधी प्रोपगैंडा फैलाने वाले कई संगठनों की पोल क्या खोल दी, कई बड़े पदों पर असिन वामपंथी तथा इस्लामिस्ट नाराज हो गए तथा इससे ट्विटर भी लाल पीला हो गया। फलस्वरूप DisinfoLab पेज को ट्विटर पर अपना ब्लू टिक, यानि ‘वेरीफिकेशन’ स्टेटस गंवाना पड़ गया।
दरअसल, DisinfoLab नामक थिंक टैंक पेज ने हाल ही में अपने ट्विटर पेज के माध्यम से सूचित किया कि उनका ‘वेरीफिकेशन’ बैज हटा दिया गया है, जिसके पीछे बहुत ही बचकाना बहाना दिया गया है। DisinfoLab ने ट्वीट किया, “ये तो होना ही था – हमारी रिपोर्ट से अमेरिका में कुछ शक्तिशाली लॉबी को जबरदस्त चोट पहुंची है। हमारा वेरीफाइड बैज हटा दिया गया है, जिसके पीछे बहुत बचकाना बहाना दिया गया है।”
It was expected:
Our recent report has hurt some nerves: powerful US lobby groups / Politicians/ possibly Agencies. The US based company (Twitter. Inc) may not be immune to the US system.
Our verified badge is taken away with a slimy excuse. pic.twitter.com/zJYKS616vZ
— DisInfo Lab (@DisinfoLab) August 8, 2021
लेकिन ये DisinfoLab है क्या? इसने ट्विटर पर ऐसा भी क्या पोस्ट किया जिसके कारण इसका वेरीफिकेशन बैज हटा दिया गया? इसके पीछे का प्रमुख कारण स्वयं बताते हुए Disinfo Lab ने बताया कि उनकी पिछली रिपोर्ट में उन्होंने पाकिस्तानी इंटेलिजेंस एजेंसी ISI और कश्मीर के नाम पर पश्चिमी देशों में प्रोपगैंडा फैलाने वाले कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों की साँठगांठ को उजागर किया था। इसके कारण उन्होंने कथित तौर पर बाइडन प्रशासन में तैनात आतंक समर्थक राजनीतिज्ञों को कुपित किया है, जिसके दुष्परिणाम के तौर पर ट्विटर ने DisinfoLab का वेरीफिकेशन बैज छीन लिया।
Disinfo Lab ने अपनी रिपोर्ट में उजागर किया है कि कैसे बाइडन प्रशासन की छत्रछाया में उग्रवादी भारत के विरुद्ध कश्मीर के विषय पर अलगाववादी प्रोपगैंडा को बढ़ावा दे रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार यूके में मुज़म्मिल ठाकुर के नाम से छह संगठन पंजीकृत है। हुर्रियत से जुड़े गुलाम सफ़ी की बेटी शाइस्ता से निकाह के बाद से ही मुज़म्मिल कश्मीर के खिलाफ प्रोपोगेंदा फैलाने वाले आंदोलनों में विशेष रूप से सक्रिय रहा है।
यही नहीं, इस रिपोर्ट में अलगाववादी समर्थक संगठन ‘StandwithKashmir’ की भी पोल खोली गई है, जिसके बाइडन प्रशासन से संबंध सर्वविदित है। समीरा फ़ाज़िली राष्ट्रीय आर्थिक परिषद की सहायक निर्देशिका के तौर पर काम करती है, और वह StandWithKashmir के पूर्व मीडिया कोऑर्डिनेटर के तौर पर काम कर चुकी है। वह यूसुफ फ़ाज़िली की पुत्री भी है, जो ISI संबंधित कश्मीरी अमेरिका काउन्सिल के निर्देशक के तौर पर काम भी कर चुका है।
अब ऐसे सनसनीखेज खुलासों के बाद भी यदि DisinfoLab को एक खरोंच तक नहीं आई होती, तो आश्चर्य की बात होती। वामपंथियों द्वारा भारत विरोधी प्रोपगैंडा का विरोध करने वालों का क्या हाल होता है, आप यूट्यूब पर सबलोकतंत्र, शाम शर्मा और एलविश यादव के चैनल पर हुई कार्रवाई से समझ सकते हैं।
DisinfoLab ने इसी की ओर संकेत देते हुए ट्वीट किया है, “यदि ‘वहाँ बैठी शक्तियां’ बौखलाई हुई हैं, तो स्पष्ट है कि ये हमारे अकाउंट को सस्पेंड कराने की ओर प्रथम कदम है। जिनकी हमने पोल खोली है, या जिनकी पोल खुलने वाली है, उन्होंने भय के मारे ‘बॉट’ से लेकर सरकारी हैंडल, सबका उपयोग हमारे खिलाफ करना शुरू कर दिया है।”
If ‘the powers that be’ are upset, this may be the first step to suspend the account. A planned mass reporting is underway, including by Pak govt-related handles, Pak based ‘journalist’s and bots – by those exposed or fear expose. pic.twitter.com/WBhxM1OBrw
— DisInfo Lab (@DisinfoLab) August 8, 2021
लेकिन Disinfo Lab ने स्पष्ट कर दिया है कि वे ट्विटर की गुंडई के आगे झुकने वाले नहीं है। DisinfoLab के ट्वीट के अनुसार, “ट्विटर की बदतमीजी से हम डरने वाले नहीं, हम ये लड़ाई जारी रखेंगें, ताकि सोशल मीडिया स्पेस स्वच्छ रहें। और हाँ ट्विटर, अगला नंबर आपका है। सावधान रहें।”
Twitter’s arbitrariness can’t deter us; we will continue to expose the info-war nexus to keep social media space clean.
(bdw, next report abt 'Twitter', stay tuned ;)We need your support!
(an Open Letter in full) pic.twitter.com/gkXS6TSpRX
— DisInfo Lab (@DisinfoLab) August 8, 2021
स्पष्ट शब्दों में DisinfoLab ने अपने भारत समर्थक रिपोर्ट से ट्विटर तथा कई बड़े पद पर बैठे अधिकारियों को नाराज कर दिया। जिस प्रकार से ट्विटर ने बौखलाहट में DisinfoLab का ‘वेरीफिकेशन’ बैज हटाया, वो इस बात का सूचक है कि किस प्रकार से वे किसी भी ऐसे संगठन की आवाज लोगों तक नहीं पहुँचने देना चाहते, जो वाकई में सत्य के साथ खड़ा हो। लेकिन DisinfoLab ने भी स्पष्ट कर दिया है ट्विटर कितनी भी कोशिश कर ले, वे सत्य के साथ थे और रहेंगे।