भारत अब फ्रांस को पीछे छोड़कर दुनिया का छठा सबसे बड़ा स्टॉक मार्केट हो गया है। BSE ने इससे भी बड़ा कारनामा यह कर दिया है कि मात्र 107 दिनों में एक करोड़ निवेशक शेयर बाजार से जुड़ गए हैं। ये नए भारतीय मानसिकता का प्रमाण है जो निवेश में भी भविष्य देख रहा है। दूसरी ओर सरकार की तरफ से हो रहे नीतिगत बदलावों के मद्देनजर बाजार भी सुरक्षित लग रहा है।
ऐसे ही बदलावों को लेकर रोज शेयर बाजार में नए-नए तरीकों से कंपनियां अपनी पहचान बना रही हैं और निवेश बढ़ा रही हैं। शेयर बाजार में यह विकास तब हो रहा है जब भारतीय अर्थव्यवस्था कोरोना महामारी से बचकर निकल आई है। शेयर बाजार में एक कहावत कही जाती है कि एक दिन के नुकसान पर 10 दिन का फायदा नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। कोरोना महामारी में भी बढ़ते निवेशक यही कहानी बता रहे हैं। अभी हाल ही में भारतीय निवेशक राकेश झुनझुनवाला ने ज़ी टीवी जैसी कम्पनी के शेयर से मात्र 7 दिनों में 67 करोड़ की कमाई कर ली।
अब जरा BSE के आंकड़ो पर नजर डालते हैं। 23 मई 2020 को BSE में कुल निवेशक 5 करोड़ थे। 6 जून 2021 को कुल निवेशक 7 करोड़ हो गए। यानी 1 साल 13 दिन में 2 करोड़ निवेशक जुड़ गए थे। अब जून 6 से सितंबर 21 यानी 107 दिनों में एक करोड़ निवेशक जुड़ने के साथ यह आंकड़ा 8 करोड़ निवेशकों का हो गया है।
महामारी के बाद रिकार्ड स्तर पर सेंसेक्स
आपको और पुराने आंकड़े बताते हैं। भारत में एक करोड़ निवेशक फरवरी 2008 में थे। जुलाई 2011 तक निवेशकों की संख्या 2 करोड़ पहुंची। फिर लगभग तीन सालों बाद जनवरी 2014 में निवेशकों की संख्या 3 करोड़ पहुंची थी। 2018 के अगस्त में यह आंकड़ा पहली बार 4 करोड़ के पार हुआ और अगले 2 वर्षों में यानी मई 2020 में निवेशकों का आंकड़ा 5 करोड़ पहुंच गया था।
2020 में महामारी के बाद सेंसेक्स सूचकांक 59,000 के स्तर को पार कर गया है। यह अपने आप में एक विशेष कीर्तिमान है। BSE सेंसेक्स 31 अगस्त से 3 सितंबर तक 57,000 से बढ़कर 58,000 हो गया और 16 सितंबर को आठ दिनों में 59,000 का आंकड़ा पार कर गया है। आपको बताते चलें कि सेंसेक्स ने इस साल जनवरी में ही 50,000 का आंकड़ा पार किया था।
इसके साथ ही भारत अब दुनिया का छठा सबसे बड़ा शेयर बाजार बन गया जिसने बाजार पूंजीकरण में पहली बार फ्रांस जैसे देश को पछाड़ दिया है। 16 सितंबर 2021 को BSE में लिस्टेड कंपनियों का बाजार पूंजीकरण बढ़कर 3.54 लाख करोड़ डॉलर यानी 260.78 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
मार्केट पर दिख रहा सरकार की नीतियों का असर
ये कहना गलत नहीं होगा कि इस समय बाजार और निवेशक, दोनों की सारी उंगलियां घी में है क्योंकि मार्केट मजबूत दिख रहा है। एक निराशावादी और सरकारी नीतियों के विरोधी होने के कारण आप यह कह सकते हैं कि ऐसी बढ़त तो प्राकृतिक रूप से होती है, लेकिन अगर निफ़्टी दो दिन में 12% बढ़त हासिल कर ले रहा है और BSE 28.5 बढ़त हासिल कर रहा है तो इसके पीछे बाजार के विशेषज्ञों का दृढ़ विश्वास माना जा सकता है। यह जरूरी इसलिए भी है क्योंकि शेयर बाजार में ऐसा विश्वास कुछ मजबूत नीतियों को देखकर आता है। यह कहना गलत नहीं होगा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा दिए गए पैकेज PLI स्कीम और अलग से सेक्टर फंड्स से बाजार का विश्वास मजबूत हुआ है।
107 दिनों में 1 करोड़ निवेशक जोड़ने के बाद BSE के एमडी और सीईओ आशीष कुमार चौहान ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, “दुनिया भर में विभिन्न कारणों से पिछले 1.5 वर्षों में इक्विटी निवेश सीधे या म्यूचुअल फंड के माध्यम से बढ़ रहा है। प्रत्येक निवेशक के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे सावधान रहें और उन कंपनियों, प्रक्रियाओं और उपकरणों को विस्तार से समझें जिनमें वे निवेश या व्यापार करने की योजना बना रहे हैं।”
महाराष्ट्र और गुजरात से सबसे ज्यादा निवेशक
8 करोड़ निवेशकों को राज्यों के हिसाब से देखें तो महाराष्ट्र लगभग 1.7 करोड़ पंजीकृत निवेशकों के साथ सबसे आगे है। यह BSE में 1 करोड़ से अधिक पंजीकृत निवेशक रखने वाला एकमात्र राज्य भी है। इस लिस्ट में महाराष्ट्र के बाद गुजरात (94.41 लाख), उत्तर प्रदेश (62.75 लाख), कर्नाटक (47.88 लाख), तमिलनाडु (46.69 लाख) और पश्चिम बंगाल (43.64 लाख) शामिल हैं।
भारतीय निवेशक और भारतीय बाजार में रौनक है। मजबूत स्थिति और पीछे से सरकारी योजनाओं का रीढ़ बनना देश को बहुत लाभ दे रहा है। ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि जल्द ही BSE एक लाख पॉइंट को पार कर जाएगा। आपको बताते चलें कि भारत में सेंसेक्स ने सबसे पहली बार 25000 का आंकड़ा 2014 में छुआ था जब NDA बहुमत से सरकार में आई थी। मोदी सरकार का 7 साल का कार्यकाल बीतने पर यह आंकड़ा अब 59000 पर पहुंच गया है और अनुमान लगाया जा रहा है कि जल्द ही यह लखपति हो जाएगा।