उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी हो या समाजवादी पार्टी यूँ तो इन दोनों की भी स्थिति डगमगाई हुई है पर राष्ट्रिय स्तर की बात करें तो जो हाल और दुर्दशा कांग्रेस की हुई है, वह किसी भी अन्य पार्टी की नहीं हुई है। यही कारण है कि आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को किसी भी बड़े क्षेत्रीय दल का साथ नहीं मिल रहा है, जिसके बाद अब कांग्रेस अपने खो चुके अस्तित्व को पुनर्जीवित करने के लिए राज्य के छोटे दलों से गठबंधन करने की जुगत में लगी हुई है। हालांकि यहाँ भी कांग्रेस को नाकामी ही मिलने वाली है क्योंकि जो हाल कांग्रेस का हो चुका है, कोई छोटा दल भी उससे दोस्ती कर अपने लेश मात्र के वोट बैंक को भी नहीं निपटाएगा।
दरअसल, उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने रविवार को कहा कि कांग्रेस पार्टी अगले साल उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए केवल छोटे क्षेत्रीय दलों के साथ गठजोड़ करेगी और प्रियंका गांधी के नेतृत्व में चुनाव जीतकर सरकार भी बनाएगी। समाचार एजेंसी पीटीआई ने अजय कुमार लल्लू के हवाले से कहा, “हम उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए बड़ी पार्टियों से हाथ मिलाने के बारे में सोच भी नहीं सकते हैं।” ध्यान देने वाली बात है कि ये सोचेंगे तो तब, जब सपा-बसपा जैसे दल इन्हें अपनाएँगे। बीते चुनावों में हुए गठबंधन के बाद आये परिणामों के बाद से ही यह सभी दल गठबंधन की बात आते ही कांग्रेस के आगे हाथ जोड़ लेते हैं कि हमसे न हो पायेगा! ऐसे में अजय कुमार लल्लू का आत्मविश्वास सातवें आसमान पर है जबकि धरातल पर स्थिति मट्टी में मिली हुई है।
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अजय कुमार लल्लू ने ख्याली पुलाव पकाते हुए यह विश्वास व्यक्त किया कि उनकी पार्टी राज्य में “वापसी” के लिए तैयार है, पर उसके रोडमैप पर और एक्शन प्लान पर कुछ भी विस्तार से बताने के लिए समर्थ नहीं थे। सत्य तो यह है कि अब कांग्रेस नाम में ही चकनाचूर होकर चुनाव लड़ती है फिर चाहे वो सोनिया के नेतृत्व में लड़े, राहुल के नेतृत्व में लड़े या प्रियंका के नेतृत्व में लड़े। इन्हीं विलुप्त राजनीतिक कौशलता विहीन बुद्धियों और अनुभवशून्यता की वजह से आज सभी दल कांग्रेस से बीस-बीस बांस की दूरी पर रहना पसंद करते हैं।
कांग्रेस को भाजपा के लिए “मुख्य चुनौती” कहते हुए, लल्लू ने कहा कि उनकी पार्टी प्रियंका गांधी वाड्रा के नेतृत्व में चुनाव लड़ने के बाद राज्य में सरकार बनाने के लिए आश्वस्त है। लल्लू ने कहा, ‘हम एक मजबूत विपक्षी ताकत के तौर पर आगे बढ़ रहे हैं और प्रियंका गांधी के नेतृत्व में हम उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव जीतेंगे और 2022 में सरकार बनाएंगे।’
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लल्लू ने विश्वास जताया कि यह गुस्सा विधानसभा चुनाव में सामने आएगा और जनता कांग्रेस का समर्थन करेगी। उन्होंने कहा, “कांग्रेस के पक्ष में एक मजबूत अंतर्धारा है जो चुनावों में दिखाई देगी।” ये सभी अवसरवादी दशकों तक देश की सत्ता पर बैठे नेताओं ने यह बात कभी स्वीकार नहीं कि यदि यह किसान होते तो अब तक हल चलाने वालों ने हल भी निकाल लिया होता, पर जो राजनीति चमकाने की होड़ में देश का सौदा करने निकलपड़े उसे न ही किसान कहा जा सकता है न ही नेता।
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जैसा कि प्रशांत किशोर के कदमों के माध्यम से परोक्ष रूप से टीएफआई द्वारा पहले ही बता दिया गया था कि आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में कांग्रेस अकेले ही लड़ेगी और समाजवादी पार्टी के साथ कोई गठबंधन नहीं करेगी जिस पर अब मुहर लग ही चुकी है। कांग्रेस भले ही कहती रहे कि वो किसी बड़े दल से गठबंधन नहीं करेगी, पर सौ बात की एक बात यह है कि कोई दल कांग्रेस के साथ जाना ही नहीं चाहता जिसका जीता जागता प्रमाण 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में, कांग्रेस केवल सात सीटें हासिल करने में सफल रही, जबकि उसकी सहयोगी सपा ने 47 सीटें हासिल कीं; बसपा ने 19 सीटों पर जीत हासिल की। ऐसे में कांग्रेस के साथ गठबंधन में सपा-बसपा या और कोई दल सरकार बनाने की जगह चुनाव हारने के लिए क्यों ही लड़ेगा जब यह तय ही है कि 2017 वाला इतिहास फिर अपना Repeat Teleacst दिखा सकता है।