भारत सरकार अब ड्रोन संचालन से जुड़े नियमावलियों में बड़े बदलाव की ओर कदम उठाने जा रही है। सरकार ने बुधवार को ड्रोन और ड्रोन पार्ट्स के लिए एक production-linked incentive (PLI) योजना को मंजूरी दे दी। पिछले महीने लागू किए गए उदारीकृत ड्रोन नियम के साथ, विमानन मंत्रालय को उम्मीद है कि ड्रोन निर्माण अगले तीन वर्षों में 5,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश आकर्षित करेगा। यही नहीं इस निवेश से अगले तीन वर्षों में 10,000 से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार पैदा भी होगा।
ड्रोन एक मानव रहित हवाई वाहन (UAV) है, जिसे बिना किसी मानव पायलट, चालक दल या यात्रियों के बिना एक उड़ाया जाता है। इसका इस्तेमाल लंबे समय तक अक्सर सेना से जुड़े कार्यों के लिए होते थे, जहां उनका इस्तेमाल शुरू में विमान विरोधी लक्ष्य अभ्यास, खुफिया जानकारी और फिर अधिक विवादास्पद जगहों पर हथियार ले जाने के लिए किया जाता था। हालांकि, समय के साथ साथ ड्रोन के इस्तेमाल को बढ़ाया गया और अब ड्रोन का उपयोग निगरानी, यातायात संचालन, मौसम की जानकारी और अग्निशमन यंत्र के रूप में होता है।
सरकारों ने ड्रोन पर अपने नियंत्रण को हटाकर व्यक्तिगत ड्रोन और व्यावसायिक ड्रोन के लिए भी मार्ग खोलें है। ड्रोन आधारित फोटोग्राफी के साथ-साथ वीडियोग्राफी के लिए आजकल ड्रोन का इस्तेमाल हो रहा है। अमेरिका में तो अमेजन वितरण सेवाओं में ड्रोन का इस्तेमाल करती है।
भारत में इससे संबंधित कानून क्या है?
भारत लंबे समय तक अपने हवाई क्षेत्र को लेकर चिंतित रहा है। हवाई हमलों की आशंका के चलते भारत में ड्रोन सम्बंधित नियमावली बहुत कठिन थी। ऐसे समझिए कि भारत में अगर आपको ड्रोन का इस्तेमाल करके वीडियोग्राफी भी करना होता था तो सरकार द्वारा इससे सम्बंधित बड़े कानूनों का प्रावधान था। आपको ड्रोन इस्तेमाल करने के लिए गैजेटेड अधिकारी की अनुमति प्राप्त करनी पड़ती थी। हर ड्रोन पर एक खास नम्बर होता था जो चेसिस नम्बर जैसा होता था।
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इसी साल अगस्त में ऐसी तमाम नियमावलियों को बदलकर ड्रोन नियम 2021 लाया गया था जिससे ड्रोन के लिए होने वाले अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) में लगी संस्थाओं के लिए उड़ान योग्यता का प्रमाण पत्र, विशिष्ट पहचान संख्या, पूर्व अनुमति और पायलट लाइसेंस रखने की आवश्यकता को समाप्त कर दिया गया था।
भारत में निजी क्षेत्र की कम्पनियों द्वारा ड्रोन के इस्तेमाल की मांग उठ रही थी और इसी संदर्भ में नागरिक उड्डयन मंत्रालय (MoCA) और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) द्वारा 10 बिजनेस संगठनों को अनुमति दिया गया था। इन संगठनों में सरकारी और गैर सरकारी संस्थाए शामिल हैं। संगठनों में कर्नाटक जैसी राज्य सरकारें और महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड, बायर क्रॉप साइंस, इंडियन इंस्टीट्यूट जैसी निजी कंपनियां शामिल हैं। सरकार ने इनके अलावा उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान, पुणे और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (मुंबई) को भी एक साल के लिए ड्रोन का उपयोग करने की स्वतंत्रता प्रदान की थी।
भारत को ड्रोन हब बनाने के लिए प्रतिबद्ध प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके कहा था कि,
“नए ड्रोन नियम इस क्षेत्र में काम करने वाले स्टार्टअप्स और युवाओं की काफी मदद करेंगे। यह नवाचार और व्यापार के लिए संभावनाएं खोलेगा। यह भारत को ड्रोन हब बनाने के लिए रिसर्च, प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग में भारत की ताकत को और मजबूत करने में सहयोग करेगा।”
इन कानूनों के तहत विदेशी कंपनियों को भी इजाजत दी गई है ताकि वो ड्रोन के पार्ट्स भारत में बनाकर दुनिया भर में बेच सकें। इन्हीं नियमों में बदलाव के तहत ICMR और आईआईटी मुंबई को भी रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए इजाजत दी गई है।
सरकार के ड्रोन सम्बंधित नियमावलियों में लगभग सभी बड़े बदलावों को किया गया है जिसकी आवश्यकता थी। जैसे कि फॉर्म्स की संख्या को घटाकर 25 से 5 किया गया है। 72 प्रकार के फीस को घटाकर 4 प्रकार का किया गया है। ड्रोन के वजन को 300 किलो से 500 किलो किया गया है। ड्रोन कॉरिडोर का निर्माण किया गया है जिसके तहत सामानों की डिलीवरी हो सकें। ड्रोन उत्पादन से अगले तीन सालों में प्रत्यक्ष रूप से 10000 रोजगार के अवसर बनेंगे और 5 लाख अन्य रोजगार के अवसर बनेंगे।
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भारत को इससे आर्थिक लाभ कैसे होगा?
वैश्विक ड्रोन बाजार की कीमत 2020 में 13.44 बिलियन अमरीकी डॉलर थी। इसके 2021 से 2028 तक 57.5% की वार्षिक वृद्धि दर से विस्तार होने की उम्मीद है। 2020 में मात्रा या संख्या के हिसाब से दुनिया भर में 6 लाख से ज्यादा ड्रोन बिक्री दर्ज की गई थी। अंदाजे के हिसाब से 2028 तक इस बाजार का 60 से 70 बिलियन डॉलर यानी लगभग 5 लाख करोड़ रुपए होने का अनुमान है।
भारत सरकार इस बड़े बाजार में भारतीय हिस्सेदारी को सबसे बड़ा बनाने के प्रयास में लगी हुई है। सरकार ने ऑटो सेक्टर के लिए जब 26,000 करोड़ से ज्यादा की इंसेंटिव का एलान किया तब ड्रोन सेक्टर को भी 120 करोड़ रुपये दिए गए थे। प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्किम के तहत जोड़े गए ड्रोन सेक्टर से लगभग ₹5000 करोड़ की ताजा निवेश आने की सम्भावनाएं हैं। इससे उत्पादन में भी ₹1500 करोड़ की वृद्धि की संभावना है।
भारत सरकार ड्रोन क्रांति ला रही है और नीतियों के रूप में इसकी नीवं भी रख दी गई है। इससे देश में आर्थिक विकास तो होगा ही, साथ में तकनीक के क्षेत्र में भारत एक बड़ा खिलाड़ी बनकर उभरेगा। पूर्व सरकारों की दूरदृष्टि खराब होने के चलते सिविल एविएशन जैसे क्षेत्र में सम्भावनाएं मर गई थी लेकिन इस सरकार ने इसमें भी भविष्य देखा है और अब सिविल एविएशन में क्रांति के लिए तैयार है।