भारत सरकार की महत्वकांक्षी परियोजनाओं में से एक है भारत की अर्थव्यवस्था को एथेनॉल आधारित अर्थव्यवस्था बनाना। भारत विश्व में सर्वाधिक तेल आयातक देशों में एक है। जिस प्रकार से भारत में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का विस्तार हो रहा है आने वाले समय में पेट्रोल की खपत और बढ़ने वाली है। इसका विपरीत प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था एवं पर्यावरण दोनों पर पड़ेगा। परंतु, अब भारत सरकार एक नई योजना लेकर आई है जिससे भारत सरकार प्रतिवर्ष 30 हजार करोड़ रुपए की बचत कर पाएगी।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने 2019 में शुगर मिल मालिकों से बातचीत के दौरान कहा था कि उन्हें एथेनॉल उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। दरअसल भारत में गन्ना उत्पादन में अधिकता के कारण गन्ने की फसल का दाम कम ही रह रहा है। गन्ने से बनी चीनी का एक निश्चित मात्रा में ही उपयोग किया जाता है। साथ ही मिल मालिकों को गन्ना किसानों को भुगतान करने में कई प्रकार की कठिनाई आती है।
किंतु नितिन गडकरी ने एक महत्वपूर्ण सुझाव दिया की उत्पादन अतिरेक का इस्तेमाल एथेनॉल बनाने में किया जा सकता है। वर्तमान समय में भारत में 50% पेट्रोल पंप नोजल बिना एथेनॉल का पेट्रोल ‛E0’ बेच रहे हैं जबकि शेष 50% पंप 10% एथेनॉल की उपस्थिति वाले पेट्रोल ‛E10’ को बेच रहे हैं।
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बिना एथेनॉल मिला पेट्रोल का इस्तेमाल करने से पर्यावरण को तो नुकसान पहुंचता ही है साथ ही भारत का आयात बिल भी बढ़ता है। भारत सरकार ने वर्ष 2018-19 में भारत ने 111.90 बिलियन डॉलर और वर्ष 2019-20 में 101.4 बिलियन डॉलर के मूल्य का पेट्रोलियम आयात किया था। अंतरराष्ट्रीय बाजार में यदि पेट्रोल के दाम में प्रति बैरल $1 की वृद्धि होती है तो भारत के आयात बिल में 10,700 करोड़ की बढ़त हो जाती है। भारत सरकार की योजना है कि पेट्रोल में एथेनॉल की मात्रा बढ़ाई जाए जिससे पर्यावरण को कम नुकसान होगा और पेट्रोल की खपत भी कम होगी।
वर्तमान वित्तीय वर्ष में भारत सरकार का लक्ष्य 8% एथेनॉल ब्लेंडिंग के स्तर को प्राप्त करना है जबकि 2025 तक 20% एथेनॉलब्लेंडिंग का लक्ष्य रखा गया है। इसी उद्देश्य से भारत सरकार की तीन तेल कंपनियों इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, भारत पैट्रोलियम कॉरपोरेशन और हिंदुस्तान पैट्रोलियम कॉरपोरेशन ने मिलकर 12 एथेनॉल मैन्युफैक्चरिंग प्लांट बनाने का निर्णय किया है। इस योजना में 5000 से 7000 करोड़ रुपए का निवेश होने वाला है।
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सरकार की योजना है कि मैन्युफैक्चरिंग प्लांट के अतिरिक्त एथेनॉल स्टोरेज की व्यवस्था भी की जाएगी। साथ ही पूरे देश में एथेनॉल सप्लाई के लिए आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास भी किया जाएगा। वर्तमान समय में भारत की एथेनॉल उत्पादन क्षमता 684 करोड़ लीटर है जिसे 2025 तक बढ़ाकर 1000 करोड़ लीडर करने का लक्ष्य रखा गया है।
इस योजना के जरिए गन्ना तथा चावल, मक्का आदि अन्न की फसलों में होने वाले उत्पादन अधिशेष का सदुपयोग संभव है। इस योजना के जरिए 5 करोड़ गन्ना उत्पादक किसानों और 5 लाख गन्ना मिल कर्मचारियों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा। पूर्व में गन्ना मिल मालिकों और किसानों को लोन मिलने में भी समस्या होती थी क्योंकि दोनों के लिए लाभ, फसल की गुणवत्ता पर निर्भर था। लेकिन एथेनॉल उत्पाद ने इस समस्या का भी समाधान कर दिया है।
भारत सरकार और नितिन गडकरी दोनों इस क्रांतिकारी योजना के लिए बधाई के पात्र हैं जो न केवल प्रतिवर्ष भारत के लिए 30 हजार करोड़ रुपए की कोशिश करेगी बल्कि करोड़ों किसानों की आय बढ़ाने की प्रमुख भूमिका निभाएगी। साथ ही यह योजना संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित पर्यावरण संरक्षण के लक्ष्य को पूरा करने में भी सहायक होगी।