अल्पसंख्यक तुष्टीकरण ने सदैव देश को हानि पहुंचाई है। आज इसी का परिणाम है कि कई समुदाय सड़कों को अपनी निजी संपत्ति समझकर अपनी रीतियों का अनुसरण करते हैं, और कोई चाहकर भी उन्हें कुछ नहीं बोलता। अभी हाल ही में गुरुग्राम में जब मुसलमानों ने एक जगह पर सार्वजनिक नमाज़ पढ़ी, तो उसको लेकर वहाँ के स्थानीय निवासियों ने काफी हंगामा किया, जिसके पीछे पुलिस से हाथापाई भी हुई। परंतु गुरुग्राम पुलिस ने जिस प्रकार से इस कृत्य को उचित ठहराने का प्रयास किया, उसे देखकर किसी का रक्त क्रोध से उबलने लगेगा।
विवाद क्या है?
असल में अभी कुछ ही दिन पहले गुरुग्राम में सेक्टर 47 में कुछ मुसलमानों ने सड़क पर नमाज़ पढ़नी प्रारंभ कर दी, जिसके विरोध में स्थानीय निवासियों ने काफी हंगामा किया। जब मामले की जांच के लिए पुलिस पहुंची, तो वे उलटे हिंदुओं के साथ ही हाथापाई करने लगे। एक वीडियो में तो एक प्रदर्शनकारी को यह भी कहते हुए सुना जा रहा है कि अगर हम प्रश्न पूछ रहे हैं तो क्या हम दंगे फैला रहे हैं?
इसके अलावा स्थानीय निवासियों ने ये भी बताया कि कैसे सड़कों पर नमाज़ पढ़े जाने के कारण क्षेत्र में आपराधिक घटनाएँ बढ़ने लगी हैं। एक व्यक्ति के अनुसार, “जब से सड़कों पर नमाज़ शुरू हुई हैं, चेन लूटना, छेड़खानी इत्यादि की घटनाओं में वृद्धि हो गई है। यहाँ पर हम एक अवैध मस्जिद या मज़ार का निर्माण कदापि नहीं होने देंगे!”
गुरुग्राम पुलिस का शर्मनाक बचाव
इस पूरे प्रकरण पर जब गुरुग्राम पुलिस की प्रक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने ‘नमाज़’ को उचित ठहराते हुए अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट के माध्यम से ट्वीट किया, “सार्वजनिक स्थानों पर जो नमाज़ हो रही है, वो हिन्दू और मुस्लिम समुदायों की आपसी सहमति से तय हुआ है। सांप्रदायिक शांति को यथावत रखना हमारी जिम्मेदारी है और हम इसे सुनिश्चित करेंगे।”
In Gurugram sector-47, people have been coming and reciting Namaz on roads even though the Mosque is just 2 kms away, eve-teasing and molesting Hindu girls.
Police have become mute spectators and arrested a person who raised his voice against this.
Guess what comes next ? pic.twitter.com/UxQLxR9elB
— Sharansh Guha (@sharanshguha) September 27, 2021
सोशल मीडिया ने की गुरुग्राम पुलिस की जमकर ट्रोलिंग
लेकिन गुरुग्राम पुलिस के इस घटिया स्पष्टीकरण से कोई भी संतुष्ट नहीं हुआ, और गुरुग्राम पुलिस को सार्वजनिक स्थल पर ‘नमाज़’ के पढ़े जाने का बचाव करने के लिए जमकर आलोचना का सामना करना पड़ा। सर्वप्रथम उस क्षेत्र के निवासियों ने ही गुरुग्राम पुलिस को निशाने पर लिया। उदाहरण के लिए अपने आप को उसी क्षेत्र का निवासी बताने वाली गायत्री देवी ने ट्वीट किया, “मैं गुरुग्राम के DLF फेज 2 से आती हूँ। कृपया मेरे सोसाएटी के उन लोगों के नाम साझा करें, जिन्होंने नमाज़ के पढे जाने के लिए अपनी सहमति दी है। हम भी जानना चाहते हैं कि किससे पूछ कर आपने यह निर्णय लिया है।”
I am from Gurugram ,DLF phase 2 ,plz share names of my society people who have written consent for Namaz .we need to know that without discussion who gave you permission. https://t.co/QApaI0XeH5
— Gayatri Devi (@GayatriTAM) September 28, 2021
इसके अलावा TFI Post के प्रमुख संपादक अजीत दत्ता ने भी गुरुग्राम पुलिस के हास्यास्पद तर्कों की आलोचना करते हुए ट्वीट किया, “यदि एक सार्वजनिक स्थल को धार्मिक उद्देश्य से हथिया जा रहा है, तो ‘आपसी सहयोग’ या कोई भी अन्य तर्क कहाँ तक मायने रखता है? मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि एक आधिकारिक प्रशासनिक पेज इस तरह की बकवास कर सकता है।”
How does mutual or otherwise even matter if a public place is being encroached upon for religious purposes? I cannot believe an official handle is trying to get away with this explanation. https://t.co/zsMT4DKpTk
— Ajit Datta (@ajitdatta) September 28, 2021
पत्रकार स्वाती गोयल शर्मा ने भी इस विषय पर गुरुग्राम पुलिस की आलोचना करते हुए ट्वीट किया, “वीडियो में तो स्थानीय निवासी स्पष्ट तौर पर नमाज़ का विरोध कर रहे हैं। आप उन्हे क्यों अनदेखा कर रहे हैं?”
Residents are clearly objecting to it in the video. Why is their voice being ignored?
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) September 29, 2021
Thousands of restrictions are imposed when we celebrate our festivals
But these offer nam@z on public property & even misbehave with our sisters
Incident is from Gurugram; Isn't this a crime? pic.twitter.com/BgNoIUG6Cp
— Mahesh Vikram Hegde 🇮🇳( Modi Ka Parivar ) (@mvmeet) September 26, 2021
वायरल वीडियो में स्पष्ट दिखाई दे रहा था कि स्थानीय निवासी पुलिस से पूछ रही थी कि जब मस्जिद उक्त स्थान से मात्र दो किलोमीटर दूर है, तो सड़क पर नमाज़ पढ़ने की क्या आवश्यकता है? क्या प्रशासन इतनी ही दयावान होता यदि हिन्दू समाज सड़कों और सार्वजनिक उद्यानों में पूजा पाठ और हनुमान चालीसा का पाठ करता?
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एक अन्य ट्विटर यूजर ने मनोहर लाल खट्टर के पूर्व के बयान का स्क्रीनशॉट, जिसमें उन्होंने मस्जिद के बाहर प्रार्थना करने की निंदा की थी, को शेयर करते हुए ट्वीट किया, “मनोहर लाल खट्टर जी, अचानक से इतना हृदय परिवर्तन कैसे? अपने सिद्धांतों से ही समझौता कर लिया आपने? आपने शायद पढ़ा होगा, ‘विनाश काले विपरीते बुद्धि’, वही हो रहा है आपके साथ भी।”
@mlkhattar अचानक से इतना हृदय परिवर्तन कैसे? अपने सिद्धांतों से ही समझौता कर लिया आपने। आपने शायद पढ़ा होगा “विनाशकाले विपरीत बुद्धि” बस यह ही हो रहा है आपके साथ भी… @PMOIndia @HMOIndia @narendramodi @AmitShah @shivajangid86 @TajinderBagga pic.twitter.com/mqQ38t351y
— Vishal Sharma (मोदी जी का परिवार) (@iVishalMN) September 29, 2021
जिस तरह से अब तक होता आया है फिर वही रीत देखने को मिलेगी कि कई दिनों तक कुछ मुस्लिम व्यक्ति वहाँ पर अपनी गतिविधियों को अंजाम देंगे, और धीरे-धीरे एक मज़ार या दरगाह का निर्माण हो जाएगा। कुछ महीनों के पश्चात दावा किया जाएगा कि वह दरगाह तो सदियों से थी और बिना जांच पड़ताल के उसे एक वैध धार्मिक संपत्ति भी माँ ली जाएगी, क्योंकि सरकार इन लोगों की सेवा सुश्रुषा किए बिना रह नहीं पाएगी, इसलिए एक अवैध संपत्ति देखते ही देखते एक वैध धार्मिक संपत्ति बन जाएगी।
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फिलहाल के लिए इस विरोध का एक सकारात्मक असर यह तो पड़ा है कि गुरुग्राम पुलिस ने अपना विवादास्पद ट्वीट डिलीट कर दिया है। परंतु बात यहीं पर खत्म नहीं होनी चाहिए, और सार्वजनिक स्थलों को धर्म के लिए अपनी निजी संपत्ति बनाने की प्रवृत्ति पर हरियाणा सरकार को सख्त से सख्त कदम उठाने चाहिए, चाहे पंथ कोई भी हो।