कांग्रेस के विघटन का सिलसिला जारी है, अब युवाओं की बारी है। वर्ष 2014 से कांग्रेस उस वनवास को भोग रही है जिसकी पहली और अंतिम वजह वो स्वयं ही है। इसके साथ ही एक और बड़ी टूट ने दस्तक देते हुए कांग्रेस की पूर्वोत्तर राज्यों से सटी ज़मीन हिला दी है। कांग्रेस की महिला इकाई की राष्ट्रीय अध्यक्षा और पूर्व सांसद सुष्मिता देव ने बीते रविवारा इस्तीफा दे दिया और सोमवार को पश्चिम बंगाल में टीएमसी की सदस्यता ग्रहण कर ली है। पहले ही वरिष्ठ नेता और अनुभवी चेहरों का रुष्ट व्यवहार झेल रही कांग्रेस को अब अपने युवा नेताओं की कुंठाएँ और हताशापूर्ण रवैये का परिणाम झेलना पड़ रहा है। कांग्रेस नाराज़ वरिष्ठ नेताओं के नाम की एक लंबी सूची जी-23 नेताओं के नाम से जानी जाती है। वहीं युवाओं की सूची भी कुछ कम नहीं है, इन युवाओं को अपने भविष्य को तलाशना था तो वो कांग्रेस से पूर्णतः अलग हो गए। इन नेताओं के क्रम में ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद जैसे बड़े नाम शामिल हैं। वहीं, कपिल सिब्बल जैसे नेता अब कांग्रेस की इस भारी टूट पर तंज़ कसते नज़र आने लगे हैं, और सुष्मिता देव के इस्तीफे के बाद तो इसका प्रभाव और बढ़ गया है।
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कांग्रेस 7 दशक के लंबे अंतराल तक सत्ता का सुख भोगती रही, अपनी हर नीति पर आँख मूंदकर विश्वास करने वाली कांग्रेस तब गर्त में जाने लगी जब उसके नेताओं ने सरकार में रहते हुए प्रचुर मात्रा में भ्रष्टाचार का कहर मचाया। इसके साथ ही देश ने कांग्रेस को नकारते हुए 2014 आम चुनाव में पीएम मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए पर भरोसा जताते हुए पूर्ण बहुमत के उसकी सरकार बनाई। कांग्रेस नेता अपनी हार की वजह तलाशने में जुट गए पर 7 साल बाद भी अपनी हार का मूल कारण नहीं जान पाये, और तो और जब कांग्रेस नेतृत्व और आलाकमान को कपिल सिब्बल, गुलाम नबी आज़ाद जैसे वरिष्ठ नेताओं ने समझाने का प्रयास किया तो उन्हें अलग कर दिया गया।
कांग्रेस के तंगहाल से उसके परेशान युवा नेता और पार्टी कार्यकर्ता असहमत दिखे जिसका परिणाम यह हुए कि वो सब सत्ताधारी दल भाजपा में सम्मिलित हो गए। वहीं, उन नेताओं को अहमियत देते हुए बीजेपी ने उन सभी को पद -प्रतिष्ठा-सम्मान प्रदान करने की कोशिश की जो आज उसके लिए सहायक सिद्ध होती है।
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कांग्रेस पार्टी में टूट का सिलसिला दिनों दिन बढ़ता जा रहा है, सिंधिया, जितिन प्रसाद और अन्य कई नेताओं के बाद पूर्वोत्तर में कांग्रेस का प्रमुख चेहरा सुष्मिता देव ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता और अन्य सभी दायित्वों से इस्तीफा दे दिया है। हाल फिलहाल सुष्मिता महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्षा थीं ।
उनके इस्तीफे पर जी-24 गुट के प्रमुख नेता कपिल सिब्बल ने अपना दर्द साझा करते हुए ट्वीट कर लिखा कि, ‘हमें इस बात पर गहन विचार करने की जरूरत है कि सुष्मिता देव जैसे लोग पार्टी छोड़कर क्यों जा रहे हैं। इसपर विचार करने से हटना नहीं चाहिए। सुष्मिता देव ने कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकत सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। जब युवा नेता छोड़कर जाते हैं तो हम ‘बूढ़ों’ को इसे सही करने के हमारे प्रयासों के लिए दोषी ठहराया जाता है। आंख अच्छी तरह बंद करके पार्टी आगे बढ़ती रहती है।’
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सिब्बल के तंज़ भरे ट्वीट से यह स्पष्ट है कि, कांग्रेस नेता अब उसके पुनरुत्थान की मंशा तो रखते हैं पर उनके हाथ बंधे हुए है और वो कुछ कर नहीं पा रहे हैं। यदि कुछ नेता, ऐसा कुछ करने की मंशा पाल लेते है तो वो लोग गांधी परिवार के लिए नासूर बन जाते हैं। अब ऐसी स्थिति में सिब्बल और अन्य वरिष्ठ नेता आने वाले समय में सिंधिया, जितिन प्रसाद या सुष्मिता देव जैसा कदम उठाते हैं तो इसका जिम्मेदार निश्चित ही गांधी परिवार होगा।