टोक्यो ओलंपिक हाल ही में सम्पन्न हुए, जिसमें भारत ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए 1 स्वर्ण, 2 रजत और 4 कांस्य पदक प्राप्त किए हैं। इसमें हर संस्था ने कहीं न कहीं अपना योगदान दिया है, चाहे वो सरकारी स्तर पर हो, या फिर निजी स्तर पर हो। रोचक बात तो ये भी है कि इन ओलंपिक पदकों में एक बार फिर हरियाणा ने एक राज्य के तौर पर काफी योगदान दिया है, नीरज चोपड़ा के स्वर्ण समेत लगभग 4 पदक तो हरियाणा की ही देन है। ये कैसे संभव हुआ और क्यों, इसके पीछे हरियाणा की अपनी संस्कृति है, जो खेलों को बहुत बढ़ावा है।
अगर ओलंपिक में जीते गए पदकों का विश्लेषण करें, तो व्यक्तिगत स्पर्धाओं में मिले 6 पदकों में से 3 में हरियाणा का योगदान रहा है। यानि 50 % पदकों में हरियाणा का ही योगदान हैं। लेकिन यह योगदान यहीं तक सीमित नहीं है। जब बीजिंग ओलंपिक में भारत ने अपेक्षा से अनेक गुना बेहतर प्रदर्शन करते हुए 1 स्वर्ण और 2 कांस्य पदक जीते थे, तो कुश्ती और मुक्केबाजी से आए दोनों कांस्य पदकों में हरियाणा का ही योगदान था। जैसे बतौर राज्य ओड़ीशा ने हॉकी का कायाकल्प किया है, वैसे ही ओलंपिक में भारत की दशा और दिशा सुधारने में हरियाणा ने भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
वो कैसे? आंकड़ों पर अगर आप दृष्टि डालें, तो पिछले दो दशकों में भारत ने 20 ओलंपिक पदक अर्जित किए हैं। इन 20 पदकों में से 11 केवल और केवल हरियाणा की देन है। अभी इस समय 500 से अधिक खेल नर्सरी हरियाणा में सक्रिय है, और हरियाणा के मंत्री अनिल विज के अनुसार आने वाले वर्षों में 600 और खेल नर्सरी बढ़वाने की योजना है। 2018 में ही 440 से अधिक नर्सरी सक्रिय थी, जहां प्रारम्भिक तौर पर नियमित रूप से अभ्यास करने वाले खिलाड़ियों को डेढ़ से दो हजार रुपये स्टाईपेंड के तौर पर प्रतिमाह मिलते हैं, ताकि खिलाड़ी अपना सारा ध्यान केवल अपने खेलों पर केंद्रित करें।
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यूं तो खेल नर्सरी की नींव भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के कांग्रेस सरकार के समय पर पड़ी थी, परंतु इसे तराशा और इसे हरियाणा के कोने-कोने तक ले जाने का काम सीएम मनोहर लाल खट्टर की सरकार में पड़ी। खेलों को प्रोत्साहन देने के लिए हरियाणा सरकार किस स्तर तक गंभीर है, इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि पदक विजेताओं के अलावा महिला हॉकी टीम में सम्मिलित हरियाणा के खिलाड़ियों को भी उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए 50 लाख रुपये प्रति सदस्य का पुरस्कार मिलेगा।
अब आप सोचेंगे कि महिला हॉकी टीम ने ऐसा क्या कमाल कर दिया, जिसके कारण उन्हे ऐसा प्रोत्साहन दिया जा रहा है? दरअसल पुरुष हॉकी टीम की भांति महिला हॉकी टीम ने भी ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए सेमीफाइनल में जगह बनाई, और मामूली अंतर से वे कांस्य पदक जीतने से चूक गए। लेकिन उन्होंने करोड़ों भारतीयों के हृदय में अपना स्थान बना लिया। ऐसे में उनके प्रदर्शन को सम्मानित करने की दृष्टि से खेल मंत्री एवं पूर्व हॉकी खिलाड़ी संदीप सिंह ने ये अनोखा निर्णय लिया है, क्योंकि भारतीय महिला हॉकी टीम की 9 सदस्य हरियाणा से ही हैं, जिसमें भारतीय टीम की गोलकीपर सविता पूनिया और कप्तान रानी रामपाल भी शामिल है।
इतना ही नहीं, SAI अर्थात स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अकेले 22 केंद्र हरियाणा में स्थित हैं , जबकि एमपी में इनकी संख्या 16, राजस्थान में 10, छत्तीसगढ़ और गुजरात में 3-3 हैं। हरियाणा के पिछले तीन वर्षों के खेल बजेट को देखें तो यह औसतन 300 करोड़ रहा हैं और कई राज्यों से दो गुना एवं तिगुना अधिक है ।
शायद इसीलिए मीडिया में हरियाणा को ‘खेल प्रदेश’ का टैग भी मिला हुआ है। इसके अलावा इसी वर्ष हरियाणा ने शिक्षा, संस्कृति और खेल में बजट के दृष्टि से करीब 19343 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। हरियाणा अनेक मामलों में कई राज्यों से खेलों को बढ़ावा देने की दिशा में राजनैतिक और सांस्कृतिक रूप से आगे रहा है। सदियों से यहाँ कुश्ती और अन्य खेलों को बढ़ावा दिया गया है, और आधुनिक समय में भी खेलों को बराबर सहयोग मिला है। हरियाणा देश के उन चंद राज्यों में शामिल है, जहां पर न केवल राजनैतिक तौर पर, बल्कि सामाजिक तौर पर भी खेलों को बढ़ावा दिया गया है, और इसी सपोर्टिंग कल्चर ने हरियाणा के स्पोर्टिंग कल्चर को मजबूत बनाया है, जिसके कारण आज भारत का सितारा ओलंपिक के पटल पर भी चमका है।