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पेट्रोल और डीजल को GST के दायरे में लाने के लिए मोदी सरकार है तैयार

आम आदमी की जेब को मिल सकती है बड़ी राहत

Krishna Bajpai द्वारा Krishna Bajpai
16 September 2021
in वाणिज्य
पेट्रोल डीजल जीएसटी
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पेट्रोलियम पदार्थों के भावों में प्रतिदिन होती बढ़ोतरी देश की प्रत्येक वर्ग की जनता के लिए मुख्य मुद्दा रहता है, क्योंकि इससे प्रत्येक वस्तु के महंगे होने के एक बड़े कारण के रूप में देखा जाता है। वर्तमान में आग उगलती पेट्रोल-डीजल की कीमतें आम-जनमानस के लिए मुसीबत का सबब हैं, संभवतः मोदी सरकार भी ये बात समझने लगी है, जिसके चलते ये खबरें निकलने लगी हैं, कि 17 सितंबर को लखनऊ में होने वाली जीएसटी काउंसिल की 45वीं बैठक में पेट्रोलियम पदार्थों को भी जीएसटी के अंतर्गत लाने की प्रक्रिया पर चर्चा शुरू हो सकती है। इसका सीधा मतलब होगा कि पेट्रोलियम पदार्थों से टैक्स की मार हटेगी, और आम जनमानस की जेब को बड़ी राहत मिलेगी। यदि ऐसा होता है तो ये संकेत होगा, कि जल्द ही पेट्रोल डीजल देश के सभी राज्यों में समान क़ीमत में मिलेंगे, वहीं इससे महंगाई पर भी एक बढ़ी चोट हो सकती है।

जीएसटी लाने की तैयारी ?

मोदी सरकार को लेकर सदैव कहा जाता है कि असंभव को संभव बनाने में पीएम मोदी का कोई जोड़ नहीं है। जीएसटी को लागू करने के मुद्दे पर अनेकों अड़चनें आने के बावजूद इसे सहज ढंग से लागू करने में पीएम मोदी और उनकी कैबिनेट के होनहार वित्त मंत्री रहे स्वर्गीय अरुण जेटली की महत्वपूर्ण भूमिका थी। पेट्रोलियम पदार्थों और शराब को उस वक्त जीएसटी से बाहर रखा गया था, क्योंकि राज्य सरकारें ये नहीं चाहती थीं कि उनके आय के दो सबसे बड़े स्रोत भी समाप्त हो जाएं। ऐसे मुख्य जीएसटी को सहज रूप से लागू करने के लिए पेट्रोल डीजल के मुद्दे पर मोदी सरकार ने भी उस वक्त राज्यों पर अधिक दबाव नहीं बनाया; लेकिन अब जो खबरें हैं, वो ये संकेत दे रही हैं कि मोदी सरकार पेट्रोलियम पदार्थों की दिनों-दिन बढ़ती कीमतों के कारण जीएसटी के जरिए राज्यों पर हंटर चला सकती है।

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दरअसल, 17 सितंबर को लखनऊ में जीएसटी काउंसिल की 45वीं बैठक होनी है। ऐसे में ये माना जा रहा है कि इस बैठक का मुख्य मुद्दा पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के अंतर्गत लाने का होगा। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में बैठक करने वाला ये पैनल पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी में लाने  एवं उसके प्रभावों का विश्लेषण कर सकता है। दिलचस्प बात ये भी है कि केरल हाईकोर्ट के फैसले में पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के निर्देश दिए गए हैं, जिसका इस बैठक में विशेष ध्यान रखा जाएगा।

राजस्व है लालच की वजह

जीएसटी अर्थात एक ऐसा कर जिसके लगने के बाद पूरे देश में एक वस्तु का दाम एक जैसा हो जाता है, ये जितना सहज सुनने में लगता था, उतने ही सहज ढंग से मोदी सरकार ने इसे लागू भी किया है‌। पेट्रोलियम पदार्थों को इससे दूर रखा गया क्योंकि वो राजस्व का मुख्य स्रोत हैं। ऐसे में यदि ये जीएसटी के दायरे में आते हैं, तो राज्यों के साथ ही केन्द्र सरकार को बड़ा राजस्व नुकसान हो सकता है। अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक एक अधिकारी ने बताया, “राजस्व को देखते हुए जीएसएटी काउंसिल के उच्च अधिकारी पेट्रोलियम पदार्थों पर एक समान जीएसटी लगाने को तैयार नहीं हैं।”

दरअसल, वित्तीय वर्ष 2019-20 में पेट्रोलियम पदार्थों से राज्य व केंद्र सरकार को 5.55 लाख करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ था। केंद्र सरकारों से इतर राज्य-दर-राज्य पेट्रोल-डीजल की कीमतें अलग-अलग होती है। दिल्ली में जिस पेट्रोल की कीमत 101 रुपए और डीजल की 88 रुपए है, उसी पेट्रोल की कीमत मुंबई में 107 रुपए और डीजल 96 रुपए प्रति लीटर है। इसी तरह भोपाल में पेट्रोल आज की स्थिति में 109 रुपए प्रति लीटर तक भी मिल रहा है। अलग-अलग भाव होने का मुख्य कारण राज्यों द्वारा लगाई गई VAT (Value Added Tax) की अलग-अलग दरें हैं, जो कि राज्यों की आय का मुख्य स्रोत मानी जाती हैं। ऐसे में निश्चित है कि जीएसटी में आने के बाद पेट्रोलियम पदार्थों के दाम तो कम होंगे ही, साथ ही दामों में राज्यों के अनुसार भिन्नता भी खत्म हो जाएगी।

अभी क्या है गणित?

जितने का तेल नहीं है, उससे ज्यादा टैक्स… ये वाक्य हम सभी ने कई बार सुना है जो कि सत्य भी है। दरअसल, NBT की रिपोर्ट बताती है कि पेट्रोल-डीजल पर आज की स्थिति में जनता से करीब 168 प्रतिशत से अधिक टैक्स लिया जा रहा है। टैक्स के इस जटिल खेल में आम जनता ही पिसती है। पेट्रोल का जो भी मूल भाव (Base Fair) होता है, उस पर फ्रेट टैक्स, डीलर्स की कीमत, केंद्र की एक्साइज ड्यूटी, राज्यों का वैट और डीलर्स का कमीशन तक जोड़ दिया जाता है। इसका नतीजा ये कि पेट्रोल की कीमत लगभग दो गुनी से भी अधिक हो जाती हैं। कुछ ऐसा ही गणित डीजल के साथ भी है। नतीजा ये कि आम आदमी की जेब को सर्वाधिक नुकसान होता है।

जीएसटी में आने पर स्थिति

हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि जीएसटी में आने पर पेट्रोल डीजल के दाम पुरे देश में समान होंगे। इतना ही नहीं, जो टैक्स आज बेस प्राइस पर 168-180 प्रतिशत तक लग रहा है; वो जीएसटी के चार स्लैब्स 5, 12, 18, 28 प्रतिशत तक सीमित हो जाएगा। ऐसे में यदि ये कहा जाए कि जीएसटी के दायरे में आने के बाद पेट्रोल-डीजल के दाम आधे हो जाएंगे, तो ये कोई अतिश्योक्ति नहीं मानी जानी चाहिए।

और पढ़ें: चीनी Apps को ध्वस्त करने के बाद PM Modi ने शुरू किया चाइनिज फोन के खिलाफ स्वच्छता अभियान

मोदी सरकार इस जीएसटी काउंसिल की बैठक के जरिए अगर इस दिशा में कोई कदम बढ़ाती है, तो वो निश्चित तौर पर एतिहासिक माना जाएगा, क्योंकि पेट्रोल डीजल को राज्यों ने अपनी कमाई का मुख्य जरिया बना लिया है। चुनावी वर्ष में राज्य सरकारें दाम कम करके अपने राजनीतिक दलों को लाभ देने की कोशिश करतीं हैं, किन्तु चुनाव बाद स्थिति यथावत हो जाती है। ऐसे में पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाना ‘बिल्ली के गले में घंटी बांधने’ जैसा है। यदि मोदी सरकार ये काम कर लेती है, तो आम आदमी के लिए ये कदम अब तक की सबसे बड़ी राहत की वजह बनकर आएगा।

Tags: GSTपेट्रोल
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