आतंकरोधी यूनिट में जिहादी आतंकी डेस्क का निर्माण किया जाएगा
स्पेशल सेल में एक अलग डेस्क खालिस्तानी आतंकवाद पर नज़र रखने के लिए बनाया जाएगा
राष्ट्रीय और आर्थिक सुरक्षा के मामलों की जांच के लिए IFSO नामक इकाई बनाई गई है
खालिस्तानियों और इस्लामिक कट्टरपंथियों से निपटने के लिए दिल्ली पुलिस अब नए तेवर में दिखाई देगी। पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने दिल्ली पुलिस के आतंकवाद विरोधी इकाई के अंदर एक बड़ा बदलाव किया है। दिल्ली की आतंकरोधी इकाई में फेरबदल करते हुए राकेश अस्थाना ने वैश्विक खुफिया एजेंसियों के आधार पर कई अलग ब्रांच बनाए हैं, जिससे सभी प्रकार की आतंकी गतिविधियों पर नजर रखी जा सकेगी। यही नहीं आतंकवाद और साइबर ऑपरेशन के अलावा देश और राजधानी की सुरक्षा पर नज़र रखने वाले अलग-अलग डेस्क भी बनाए जा रहे हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार साइबर अपराध और शहर की सार्वजनिक व्यवस्था को प्रभावित करने वाले मुद्दों के अलावा राष्ट्रीय और आर्थिक सुरक्षा के मामलों की जांच के लिए Intelligence fusion and strategic operations (IFSO) नामक इकाई बनाई गई है।
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इस्लामिक और खालिस्तानी आतंकियों के लिए अलग बनाया जा रहा है डेस्क
रिपोर्ट के अनुसार एक जिहादी आतंकी डेस्क का निर्माण किया जाएगा, जिसका काम पाकिस्तान, पीओके और कश्मीर स्थित आतंकी समूहों के अलावा ISIS और अल कायदा जैसे अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों पर ध्यान रखना होगा। यही नहीं एक अलग डेस्क खालिस्तानी आतंकवाद पर नज़र रखने के लिए भी बनाया जाएगा। पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह से खालिस्तानी आतंकवाद ने जिस तरह से अपने पाँव पसारे हैं, उसके बाद ऐसा कदम उठाना अत्यंत आवश्यक था। वहीं, एक नार्को-टेरर एंड ऑर्गनाइज्ड क्राइम (NTOC) वर्टिकल में दो इकाइयाँ होंगी, जिनमें से प्रत्येक में एक DCP होगा। दो अन्य इकाइयां, काउंटर इंसर्जेंसी (CI) और ऑपरेशन एंड इंटेलिजेंस (OT), क्रमशः तकनीकी क्षमताओं को बढ़ाने और कई एजेंसियों से खुफिया जानकारी को संभालने पर काम करेंगी।
अलग-अलग रूपों में पंख फैला रहा है आतंक
रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने सितंबर में इसके पुनर्गठन का पहला भाग शुरू किया था। इस पर अस्थाना ने कहा, “पिछले कुछ वर्षों में आतंकवाद और व्यवस्थित क्राइम ने अपने अलग-अलग रूपों में विकास किया है, जो कई परतों और नेटवर्क से जुड़े हुए हैं। विदेशी ताकतों के हस्तक्षेप, सुरक्षित संचार नेटवर्क तक पहुंच और सीमा पार से धन हस्तांतरण में आसानी के कारण कई प्रकार के समूहों ने एक-दूसरे के नेटवर्क और संसाधनों का उपयोग करने के लिए अपनी गतिविधियों का समन्वय करना शुरू कर दिया है।” यानी स्पष्ट है कि ऐसे संगठनों पर नजर रखने के लिए विशेष कार्यबल की आवश्यकता होगी, इसलिए यह आवश्यक है कि समय के साथ आमूलचुल परिवर्तन किए जाए।
विशेष अधिकारियों को मिली कमान
रिपोर्ट के अनुसार IFSO वर्टिकल का नेतृत्व डीसीपी केपीएस मल्होत्रा करेंगे, जबकि जिहादी आतंक और खालिस्तानी वर्टिकल की देखरेख क्रमशः डीसीपी प्रमोद कुशवाहा और संजीव यादव करेंगे। IFSO, जो पूर्ववर्ती साइबर अपराध और cyPAD (Cyber Preventation Awareness Detection) इकाइयों के संचालन की जगह लेगा, वो डार्क वेब पर गतिविधियों की निगरानी, कार्रवाई योग्य इनपुट और संचालन बनाने के लिए डेटा एनालिटिक्स को नियोजित करने तथा संगठित और साइबर अपराध से संबंधित जांच करने के लिए जिम्मेदार होगा।
यह इकाई कार्रवाई योग्य इनपुट विकसित करने के लिए FIU (financial investigation unit), SFIO (serious fraud investigation office), DRI (Department of Revenue Intelligence) और सीमा शुल्क जैसी एजेंसियों के साथ समन्वय करेगी। TOI ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि IFSO को किसी भी संज्ञेय अपराध को रोकने का भी काम भी सौंपा गया है, जिसमें अपराधियों द्वारा साइबर स्पेस का उपयोग किया जाता है। यह पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर जिला इकाइयों की जांच भी कर सकती है।
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वहीं, खालिस्तान डेस्क संगठित अपराध, नकली मुद्रा और हथियारों की तस्करी करने वाले गिरोहों पर भी कार्रवाई करेगा। रिपोर्ट में यह बताया गया कि Operations and Intelligence (OT) इकाई शहर की निगरानी और Special Weapons and Tactics (SWAT) टीमों जैसी चीजों को अतिरिक्त रूप से संभालेगी। दिल्ली पुलिस के इस आतंकरोधी यूनिट की special cell अब वित्तीय स्थिरता के लिए खतरा पैदा करने वाले अंतर-राज्यीय और संगठित अपराधों पर असर डालने वाले मनी लॉन्ड्रिंग सिंडिकेट के खिलाफ भी कार्रवाई करेगा।
यानी अब स्पष्ट तौर पर न सिर्फ इस्लामिक आतंकियों के खिलाफ बल्कि खालिस्तानियों तथा अंडरवर्ल्ड और विदेशों में बसे गैंगस्टरों के साथ संबंध रखने वाले संबद्ध सिंडिकेट के खिलाफ भी कार्रवाई शुरू की जाएगी।