चयनात्मक आलोचना आज के “पोस्ट ट्रुथ” समय का नया सच है। यह तब और अधिक समस्याग्रस्त होता है जब आप यह महसूस करते हैं कि न केवल एक व्यक्ति बल्कि एक समूह, संगठन और संघ भी अपने काम में एक संज्ञानात्मक पूर्वाग्रह के साथ काम कर रहे हैं। हम ऐसा क्यों कह रहे हैं? दिल्ली के दिल में स्थित क्लब है। उस संघ का नाम भारतीय महिला प्रेस कॉर्प्स है। इसकी स्थापना 1994 में हुई थी और तब से इन्हें मुख्यालय के तौर पर विंडसर प्लेस, लुटियंस दिल्ली में जगह दी गई थी। अब सरकार ने इस क्लब से विंडसर प्लेस को खाली कर बकाया किराया चुकाने का आदेश दिया है।
दरअसल, हाल ही में भारत सरकार ने भारतीय महिला प्रेस कॉर्प्स यानि IWPC को 30 लाख रुपये का उनका बकाया किराया चुकाने तथा परिसर छोड़ने के लिए कहा है। बता दें कि भारतीय महिला प्रेस कॉर्प्स (IWPC) एक पंजीकृत सोसायटी है जो ‘महिला पत्रकारों को नेटवर्क के लिए एक मंच प्रदान करने, समाचार स्रोतों तक पहुंचने, उनके कौशल को बढ़ाने, सूचनाओं का आदान-प्रदान करने, मुद्दों पर चर्चा करने, तथा किसी समस्या में महिला पत्रकारों के लिए समर्थन’ प्रदान करने का दावा करती है। तीन साल या उससे अधिक के अनुभव वाली कोई भी महिला पत्रकार इस क्लब की सदस्य बन सकती है। वर्तमान में भारतीय महिला प्रेस कॉर्प्स के वेबसाइट पर, सदस्यों की सटीक संख्या का उल्लेख नहीं है, लेकिन अनुमान अनुसार यह संख्या 800 से अधिक है।
हाल ही में भारतीय महिला प्रेस कॉर्प्स (IWPC) ने पाकिस्तानी राजनयिकों के लिए एक विदाई पार्टी का भी आयोजन किया था जो ISI एजेंटों की भर्ती के लिए कुख्यात हैं। इस तरह की पार्टी के पीछे का कारण अभी भी अज्ञात है लेकिन जो तस्वीरें फेसबुक, ट्विटर पर प्रसारित की जा रही हैं, उनमें पाकिस्तानी राजनयिकों के साथ कई खुश चेहरे दिखाई दे रहे हैं।
इससे यह कहना गलत होगा कि सरकार ने यह कदम ऐसे समय पर लिया है जब इस क्लब द्वारा पाकिस्तानी राजनयिकों के लिए डिनर होस्ट किया गया था।
आदेश के तुरंत बाद, कई वामपंथी संगठन और विपक्षी दल अवश्य ही क्षुब्ध होंगे परंतु पाकिस्तानी एंगल के कारण अभी तक किसी से कुछ कहा नहीं है। बहुत से लोग इस संस्था द्वारा आयोजित पार्टी का विरोध कर रहे है और इसे देशहित के खिलाफ बता रहे हैं।
Excellent #BreakingNews: Modi Govt cancels allotment of Govt Bungalow to the "Indian Women Press Club".
This decision was taken after IWPC hosted a #Pakistan Diplomat for dinner.
Democracy khatre me? Murder of Democracy?
— MJ (@MJ_007Club) August 8, 2021
https://twitter.com/MrSinha_/status/1424566113292021760?s=20
Right under the nose of central govt in Lutyens Delhi, current Leftist governing body of women’s press club throwing welcome/ farewell parties for Pakistani diplomats. No other diplomats. One should now fear for the nation, when the media is compromised @HardeepSPuri @AmitShah pic.twitter.com/Qkw3rnofBY
— rajiv tuli (@rajivtuli69) August 9, 2021
लेफ्ट लॉबी को cancel culture के लिए जाना जाता है। वो किसी भी मुद्दे की सच्चाई तमाम संज्ञाओ और सर्वनामों के बीच छिपा ले जाते है। वो यह जरुर बतायेंगे कि कैसे यह कदम महिला पत्रकारों के लिए हमला है लेकिन यह नहीं बतायेंगे कि आवंटित स्थान केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के अंतर्गत आता है। नोटिस के अनुसार, IWPC को आवंटन 13 मई, 1994 को किया गया था और कार्यकाल समाप्त होने के बाद ही इसे 6 जनवरी, 2021 को रद्द कर दिया गया था।
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इस तरह के संगठन, जो महिला अधिकारों और महिला पत्रकार की सुरक्षा की वकालत करने का दावा करते हैं, वे भी अपना पक्षपाती एजेंडा दिखाते हैं जब कोई चीज उनके अपने एजेंडे के अनुरूप नहीं होता है। जब कांग्रेस समर्थक और NDTV की पूर्व रिपोर्टर बरखा दत्त 74 लाख की मुआवजे की राशि को लेकर कपिल सिब्बल और उनकी पत्नी प्रोमिला सिब्बल के खिलाफ अपना केस लड़ रही थीं, तो IWPC से किसी ने भी उनके साथ स्टैंड नहीं लिया। इसका एक कारण बरखा दत्त का स्टैंड हो सकता है जहां उन्होंने बताया कि कपिल सिब्बल ने बड़े पैमाने पर छंटनी के लिए लेकिन मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराना चाहा था। हालांकि स्वयं बरखा दत्त ने ही यह बताया की मोदी सरकार ने संचालन कार्य में किसी तरीके से हस्तक्षेप नहीं किया है।
यही नहीं जब ANI की पत्रकार जॉयमाला बागची पर हमला हुआ तब भी भारतीय महिला प्रेस कॉर्प्स चुप थी। स्नैचर्स ने उसका फोन ले लिया और उसे ऑटो रिक्शा से बाहर फेंक दिया। वहीं कर्नाटक में एक महिला रिपोर्टर पर हमला होने पर भी IWPC ने चुप्पी साधा था। तब मामले के अनुसार हसन बाबू और रहमान 4 अवैध कसाई घर चला रहे थे। यही नहीं रिपब्लिक टीवी की महिला पत्रकार पर हमला होने पर IWPC भी चुप थी। भारतीय महिला प्रेस कॉर्प्स (IWPC) उन संगठनों में से एक है जो अपने अभिजात्य विशेषाधिकारों का आनंद लेते हैं और कल्याण करने का दावा करते हैं लेकिन अंत में वे भी अपने पूर्वाग्रहों से प्रभावित होते हैं। अब सरकार ने एक कड़ा कदम उठाते हुए उन्हें दिये गए विंडसर प्लेस को खाली करने तथा बकाए राशि को जमा करने का आदेश दिया है। सरकार को इस बात पर भी जांच करने के आदेश देना चाहिए कि महिला पत्रकारों के इस क्लब का पाकिस्तान के राजनयिकों से क्या लिंक है और इस फेयरवेल पार्टी का कहीं देश विरोधी गतिविधियों से तो संबंध नहीं है।