कांग्रेस पार्टी की स्थिति बॉलीवुड फिल्म ‘टार्जन-द वंडर कार’ की उस बेलगाम कार की तरह हो गई है, जिसे कौन चला रहा है, कैसे चला रहा है… किसी को कुछ पता नहीं है। ये इशारा किसी और का नहीं अपितु कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल का है, जिन्होंने पार्टी की स्थिति को लेकर सवाल खड़े किए हैं। पंजाब कांग्रेस में एक तरफ जहां अपमान के कारण कैप्टन अमरिंदर सिंह जैसे नेता किनारे हो चुके हैं, तो दूसरी ओर पार्टी आलाकमान द्वारा सभी मांगे पूरी होने के बावजूद कैप्टन विरोधी नवजोत सिंह सिद्धू प्रदेश अध्यक्ष पद से नैतिकता का ढोंग करते हुए इस्तीफा दे चुके हैं। ऐसे में लंबे वक्त से बुजुर्ग नेताओं का जो धड़ा इस पूरे खेल का तमाशा देख रहा था, वो अब एक्टिव हो चुका है और पार्टी आलाकमान पर ही बरस पड़ा है।
सिब्बल का आक्रामक रवैया
कांग्रेस में हमेशा से ही बगावती नेताओं का गुट रहा है, जिसने पिछले दो वर्षों में लगातार पार्टी के काम करने के तरीके पर सवाल खड़े किए हैं। ख़ास बात ये है कि इस बगावती धड़े का नेतृत्तव पार्टी की विचारधारा के लिए कट्टर माने जाने वाले कपिल सिब्बल ने किया है। पंजाब की राजनीति में पहले भी जब कांग्रेस आलाकमान की ओर से कैप्टन के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया जाता था तो सिब्बल की बागावत सामने आती थी, किन्तु अब जब कैप्टन की गैर-मौजूदगी में पंजाब में ही पार्टी बिखर रही हैं, तो सिब्बल ने फिर से पार्टी की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने कहा, “कांग्रेस का कोई इलेक्टेड प्रेसिडेंट नहीं है, पर फैसला कोई न कोई तो ले ही रहा है ना। गलत हो, सही हो…ये चर्चा वर्किंग कमेटी में होनी चाहिए। लोग पार्टी छोड़कर क्यों जा रहे हैं, ये सोचने की जरुरत है।“
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सिब्बल ने न केवल अपना पक्ष रखा है बल्कि पूरे बगावती जी-23 नेताओं की बात रखते हुए कहा कि पार्टी में कुछ भी गलत होने पर जी-23 सबसे पहले पार्टी आलाकमान का विरोध करेगा। उन्होंने कहा, “हम G-23 हैं, निश्चित तौर पर जी हुजूर–23 नहीं हैं। हम मुद्दे उठाते रहेंगे। मैं आपसे कांग्रेस के उन लोगों की तरफ से बात कर रहा हूं, जिन्होंने पिछले साल अगस्त में CWC और सेंट्रल इलेक्शन कमेटी को चिट्ठी लिखकर पार्टी अध्यक्ष का चुनाव कराने की मांग की थी। हम पार्टी नेतृत्व की तरफ से अब भी उस पर एक्शन लिए जाने का इंतजार कर रहे हैं।”
पाकिस्तान को मिलेगी खुशी
दूसरी ओर सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने और कैप्टन के अपमान को लेकर कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने आलाकमान पर हमला बोला था। वहीं, सबकुछ सिद्धू के पक्ष में होने के बावजूद जब सिद्धू ने इस्तीफा दिया है, तो मनीष तिवारी भी सिद्धू पर बरस पड़े हैं। उन्होंने कहा, “सिद्धू के इस्तीफे के बाद इस सीमावर्ती प्रांत में जैसी राजनीतिक अस्थिरता पैदा हुई है, उससे सिर्फ और सिर्फ पाकिस्तान और उसके यहां पल रहे आतंकी संगठन ही खुश होंगे।” ये पहली बार नहीं है कि सिद्धू के रवैए पर मनीष तिवारी ने सिद्धू के सहारे गांधी परिवार को लपेटा हो, इससे पहले जब सिद्धू ने ईंट से ईंट बजाने का बयान दिया था तो उस दौरान भी मनीष तिवारी ने अपने ट्वीट में सिद्धू के साथ पक्षपात करने का सांकेतिक आरोप गांधी परिवार पर ही लगाया था।
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वर्किंग कमेटी की हो बैठक
वर्किंग कमेटी की बैठकों में पहले पार्टी की कार्यशैली पर सवाल उठा चुके कांग्रेस नेता अब दोबारा इस विकट स्थिति को देखते हुए वर्किंग कमेटी की बैठक बुलाने की मांग करने लगे हैं। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने पार्टी की कार्यकारी अध्यक्षा सोनिया गांधी को पत्र लिखकर मांग की है कि पार्टी वर्किंग कमेटी की बैठक बुलाई जाए और उसमें पंजाब के वर्तमान राजनीतिक हालात पर चर्चा हो।
ध्यान देने वाली बात ये भी है कि कपिल सिब्बल पहले ही ये कह चुके हैं कि कोई भी नेता पार्टी छोड़ दे रहा हैं और पार्टी किसी तरह का कंट्रोल नहीं रख पा रही। ऐसे में पहले सिब्बल फिर आजाद का आलाकमान के विरुद्ध बयान देना पार्टी के लिए मुसीबत बनता दिख रहा है।
हक़-सच की लड़ाई आखिरी दम तक लड़ता रहूंगा … pic.twitter.com/LWnBF8JQxu
— Navjot Singh Sidhu (@sherryontopp) September 29, 2021
अड़े हुए हैं अप्रत्याशित सिद्धू
पंजाब में कैप्टन को साइडलाइन करते हुए पार्टी आलाकमान ने सिद्धू की सारी मांगे मानी हैं, राज्य का मुख्यमंत्री तक उनकी इच्छानुसार चरणजीत सिंह चन्नी को बनाया है। इसके बावजूद सिद्धू अब नैतिकता का ढोंग करते हुए इस्तीफा दे चुके हैं। उनका कहना है कि प्रशासनिक और कैबिनेट स्तर में कुछ दागियों को बड़े पद दे दिए गए हैं, जो कि कांग्रेस के लिए मुसीबत का सबब होंगे। सिद्धू का ये रवैया गांधी परिवार के लिए भी समझ से परे हैं क्योंकि उन्हें पता ही नहीं है कि कब क्या हो जाएगा और सिद्धू अगले पल में क्या करेंगे?
सिद्धू का ये प्रकरण अब पंजाब की राजनीति में तो एक बड़ा भूचाल ला ही रहा है, साथ ही वो बगावती जी-23 के नेता जो लंबे वक्त से पार्टी आलाकमान से नाराज थे और किसी बड़े मुद्दे की तलाश कर रहे थे, उन्हें अब एक बड़ा मुद्दा मिल गया है। ऐसे में जो पहले कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी पर सवाल खड़े करते हुए अध्यक्ष पद के चुनाव की मांग कर रहे थे, उन्हें अब एक बार फिर पार्टी आलाकमान को घेरने का मौका मिल गया है। अब कांग्रेस पार्टी की पंजाब की मुसीबत दिल्ली तक पहुंच गई हैं, जिसमें सिद्धू के कारण गांधी परिवार की मुसीबतें बढ़ेंगी।