मंगलवार को आयकर विभाग ने गुड़गांव स्थित चीनी दूरसंचार और उपकरण कम्पनी ZTE के कॉरपोरेट कार्यालय और वरिष्ठ अधिकारियों के आवासों पर छापेमारी की है। आयकर विभाग के अनुसार, कम्पनी के कॉर्पोरेट कार्यालय, निदेशक के आवास, कंपनी सचिव के आवास, एकाउंटेंट और एक सहायक कंपनी के कैश हैंडलर के परिसरों पर छापे मारे गए है।
छापेमारी से पता चला है कि चीनी दूरसंचार कंपनी ने दूरसंचार उपकरणों का व्यापार करके भारी मुनाफा कमाया था लेकिन कम्पनी एक लंबे समय से अपने रिकॉर्ड बुक में घाटे की बुकिंग कर रही थी। इस प्रकार कम्पनी ने सैकड़ों करोड़ रुपये के कर की चोरी की है।
आयकर विभाग ने बताया कि, कंपनी नकली खर्चों के जरिए घाटे की बात कर रही है और इन खर्चों का आधार अन्य कंपनियों को प्रदान की जाने वाली सेवाओं को बताया जा रहा था। IT विभाग का कहना है कि उसने कुछ कंपनियों की पहचान की, जिनके नाम पर ZTE वर्षों से घाटा दिखा रहा था। जांच करने पर पता चला की ये संस्थाएं उनके पते पर मौजूद नहीं थीं। इसके अलावा, ये संस्थाएं अपना आयकर रिटर्न भी दाखिल नहीं करती हैं।
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ZTE अवैध रूप से दवाई के कारोबार में भी सक्रिय भूमिका निभा रही थी। आयकर विभाग के अनुसार छापेमारी के दौरान उन्हें व्हाट्सएप चैट मिली जिसमें ऑस्ट्रेलियाई व्यक्ति को पैसा भेजा जा रहा था। चीनी कम्पनी ZTE हमेशा से दुनिया भर में आलोचना की शिकार होती रही है। रिकॉर्ड के अनुसार, इस कंपनी को अमेरिका में चीनी सरकार के साथ संबंधों पर आलोचना का सामना करना पड़ा था। सरकार को डर था कि निजता को इससे खतरा हो सकता है जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सही नही है।
2017 में भी ZTE पर, अमेरिकी तकनीक का अवैध रूप से निर्यात करने और आर्थिक प्रतिबंधों के लिए जुर्माना लगाया गया था। पिछले साल जून 2020 में, फेडरल कम्युनिकेशंस कमिशन (FCC) ने ZTE को एक राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे के रूप में दर्ज किया था।
आयकर विभाग के ऐसे छापेमारी विदेशी और देशी कंपनियों के लिए संदेश है जो सैकड़ों करोड़ के खर्च कम दिखाकर टैक्स बचाते है और अवैध शेयर खरीद करते है और एकाउंट में विसंगतियों से देश को गुमराह करते है।